Human Trafficking Case : सीमांचल एक्सप्रेस से प्रयागराज में रेस्क्यू 18 नाबालिगों से पूछताछ, क्या वे मानव तस्करों के चंगुल में थे
Human Trafficking Case प्रयागराज में सीमांचल एक्सप्रेस से 18 नाबालिग बच्चे मानव तस्करी से बचाए गए थे। आरपीएफ और जीआरपी ने संयुक्त कार्रवाई में बच्चों को छुड़ाया था उनकी काउंसलिंग जारी है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को रिपोर्ट सौंपी जाएगी जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज होगा। पहले रेस्क्यू किए गए 10 बच्चों में से तीन को अभिभावकों को सौंप दिया गया है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Human Trafficking Case जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस (12487) में पांच सितंबर को मानव तस्करी की सूचना पर आरपीएफ और जीआरपी ने संयुक्त रूप से छापेमारी की थी। इस दौरान 18 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। इन बच्चों की काउंसलिंग प्रक्रिया अभी जारी है। इसके आधार पर आज यानी शनिवार को जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
रेस्क्यू किए गए 18 नाबालिगों की काउंसलिंग चल रही है। इन बच्चों से मानव तस्करी के संदिग्ध नेटवर्क, उनकी यात्रा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए गहन पूछताछ की जा रही है। काउंसलिंग की प्रक्रिया देर शाम तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सौंपी जाएगी।
सीडब्ल्यूसी इस रिपोर्ट के आधार पर अपनी जांच को आगे बढ़ाएगी और बच्चों से स्वतंत्र रूप से जानकारी एकत्र करेगी। सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के आधार पर जीआरपी थाने में मानव तस्करी के इस मामले में मुकदमा दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
इसके साथ ही, दो सितंबर को रेस्क्यू किए गए 10 नाबालिगों के मामले में भी प्रगति हुई है। इनमें से तीन बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ बिहार भेज दिया गया है। शेष सात बच्चों के आवेदनों पर सीडब्ल्यूसी आज विचार करेगी और यह निर्णय लेगी कि इन्हें उनके अभिभावकों को सौंपा जाए या अन्य व्यवस्था की जाए। यह प्रक्रिया बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य को ध्यान में रखकर की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षित और उचित वातावरण में रहें।
एसपी जीआरपी प्रशांत वर्मा ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है। बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।
सीनियर डीएससी विजय प्रकाश पंडित ने बताया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आरपीएफ ने अपनी निगरानी को और सघन कर दिया है। ऐसी कार्रवाइयां भविष्य में भी जारी रहेंगी ताकि मासूम बच्चों को तस्करी के चंगुल से बचाया जा सके। फिलहाल सीडब्ल्यूसी की भूमिका इस मामले में अहम है। बच्चों की काउंसलिंग और उनकी पृष्ठभूमि की जांच के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे सुरक्षित स्थान पर रहें।
पढ़ें क्या है पूरा मामला
पांच सितंबर को जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस (12487) में मानव तस्करी की सूचना पर आरपीएफ और जीआरपी ने रेस्क्यू कर 30 बच्चों को ट्रेन से उतारा। इनमें 18 नाबालिगों को चाइल्ड लाइन ने सीडब्ल्यूसी कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें बालगृह भेज दिया गया। पूछताछ में पता चला कि इन्हें लुधियाना में किसी मदरसे में ले जाया जा रहा था, लेकिन कोई पता नहीं बता सका। वहीं, बाकी 12 बच्चों के परिजन साथ में थे, कागजातों की जांच के बाद उन्हें स्वजनों को सौंप दिया गया।
10 में से तीन बच्चे अभिभावक संग बिहार रवाना
दो सितंबर को रेस्क्यू किए गए 10 बच्चों में से तीन को उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। बिहार के कटिहार, खगड़िया, पुर्णिया, और अररिया से आए अभिभावकों में से केवल तीन ही मूल जन्म प्रमाण पत्र और आवश्यक दस्तावेज पेश कर सके। बाकी बच्चों के मामले में जांच जारी है। एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) ने अभिभावकों से पूछताछ की और फरार ठेकेदारों की तलाश शुरू कर दी है।
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