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    Chandra Grahan 2025 : चंद्रग्रहण की वजह से शाम की गंगा आरती दोपहर में, काशी में सूतक के दौरान बदल जाएगा धार्म‍िक आयोजन का समय

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 03:38 PM (IST)

    चंद्र ग्रहण के कारण काशी में धार्मिक आयोजन प्रभावित रहेंगे। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा होने वाली सांध्य गंगा आरती दोपहर 12 से 1 बजे तक होगी क्योंकि सात सितंबर को दोपहर 1235 बजे से सूतक काल शुरू हो जाएगा। विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन भी बंद रहेगा जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होगी।

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    इस बार भाद्रपद पूर्णिमा यानी रविवार सात सितंबर को लगने जा रहा है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। चंद्र ग्रहण के कारण काशी में धार्म‍िक आयोजनों का दौर भी प्रभाव‍ित होगा। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा होने वाली नैत्यिक सांध्य गंगा आरती दोपहर 12 से एक बजे सूतक काल से पूर्व तक होगी।

    गंगा आरती का समय 34 साल में पांचवीं बार दिन में हो रही है। इससे पहले 28 अक्टूबर 2023, 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018, 7 अगस्त 2017 को ग्रहण के कारण दोपहर में आरती हुई थी।इस बार सूतक काल प्रारंभ सात सितंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा जो आठ सितंबर को देर रात एक बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

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    चंद्र ग्रहण पर सूतक काल की वजह से काशी में गंगा आरती का समय बदल द‍िया गया है। इसके अलावा भी व‍िभ‍िन्‍न मंदि‍रों में दर्शन पूजन पूरी तरह से बंद रहेगा। यह दुश्‍वारी खास तौर पर उन लोगों को होगी जो बाहर से काशी में दर्शन पूजन की कामना से आ रहे हैं। वर्ष 2025 का यह दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2025 Date) होगा। इस बार भाद्रपद पूर्णिमा यानी रविवार सात सितंबर को लगने जा रहा है।

    साल के दूसरे चंद्र ग्रहण का आरंभ सात सितंबर को रात्र में नौ बजकर 58 मिनट पर हो रहा है। वहीं चंद्र ग्रहण का समापन आठ सितंबर को देर रात एक बजकर 26 मिनट पर होगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होने वाला है। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दर्शनीय होगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य होगा। कई लोगों की मान्‍यता की वजह से सूतक काल में पूजा-पाठ करना या फिर देवी-देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करने से बचना चाहिए। इस अवधि में भोजन करने या फिर सोने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे जीवन में नकारात्मकता का भाव भी बढ़ता है।

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    इसके अलावा चंद्र ग्रहण के दौरान कहीं बाहर न जाने की बात भी ज्‍योत‍िष बताते हैं। इसके साथ ही एकांत या नकारात्मक स्थान पर भी जाने से बचना चाह‍िए। मान्‍यता यह भी है क‍ि सूतक काल में तुलसी के पत्ते तोड़ने की भी मनाही है। दूसरी ओर इस अवधि के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक या शुभ कार्य भी नहीं किए जाते हैं। काशी में धार्म‍िक आयोजनों और मंदि‍रों में पूजन को लेकर भी एक एक कर प्रबंधन की ओर से जानकारी दी जा रही है। सबसे पहले गंगा आरती के समय में बदलाव के बारे में जानकारी साझा की गई है। 

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