बाढ़ की दुश्वारी अंचलों में कहीं अधिक भारी, पशुपालकों के सामने संकट तो खेती को व्यापक नुकसान
वाराणसी में इस समय अंचलों में भारी बाढ़ की दुश्वारी है। गांवों में जहां किसानों की फसल डूब चुकी है तो दूसरी ओर बाढ़ में सब्जी की खेती भी डूब कर नष्ट हो चुकी है। माना जा रहा है कि बाढ़ अगर लंबे समय तक टिकी तो पशुओं को भी दुश्वारी झेलनी होगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा में बाढ़ से ढाब क्षेत्र और आंचलिक क्षेत्र शहरी मोहल्लों से भी कहीं अधिक दुश्वारी झेल रहे हैं। दरअसल वहां इंसान ही नहीं बल्कि पशुओं के सामने भी आवास और भोजन की समस्या आ चुकी है। हालांकि प्रशासन ने अब भूसा आदि की व्यवस्था शुरू की है।
वहीं धान की डूबी फसल के अब सड़ने की संभावना अधिक हो गई है। जबकि पूर्व में वाराणसी और आसपास पूर्वांचल की मंडियों में सब्जियों की खपत के लिए सर्वाधिक उपज होती थी। इस बार बाढ़ की वजह से ठंडी की सब्जियों की खेती भी लेट होने या प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।
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बाढ़ में फसे मकानों में चोरी का डर सताने लगा
वरुणा नदी का जल स्तर बढ़ने से उसके आसपास बस्तियों के सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है। बाढ़ प्रभावित लोग जहा बाढ़ के पानी से परेशान हैं वही मकानों में चोरी का डर सताने लगा है। बताया जाता है कि बीती रात में सारनाथ सलारपुर के चमेलिया बस्ती इलाके में बाढ़ प्रभावित इलाकों में चोरों के आने का शोर हुआ।
सारनाथ के वरुणा नदी के तटीय इलाकों में सलारपुर, रुप्पनपुर, पंचकोशी, पुलकोहना छोटी मस्जिद के बगल, दीनदयालपुर, अन्य इलाकों में बाढ़ का पानी सैकड़ों घरों में घुस गया। जिससे लोग अपना समान मकानों में ऊपर रख कर बन्द कर दूसरे जगह शरण लिए है।
बाढ़ प्रभावित सलारपुर चमेलिया बस्ती इलाके में रात में चोर मकानों के आसपास नाव के साथ घूमते नजर आए तो लोगों के हो हल्ला करने पर वापस चले गए। रुप्पनपुर के कल्लू यादव, रमेश चौहान व दनीयलपुर के मुन्ना, सुरेंद्र का कहना है कि अब तो रात में चोर भी सक्रिय हो गए है। नाव से आकर मकानों में रखे समानों को तलाश रहे है। थाना प्रभारी विवेक त्रिपाठी का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में रात में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गयी है।
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बाढ़ के पानी से बदबू दुर्गंध
वरुणा नदी के तटीय इलाकों में बाढ़ के पानी के साथ गंदगी कचरा आने से लोगो को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है। सारनाथ के सलारपुर रेलवे लाइन के किनारे, रुप्पनपुर, पुलकोहना, पुरानापुल के समीप इलाको में बाढ़ के पानी के साथ गंदगी कचरा आने से दुर्गंध बनी रहती है। कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं हो रहा है।
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छः सौ साठ पशुपालकों में हुआ भूसा वितरण
चिरईगांव में बाढ़ प्रभावित ढाबक्षेत्र के मोकलपुर में छः सौ साठ पशुपालकों को मंगलवार को भूसा वितरण किया गया। क्षेत्रीय लेखपाल ओमप्रकाश ने बताया कि बाढ़ प्रभावित ढाब क्षेत्र के मोकलपुर, गोबरहां, रामपुर, रामचन्दीपुर, मुस्तफाबाद रेता पर पशुओं के लिए बोयी गयी हरे चारे की फसल पूरी तरह से डूब गयी है। पशु चारे की समस्या को देखते हुए शासन के निर्देश पर पशुपालकों में भूसा वितरण कराया जा रहा है। ढाबक्षेत्र के हर गांव में पशुपालकों की सूची बनायी गयी है। भूसे का वितरण भी होगा। मोकलपुर में भी चांदपुर चौकी प्रभारी अंकुर कुशवाहा और प्रधान प्रतिनिधि प्रभाकर कन्नौजिया की देखरेख में भूसा वितरण कराया जा रहा है।
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गोमती नदी में बाढ़ से क्षति
विकासखंड चोलापुर के अजगरा, उधोरामपुर, भदवा, बेला, हथियर सहित गोमती नदी के किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ का पानी फैलने से जहां किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, वहीं अब विषैले जीवों और जंगली सूअरों के गांव की ओर आने से ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है। उधोरामपुर गांव निवासी जयप्रकाश सिंह ने बताया कि बाढ़ के पानी से खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं।
अब पानी से बचने के लिए जंगली जानवर गांव की तरफ आ रहे हैं। इनमें सांप, बिच्छू जैसे विषैले जीव भी शामिल हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को खंड विकास अधिकारी शिवनारायण ने अजगरा गांव का दौरा किया।
उन्होंने प्रभावित किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं और राहत व बचाव कार्यों का जायजा लिया। ग्रामीणों ने बीडीओ से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ-सफाई, कीटनाशक दवाओं के छिड़काव तथा विषैले जानवरों से बचाव के उपाय किए जाने की मांग की है। साथ ही नष्ट हुई फसल का मुआवजा भी जल्द देने की अपील की है।
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गोबरहां रामचंदीपुर के बीच आया बाढ़ का पानी
चिरईगांव में ढाब क्षेत्र के मुख्य सम्पर्क मार्ग पर गोबरहां और रामचंदीपुर के बीच मंगलवार को बाढ़ का पानी आ गया है। बाढ़ के पानी के बढ़ाव की स्थिति कम जरूर हुयी। लेकिन दुश्वारियों की बाढ़ बढ़ गयी है। प्रभावित परिवार, पशुपालकों को जरूरत के समय नाव नहीं मिली। चांदपुर में मवेशियों को चारा खिलाने, दुहने के लिए कमर से अधिक बाढ़ के पानी से आना जाना पड़ रहा है। गांव निवासी सुरेश यादव ने बताया कि सुबह एसडीएम को फोन कर नाव की मांग की थी। लेकिन शाम पांच बजे तक नाव के आने का इंतजार गांव वाले करते रह गये। छितौना में पशुपालकों को नाव नहीं मिल पा रही है।
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