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    प्रयागराज में कहां छिपा है तेंदुआ, वन विभाग लोकेशन नहीं ट्रेस कर पा रहा, दिखने के बाद गायब हो जाता है, गंगापार में दहशत का माहौल

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 03:38 PM (IST)

    प्रयागराज के फूलपुर रेंज में तेंदुआ पिछले कई दिनों से वन विभाग को चकमा दे रहा है। सुदनीपुर कला के आसपास उसकी मौजूदगी के निशान मिले। वन विभाग ने जाल और पिंजरे लगाए हैं लेकिन तेंदुआ पकड़ में नहीं आ रहा। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है क्योंकि तेंदुआ गांव के आसपास ही घूम रहा है और नीलगाय को अपना शिकार बना रहा है।

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    प्रयागराज के गंगापार इलाके में तेंदुए ने ग्रामीणों को आतंकित कर रखा है, वन विभाग की पकड़ से दूर है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। जंगल से भटककर प्रयागराज के गंगापार के इलाके में आए तेंदुआ ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। वहीं वन विभाग को भी छका रखा है। विभाग की टीम तेंदुआ को पकड़ने का हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन वह उनके हाथ नहीं आ रहा है।

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    पिछले करीब 20 दिन से फूलपुर रेंज के सुदनीपुर कला के आसपास उसकी मौजूदगी के सुराग मिलते हैं। उसे के लिए महकमे ने जाल भी बिछाया है। अलग-अलग दो जगह पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन वह इसके आसपास भी नहीं फटक रहा है। विभाग की यह विफलता ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ा रही है।

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    फूलपुर के सुदनीपुर में चार दिनों पूर्व देखा गया था तेंदुआ

    सुदनीपुर कला गांव के भीटेश्वर बाबा मंदिर के पास चार दिन पहले तेंदुआ देखा गया था। इससे पहले भी करीब 15 दिन से यहां के लोग तेंदुए के आने की बात कह रहे थे, लेकिन किसी के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं थे। सड़क पार करते हुए वीडियो के सामने आने के बाद इसकी पुष्टि हुई। हालांकि दैनिक जागरण प्रसारित वीडियो की पुष्टि नहीं करता।

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    बरसाती नाले से होकर आने-जाने की कयास

    वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि गांव के पास एक बरसाती नाला है। यह नाला बैरगिया नाले में मिलता है। फिर बैरगिया नाला गंगा नदी में जाकर मिल जाता है। इस नाले के इर्द-गिर्द बड़ी-बड़ी और घनी झांड़ियां हैं। अनुमान है कि तेंदुआ इन्हीं झांड़ियों के सहारे विचरण कर रहा है। उसका स्वभाव एक जगह ठहरने वाला नहीं है।

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    इसलिए नहीं मिल रहे तेंदुआ के पदचिह्न

    बताया कि 10 से 15 किमी के इसी दायरे में वह घूम रहा है। क्योंकि, इस जंगली इलाकों में नीलगाय रहती हैं। कुत्ते व अन्य मवेशियों का आना-जाना होता है। उम्मीद है कि इन्हीं के सहारे तेंदुआ अपना पेट भर रहा है। जमीन पर घास की वजह से उसके पगचिह्न नहीं मिलते। खेतों की तरफ आता भी है तो हमेशा मेड़ पर ही चलता है। इसलिए, बाहर भी इसके पगचिह्न नहीं दिख रहे हैं।

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    नीलगाय को बना चुका है शिकार

    गांव के मुन्ना पाल, मुंशी, भीटेश्वर मंदिर के अवधेशदास आदि ने बताया कि देवकली गांव निवासी गर्जन सिंह के धान के खेत में एक नीलगाय के शव के अवशेष मिले हैं। आशंका जताई जा रही है कि इसे तेंदुआ ने ही निवाला बनाया है। ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुआ मंदिर परिसर से लेकर देवकली और सुदनीपुर कला गांव के आसपास बराबर देखा जा रहा है। विभाग इसे पकड़ने के ठोस इंतजाम नहीं कर रहा है।

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    वन रेंजर बोले- तेंदुआ की लोकेशन ट्रेस की जा रही

    वन विभाग के फूलपुर रेंजर लक्ष्मीकांत दुबे का कहना है कि तेंदुआ को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए गए हैं। इसके अलावा सुदनीपुर से लेकर लाक्षागृह तक उसकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है। जैसे ही उसकी लोकेशन मिलेगी, वैसे ही उसे ट्रैकुलाइज कर पकड़ने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

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