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    काशी में गंगा की बाढ़ में घाट के डूब गए ठाठ तो गल‍ी में होने लगी आरती, देखें वीड‍ियो...

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 02:13 PM (IST)

    Flood in Varanasi असि घाट पर गंगा आरती का आयोजन जगन्नाथ गली के मोड़ पर अब हो रहा है। जय मां गंगा सेवा समिति असि घाट पर आरती करती है जिसके संस्थापक घाट पुरोहित बलराम मिश्र हैं। अब अस‍ि घाट के पूरी तरह डूबने और घाट पर जाने की प्रशासन‍िक मनाही पर आरती गल‍ियों में करनी पड़ रही है।

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    अस‍ि घाट पर गंगा आरती अब गली के भीतर हो रहा है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा में बाढ़ की स्‍थ‍ित‍ि चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही अब गंगा के घाटों पर जाने की प्रशासन‍िक मनाही होने की वजह से घाटों पर बंधी नौकाएं ही अब घाटों की शोभा बढा रही हैं। वहीं दशाश्‍वमेध घाट की आरती प्रभाव‍ित होने के बाद अस‍ि घाट पर भी आरती अब गली के मोड़ पर होने लगी है। 

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    सोमवार से असि घाट पर गली के मोड़ पर गंगा आरती करनी पड़ रही है। बाढ़ के कारण स्‍थान बदलने की वजह से सोमवार की शाम को जगन्नाथ गली के मोड़ पर गंगा आरती करनी पड़ी। इस संदर्भ में इंटरनेट मीड‍ि‍या पर भी तस्‍वीरें और वीडि‍यो प्रसार‍ित हो रहा है। अस‍ि घाट पर जय मां गंगा सेवा समिति द्वारा आरती की जाती है। इसके संस्थापक घाट पुरोहित बलराम मिश्र हैं तो इस समय उनके पुत्र श्रवण मिश्र व विजय मूर्तिकार हैं। जय मां गंगा सेवा समिति असि घाट पर न‍ियम‍ित गंगा आरती करती है। इसके संस्थापक घाट पुरोहित बलराम मिश्र के पुत्र श्रवण मिश्र भी उनका साथ दे रहे हैं।

    गंगा में इस साल आई प्रचंड बाढ़ और खतरा ब‍िंंदु को पार करने के बाद अब घाटों पर प्रशासन की ओर से जाने की मनाही हो चुकी है। इस कारण घाटों की स्थिति में आए बदलाव ने इस समिति को गली के भीतर आरती करने के लिए मजबूर किया है। घाट पुरोहित बलराम मिश्र के पुत्र श्रवण मिश्र ने बताया कि वे इस कठिन समय में भी श्रद्धालुओं की आस्था को बनाए रखने के लिए वह प्रयासरत हैं।

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    गंगा आरती का यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। बाढ़ के कारण घाटों पर जाने की मनाही ने श्रद्धालुओं को निराश किया है, लेकिन गली में आरती का आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक नई उम्मीद भी है। स्‍थानीय लोग मान रहे हैं क‍ि अब गंगा मैया खुद उनके घर पर आ गई हैं। 

    इस प्रकार, गंगा की आरती का यह नया स्वरूप न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक मौका है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय की एकजुटता और बाढ़ में धैर्य का भी प्रतीक है। बाढ़ की स्थिति के बावजूद, जय मां गंगा सेवा समिति के सदस्य अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।

    इस कठिन समय में, गंगा की आरती का आयोजन एक सकारात्मक संदेश देता है कि आस्था और श्रद्धा किसी भी परिस्थिति में जीवित रह सकती है। आशा है कि जल्द ही गंगा की स्थिति सामान्य होगी और श्रद्धालु फिर से घाटों पर जाकर अपनी आस्था व्यक्त कर सकेंगे।

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