मुंबई के लाल बाग के राजा को काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद, "जय श्री काशी विश्वनाथ" अंकित दुपट्टा भेजा
नमामि गंगे ने आत्मनिर्भर भारत की कामना संग काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद स्वरूप 11 मीटर लंबा दुपट्टा लाल बाग के राजा के लिए भेजा। इस दुपट्टे पर जय श्री काशी विश्वनाथ अंकित है जिसे सूर्यांशु शुक्ला अर्पित करेंगे। राजेश शुक्ला ने कहा कि यह स्वदेशी को बढ़ावा देने का प्रयास है जो सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में मदद करेगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नमामि गंगे ने आत्मनिर्भर भारत की कामना के साथ मुंबई के लाल बाग के राजा के लिए काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद रूपी 11 मीटर लंबा और 3 मीटर चौड़ा दुपट्टा भेजा है। इस दुपट्टे पर "जय श्री काशी विश्वनाथ" अंकित है।
इसे बृहस्पतिवार को प्रसिद्ध इनफ्लुएंसर सूर्यांशु शुक्ला द्वारा अर्पित किया जाएगा। यह आयोजन सनातनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मंगलवार को श्री काशी विश्वनाथ दरबार में पर्यावरण और नदियों के संरक्षण का संदेश देते हुए हर हर महादेव और गौरीनंदन की जयघोष गूंजे।
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नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक और नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला ने बाबा को स्पर्श कराकर यह अंगवस्त्रम लाल बाग के राजा के लिए भेजा। उन्होंने कहा कि "एक भारत-श्रेष्ठ भारत" की भावना देश के विकास के लिए आवश्यक है। त्योहारी मौसम में देशवासियों को स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि उपहार, कपड़े और सजावट की वस्तुएं केवल मेड इन इंडिया होनी चाहिए।
इस आयोजन में सूर्यांशु शुक्ला के साथ शिवांग शर्मा, आयुष तिवारी, समर्थ शर्मा, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आचार्य अंकित भारती, भुवन सिंह और अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे। राजेश शुक्ला ने कहा कि स्वदेशी को अपनाना न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने में मदद करेगा।
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नमामि गंगे का यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य करेगा, बल्कि देशवासियों को अपने उत्पादों पर गर्व करने का भी अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल सांस्कृतिक समृद्धि बढ़ेगी, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।
इस दुपट्टे का लाल बाग के राजा को अर्पण एक प्रतीकात्मक कदम है, जो यह दर्शाता है कि कैसे भारतीय संस्कृति और परंपराएं आज भी जीवित हैं और उन्हें आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। यह आयोजन न केवल मुंबई के लाल बाग के राजा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इस प्रकार, नमामि गंगे का यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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