वाराणसी में साइबर ठगों के कॉल सेंटर का चीन में बैठे सरगना संग संबंधों का खुलासा, जानें पूरा प्रकरण
वाराणसी में एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ है जो अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों को ठग रहा था। पुलिस को एक कंप्यूटर मिला है जिससे पता चला कि ठग चीन में बैठे सरगना के संपर्क में थे। पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन संचालित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से मदद ले रही है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाराणसी से संचालित होने वाले काल सेंटर के जरिए अमेरिका ब्रिटेन के लोगों को ठगने वाले गिरोह के सरगना तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं है। वह किसी तरह का सुराग नहीं छोड़ते थे।
रोहनिया के अवलेशपुर में पकड़े गए काल सेंटर से पुलिस को एक ऐसा कंप्यूटर मिला है जिसके जरिए यहां के ठग चीन में बैठे गिरोह के सरगना से संपर्क में रहते थे। इसकी जांच के लिए पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन संचालित होने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (नई दिल्ली) के साइबर एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है।
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पकड़े गए सभी 29 साइबर ठगों को शुक्रवार को जेल भेज दिया गया। पुलिस आगे की जांच के लिए उनको रिमांड पर लेगी। एडीसीपी क्राइम नीतू के अनुसार चीन में बैठे साइबर ठग बेहद आधुनिक तरीके से वाराणसी में काल सेंटर संचालित कर रहे थे। यह अपना इंटरनेट का पूरा काम सिंगापुर के सर्वर के जरिए करते थे। इंटरनेट कालिंग के लिए इसके लिए ई-सिम का इस्तेमाल करते थे। इसको भी वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए सुरक्षित कर रखा था।
विदेश में बैठे जिस व्यक्ति को काल किया जाता था उसके मोबाइल पर वह लोकल नंबर के तौर पर शो करता था। काल सेंटर का संचालक कौशलेंद्र तिवारी ही मात्र चीन में बैठे गिरोह के सरगना से बात करता था। उससे भी सिर्फ नेट कालिंग के जरिए बात होती थी। उससे कभी मिला न उसका नाम जानता है। उसे सैम व निक्की के नाम से पुकारता था। काल सेंटर में एक मात्र कंप्यूटर था जो मेन सर्वर था और इसके जरिए ही वह चीन के सरगना से संपर्क करता था। मेन सर्वर का एक्सेस चीन के सरगना के पास था।
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वहीं, लाग इन, पासवर्ड के चलते खोलते था। जैसे ही काल सेंटर में छापा पड़ा उसने मेन सर्वर से लाग आउट कर दिया। स्थानीय साइबर एक्सपर्ट इसे खोल नहीं पा रहे हैं। पुलिस इसी मेन सर्वर की जांच के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (नई दिल्ली) साइबर एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। उम्मीद है कि इसके जरिए उन सभी लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी जो ठगी के शिकार हुए हैं।
इसके साथ ही ठगी के शिकार जिन साढ़े तीन हजार लोगों के बारे में जानकारी मिल पाई है उनसे संपर्क करने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिए उन देशों के दूतावास की मदद ली जाएगी। जनवरी माह में अमेरिका और भारत के बीच साइबर अपराध जांच में सहयोग के लिए हुए समझौता से काफी लाभ मिलेगा।
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भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से पुलिस ने मांगी मदद
साक्ष्य जुटा रहीं केंद्रीय जांच एजेंसियां वाराणसी में पकड़े गए काल सेंटर में गिरफ्तार साइबर ठगों से केंद्रीय जांच एजेंसियों आइबी, एटीएस की स्थानीय इकाइयों ने भी पूछताछ की। उन्होंने इसकी रिपोर्ट अपने मुख्यालय भेजी है। संभावना है कि वहां के अधिकारियों की टीम भी वाराणसी आकर मामले की जांच कर सकती है। जांच एजेंसियां यह जानने का प्रयास कर रहीं कि ठगी से हासिल रुपये का इस्तेमाल कहां होता था। इसके साथ ही यह जानने का प्रयास कर रही हैं कि इसका नेटवर्क भारत में कहां-कहां है। पुलिस को जानकारी मिली है कि वाराणसी का काल सेंटर संचालक कौशलेंद्र चंडीगढ़ में भी काल सेंटर संचालित करता था हालांकि अभी इसकी पुष्टि की जा रही है।
मोबाइल व लैपटाप की होगी फोरेंसिक जांच काल सेंटर से बरामद सभी 24 मोबाइल 40 लैपटाप व 42 डेस्क टाप को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। पुलिस की कोशिश है कि इनसे ज्यादा से ज्यादा डाटा जुटाया जा सके। इससे ठगे जाने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही ठगों के नेटवर्क के बारे में और जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही गिरफ्तार सभी का काल डिटेल (सीडीआर) भी खंगाली जा रही है।
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