कपिलवस्तु तक जल्द हो रेल लाइन का निर्माण: बृजलाल
राज्य सभा सदस्य बृजलाल ने मंगलवार को शून्य प्रहर में संसद के समक्ष कपिलवस्तु के विकास का मुद्दा उठाया। उन्होंने संसद को कपिलवस्तु के इतिहास से अवगत कराते हुए बताया कि 1972 में पिपरहवा के टीलों की खुदाई पुरातत्व विभाग ने कराई थी जहां पर खोदाई के दौरान स्तूप और शुद्दोधन महाराज का महल मिला।
सिद्धार्थनगर: राज्य सभा सदस्य बृजलाल ने मंगलवार को शून्य प्रहर में संसद के समक्ष कपिलवस्तु के विकास का मुद्दा उठाया। उन्होंने संसद को कपिलवस्तु के इतिहास से अवगत कराते हुए बताया कि 1972 में पिपरहवा के टीलों की खुदाई पुरातत्व विभाग ने कराई थी, जहां पर खोदाई के दौरान स्तूप और शुद्दोधन महाराज का महल मिला। स्तूप में बुद्ध का अस्थि - कलश मिला, जो भारत सरकार के कोलकाता स्थित संग्रहालय में रखा है। प्रदेश सरकार ने इस बौद्ध स्थल के नाम पर 1988 में बस्ती से अलग सिद्धार्थनगर जिला बनाया और विधान सभा का नाम कपिलवस्तु रखा। कपिलवस्तु भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली के रूप में प्रमाणित हो चुका है । पूरे विश्व में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की आस्था कपिलवस्तु में है। अन्य बौद्ध स्थलों की भांति कपिलवस्तु को विकसित नहीं किया गया, जब कि श्रावस्ती और कुशीनगर को विकसित किया गया है । जबकि कपिलवस्तु के विकसित होने पर लुंबिनी जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत होगी। उन्हें एक साथ बुद्ध की क्रीड़ास्थली व जन्मस्थली का दर्शन कर सकेंगे। तथा कपिलवस्तु में ही रूकेंगे। उन्होंने इसके श्रावस्ती और कुशीनगर की तरह इसे विकसित करने की मांग करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध का अस्थि कलश कपिलवस्तु में स्थापित किया जाय। हवाई पट्टी का निर्माण किया जाय। बस्ती से कपिलवस्तु तक आने वाली रेलवे लाइन जो रेलवे की पिक बुक छह पर अनुमोदित है, उसका निर्माण शीघ्र शुरू कराया जाए। प्रशासन ने अवैध कब्जा ध्वस्त कराया
सिद्धार्थनगर : ग्राम समाज की भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को हटाने की दिशा में प्रशासन सख्त हो गया है। जिसकी कड़ी में तहसील अन्तर्गत ग्राम सोनबरसा में तालाब की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को बुलडोजर से ढहा दिया गया। जमीन पर एक ने पक्का तो दूसरे ने खपरैल का मकान बना लिया था।
गांव में तालाब की भूमि पर अशर्फी व भगवानदीन ने क्रमश: खपरैल, पक्का मकान व सहन का निर्माण कर अतिक्रमण किया गया था। तहसील प्रशासन ने पिछले दिनों बेदखली का आदेश जारी किया। जिसके बाद कब्जा धारकों ने जिलाधिकारी के वहां वाद दाखिल किया, जो खारिज कर दिया गया। जिसके बाद हाइकोर्ट में मामला पहुंचा। जिसके अनुपालन में आज तहसीलदार अरविद कुमार के नेतृत्व में तहसील व इटवा पुलिस टीम जेसीबी के साथ मौके पर पहुंची और जो हिस्सा कब्जे में था, उसको ढहाना शुरू किया। कार्रवाई देख अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जुट गए। घंटों चली कार्रवाई में भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया। तहसीलदार ने कहा कि गड्ढे की भूमि पर मकान बनाकर कब्जा किया था। आज अतिक्रमणकारियों व ग्रामीणों की उपस्थिति में जहां तक कब्जा था उसे जेसीबी के जरिये हटा दिया गया है। चेतावनी दी गई कि फिर से कब्जा किया गया तो कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।