अंतरधार्मिक धर्मगुरुओं ने न्यायपूर्ण और सतत जलवायु कार्रवाई के लिए वाराणसी में दिखाई एकजुटता
वाराणसी में जलवायु परिवर्तन पर एक अंतरधार्मिक संवाद आयोजित किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश की जलवायु चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। ईंट भट्ठा क्षेत्र में स्वच्छ तकनीक अपनाने आजीविका सुनिश्चित करने और श्रमिकों को सम्मान दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। बुनियाद समर्थन याचिका पत्र की शुरुआत की गई जिसमें न्याय-आधारित बदलाव की मांगें शामिल हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। धर्मगुरुओं, आम नागरिकों, सामाजिक प्रतिनिधियों और छात्रों ने आज वाराणसी में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित एक अंतरधार्मिक संवाद में भाग लिया। इस बैठक का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश की जलवायु चुनौतियां रहीं। विशेष रूप से ईंट भट्ठा क्षेत्र में स्वच्छ तकनीक अपनाने, आजीविका सुनिश्चित करने और श्रमिकों को सम्मान दिलाने की तात्कालिक आवश्यकताओं पर जोर दिया गया। यह आयोजन क्लाइमेट एजेंडा संस्था द्वारा वाराणसी में भेलूपुर स्थित होटल डोल्फिन में आयोजित किया गया.
"बुनियाद" अभियान के तहत द क्लाइमेट एजेंडा (TCA) द्वारा आयोजित इस संवाद में यह रेखांकित किया गया कि विभिन्न आस्थाओं की परंपराएँ करुणा, न्याय और पृथ्वी की देखभाल जैसे साझा मूल्यों को अपनाती हैं। अंतर्धार्मिक गुरुओं ने यह जोर देकर कहा कि ये मूल्य पर्यावरण की रक्षा और जरूरतमंद समुदायों के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
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इस संवाद के दौरान ‘बुनियाद समर्थन याचिका पत्र’ की भी शुरुआत की गई। इसमें उद्योग में न्याय-आधारित बदलाव से जुड़ी प्रमुख मांगें और सिफ़ारिशें शामिल हैं। यह मांग पत्र ‘बुनियाद’ नामक बहु-हितधारक समूह द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें ईंट भट्ठा मज़दूरों, भट्ठा संघों और मालिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, नागरिक समाज, कला एवं सांस्कृतिक समूहों और मीडिया जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों का प्रतिनिधित्व है। यह पहल उत्तर प्रदेश में एक बड़े जन अभियान की शुरुआत का प्रतीक है, जो नागरिकों से जन केंद्रित बदलाव के लिए अपनी आवाज़ जोड़ने का आह्वान करती है।
इस संवाद के दौरान आयोजित एक पैनल चर्चा में अंतर्धार्मिक गुरुओं ने अपनी-अपनी आध्यात्मिक परंपराओं से प्रकृति संरक्षण और मानव गरिमा बनाए रखने के दृष्टिकोण साझा किए। इस संवाद में यह प्रमुख रूप से सामने आया कि आज की जलवायु चुनौतियों से निपटने में अंतर्धार्मिक गुरुओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे समुदायों और नीति-निर्माताओं दोनों को सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।
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सामूहिक ज़िम्मेदारी को और मजबूत करने के लिए अंतरधार्मिक सहयोग की आवश्यकता पर भी विशेष जोर दिया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी धर्मगुरुओं ने समेकित स्वर में कहा कि जलवायु कार्रवाई केवल तकनीकी या आर्थिक प्रयास भर नहीं हो सकती, बल्कि इसे एक साझा नैतिक कर्तव्य के रूप में अपनाना होगा।
अंतरधार्मिक सम्मेलन में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं ने आस्था, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के गहरे संबंध पर अपने विचार साझा किए। शास्त्री देवेंद्र ठाकुर जी ने कहा कि वायु और जल प्रदूषण का उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी है तथा शांति और सबका कल्याण तभी संभव है जब वातावरण प्रदूषणमुक्त हो। प्रोफ़ेसर एवं वैज्ञानिक डा. सत्यप्रकाश पांडेय ने बताया कि धर्म हमें कम साधनों में संतोषपूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देता है और यही विचार आधुनिक समय के ‘सस्टेनेबिलिटी’ का आधार है।
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गोविन्द दास शास्त्री जी ने कबीर की वाणी का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हम शिष्य बनकर सीखते हैं तभी गुरु और ज्ञान देते हैं, परन्तु भौतिकवाद और उपभोग की अंधी दौड़ समाज को संकट में डाल सकती है। फादर प्रवीण जोशी जी ने बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ का हवाला देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधन ईश्वर की पवित्र रचना हैं और इनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है।
इसी क्रम में ज्ञानी रंजीत ने गुरुवाणी का उल्लेख करते हुए कहा कि हवा गुरु के समान, पानी पिता के समान और धरती माता के समान है, इसलिए पेड़-पौधों का विनाश न करें वरना सांस लेना भी कठिन हो जाएगा। जनाब फखरुद्दीन वाहिद क़ासिम जी ने कहा कि प्रदूषण का समाधान धर्म से ही संभव है, हमारे धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि प्रकृति का विनाश इंसानी करतूतों का नतीजा है। अंत में शास्त्री धर्मेंद्र मिश्रा ने सरकार से अपील की कि बुनियाद अभियान के माध्यम से ईंट उद्योग को बेहतर बनाने हेतु उठाई गई मांगों पर ध्यान देकर उचित कार्रवाई की जाए। कार्यक्रम का सञ्चालन आचार्य राघवेन्द्र पाण्डेय द्वारा किया गया।
बुनियाद के बारे में
बुनियाद एक बहु-हितधारक मंच है जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश की ईंट उद्योग को एक साथ लाकर उद्योग में न्याय-आधारित डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन में कमी) को आगे बढ़ाना है। इस मंच में 200 से अधिक सदस्य शामिल हैं, जिनमें ईंट भट्ठा कामगार और उनके संगठन, ईंट भट्ठा संघ और मालिक, सामुदायिक नेता, एनजीओ, थिंक-टैंक, कला एवं सांस्कृतिक समूह, मीडिया और निर्णयकर्ता शामिल हैं।
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इस मंच का लक्ष्य ईंट उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौद्योगिकी परिवर्तन और मज़दूर कल्याण की ज़रूरत और उसके लाभों को लेकर सोच और धारणा को बदलना है, साथ ही नीतिगत सहयोग और ठोस कार्यवाही के लिए दबाव बनाना है। यह परियोजना उन क्षेत्रों को विशेष रूप से लक्षित करती है जहाँ अधिक संख्या में ईंट भट्टों की मौजूदगी है, जैसे कि वाराणसी, प्रतापगढ़, लखनऊ, जौनपुर, अंबेडकर नगर, मथुरा, शामली, मुज़फ्फरनगर। इसमें 100% UP Coalition के सक्रिय सदस्यों की मौजूदगी और मौजूदा सरकारी योजनाओं के कवरेज का लाभ उठाया जा रहा है।
द क्लाइमेट एजेंडा (TCA) के बारे में
द क्लाइमेट एजेंडा एक नागरिक समाज संगठन है, जो भारत की तात्कालिक जलवायु चुनौतियों का समाधान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, आजीविका और समानता (Equity) के स्तंभों पर कार्य करता है। यह संगठन जमीनी हकीकत और नीतिनिर्माण के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है, ताकि जलवायु समर्थक नीतियों का बेहतर डिज़ाइन और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
TCA की पहलें विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) को बढ़ावा देने, स्वच्छ और समावेशी परिवहन को प्रोत्साहित करने, और औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन पर केंद्रित हैं। 100 % राज्य स्तरीय गठबंधन की स्थापना की सफलता के बाद, यूपी TCA ने बुनियाद की स्थापना में अहम भूमिका निभाई और 2022 में इसकी शुरुआत से ही एक प्रमुख साझेदार बना हुआ है।
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