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तमाम साधन मौजूद..लेकिन आय बढ़ाने की इच्छाशक्ति का है अभाव

नगर निगम के पास आय के स्रोत बेशुमार हैं। लेकिन शत-प्रतिशत वसूली निष्क्रिय पड़े

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 08:45 AM (IST)
तमाम साधन मौजूद..लेकिन आय बढ़ाने की इच्छाशक्ति का है अभाव

मेरठ,जेएनएन। नगर निगम के पास आय के स्रोत बेशुमार हैं। लेकिन शत-प्रतिशत वसूली, निष्क्रिय पड़े मदों से आय अर्जित करने की प्लानिग को लेकर निगम असफर गंभीर नहीं हैं। इसे लापरवाही कहिए या फिर इच्छाशक्ति का अभाव। हकीकत यही है कि कर-करेत्तर की वसूली का वार्षिक लक्ष्य 99 करोड़ है। लेकिन इसके सापेक्ष सालभर में 60 करोड़ की वसूली बमुश्किल हो पाती है। यही वजह है कि नगर निगम को विकास कार्य के लिए केंद्र व राज्य सरकार की तरफ देखना पड़ता है।

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गृहकर वसूली को लेकर निगम का रवैया उदासीन है। कई साल से 2.44 लाख संपत्तियों पर ही गृहकर लग रहा है। जबकि शहर में 3.50 लाख से अधिक संपत्तियां मौजूद हैं। जीआइएस सर्वे की गति इतनी धीमी है कि इसके पूरे होने के आसार ही नहीं दिखते। सालभर में 55 करोड़ गृहकर, सीवरकर और जलकर के लक्ष्य के सापेक्ष निगम अधिकतम 40 करोड़ रुपये ही वसूल पाता है। अगर नई संपत्तियां कर के दायरे में आ जाएं तो कम से कम निगम की गृहकर से आय चार से पांच गुना बढ़ सकती है। 100 से ज्यादा संपत्तियों पर कर वसूली के वाद लंबित हैं। जिनका निस्तारण नहीं किया जा रहा है। इसी तरह नगर निगम की 950 से अधिक दुकाने हैं। 15 साल से अधिक समय हो गया है, इनका किराया रिवाइज नहीं हुआ। 200 रुपये या 300 रुपये किराए पर दुकाने हैं। जबकि अन्य नगर निगमों में किराया रिवाइज हुआ है। बात सर्किल रेट के आधार पर किराया रिवाइज करने की भी उठी थी। ऐसा करने से किराये से आय कई गुना बढ़ सकती थी। लेकिन निगम किराये से सालभर में करीब 83 लाख आय से ही संतुष्ट नजर आ रहा है। वहीं, पार्किंग के मद में भी आय बढ़ाने पर कोई गंभीर नहीं है। 17 में से 14 पार्किंग रद करने के बाद पार्किंग के लिए नए स्थान निगम तलाश नहीं पा रहा है। जबकि कई स्थानों पर अवैध पार्किंग होती है। इन्हीं को नियमित करके व जरूरी सुविधाएं देकर पार्किंग से आय बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल तीन ही वैध पार्किंग हैं। इस मद में आय का आंकड़ा 50 लाख से नीचे आ गया है। विज्ञापन से अभी आय 1.62 करोड़ ही सालभर में हो पाती है। विज्ञापन की संशोधित नियमावली अगर लागू कर दी जाए तो इस मद में आय लगभग एक करोड़ तक बढ़ सकती है। जबकि निगम की खुली भूमि पर आयोजन का शुल्क, पब्लिक सरचार्ज, मुर्दा मवेशी, यूजर चार्ज आदि से एक भी रुपये की आय नहीं है।

निगम की आय के प्रमुख स्रोत

गृहकर, जलकर, सीवरकर, लाइसेंस शुल्क, विज्ञापन शुल्क, शो टैक्स, किराया शुल्क, अभिलेखागार, पार्किंग शुल्क, ठेकेदार पंजीयन शुल्क, तमाम प्रकार के अर्थदंड, रोड कटिग शुल्क, जल मूल्य, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शुल्क, मानचित्र शुल्क, टेंडर व निविदा शुल्क, ठेकेदार जमानत शुल्क, नाम परिवर्तन शुल्क आदि प्रमुख मद हैं।

आय के इन स्रोतों की नहीं होती समीक्षा

- कुत्ता पालने पर लाइसेंस शुल्क का प्रविधान है। इस वित्तीय वर्ष में इसे लागू किया गया है। अभी तक 80 लाइसेंस जारी हुए हैं। जिसके सापेक्ष 40,000 रुपये की आय हुई। लेकिन पालतू कुत्तों द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाने पर जुर्माना नहीं वसूला जा रहा है। जबकि न्यूनतम 500 रुपये जुर्माने का प्रविधान है।

- कूड़ा जलाने पर 19 लोगों के चालान काटे गए हैं। जिनसे 15500 रुपये जुर्माना वसूला गया है। लेकिन सड़क और खाली प्लाट में कूड़ा फेंकने, नाला-नाली में कूड़ा फेंकने पर जुर्माने की कोई कार्रवाई नहीं होती है। जबकि स्वच्छता कायम करने के साथ आय बढ़ाने का ये भी स्रोत है।

- बिना अनुमति सड़क खोदने, बोर्ड व होर्डिंग लगाने, नाली बनाने आदि पर भी जुर्माने का प्रविधान है। लेकिन अवैध होर्डिंग लगाने पर ही इस वित्तीय वर्ष में 35000 रुपये का जुर्माना किया गया है। बाकी मदों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

- लाइसेंस शुल्क नगर निगम की आय का बड़ा स्रोत है। नर्सिंग होम, क्लीनिक, एक्स-रे सेंटर, किराना स्टोर, देशी-विदेशी शराब की दुकाने समेत कई मदों पर लाइसेंस शुल्क निर्धारित है। लेकिन इससे आय साल भर में 38 लाख तक ही हो पाती है। जबकि सही से इसे लागू किया जाए तो कम से कम एक करोड़ से ऊपर की आय होगी।

गोबर की गंदगी बहाने पर काटे चालान, पर वसूली नहीं

नाले-नालियां डेयरियों के गोबर से चोक हैं। पूर्व नगर आयुक्त डा. अरविद चौरसिया के वक्त गोबर की गंदगी बहाने पर 45 डेयरियों के लगभग तीन करोड़ से अधिक के चालान काटे गए थे। लेकिन वसूली नहीं हुई। वर्तमान में प्रवर्तन दल ने जो चालान काटे हैं। उसमें जुर्माना वसूला जाता है। जिससे लगभग आठ लाख रुपये निगम को प्राप्त हुए हैं।

इन्होंने कहा कि..

नगर निगम की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में भवन कर के दायरे में लाने की तैयारी है। विज्ञापन की संशोधित नियमावली लागू करने की तैयारी है। लाइसेंस शुल्क की शत-प्रतिशत वसूली के लिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं। दो से तीन माह के अंदर स्थिति में काफी हद तक सुधार दिखाई देगा।

श्रद्धा शांडिल्यायन, अपर नगर आयुक्त


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