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Exclusive: 'कांग्रेस फील्ड में नहीं, लेकिन मुफ्त की रेवड़ियों का प्रभाव पड़ता है', जागरण के साथ खास बातचीत में बोले जेपी नड्डा

भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अहम भूमिका निभा रहे हैं। व्यस्त चुनावी कार्यक्रमों के बीच उन्होंने चार चरणों के मतदान के निहितार्थ और अगले तीन चरणों की तैयारियों के साथ-साथ पार्टी के सामने चुनौतियों पर दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और विशेष संवाददाता नीलू रंजन के साथ खुलकर बात की।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Sat, 18 May 2024 09:11 PM (IST)
Exclusive: 'कांग्रेस फील्ड में नहीं, लेकिन मुफ्त की रेवड़ियों का प्रभाव पड़ता है', जागरण के साथ खास बातचीत में बोले जेपी नड्डा
भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने में जेपी नड्डा अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। चार चरणों में दो तिहाई लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। मत प्रतिशत में गिरावट को लेकर तरह-तरह से कयासों का दौर जारी है। सीटों के लिए अलग-अलग दावे भी किए जा रहे हैं। भाजपा अबकी बार 400 पार से नारे पर अडिग है, तो विपक्ष की ओर से 200 से नीचे सिमटने का दावा कर रहा है।

भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अहम भूमिका निभा रहे हैं। व्यस्त चुनावी कार्यक्रमों के बीच उन्होंने चार चरणों के मतदान के निहितार्थ और अगले तीन चरणों की तैयारियों के साथ-साथ पार्टी के सामने चुनौतियों पर दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और विशेष संवाददाता नीलू रंजन के साथ खुलकर बात की।

पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न- चुनाव तो अब खत्म होने की ओर बढ़ रहा है। कोई ठोस आंकड़ा दे पाएंगे कि भाजपा कहां तक पहुंचेगी?

उत्तर- अभी नहीं। पांचवें-छठे चरण के बाद बिल्कुल ठोस आंकड़ा बता दूंगा। लेकिन यह मानकर चलिए कि जो रुख दिख रहा है उसमें भाजपा अकेले 370 पार करने जा रही है और एनडीए 400 से अधिक जाएगी। हमें बहुत अच्छी बढ़त पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मिल रही है। 90 फीसद आंध्रप्रदेश में लेंगे। दोगुना से ज्यादा हम तेलंगाना में आएंगे। केरल में अच्छे अंकों में खाता खोल रहे हैं। तमिलनाडु में खाता खोल रहे हैं। कर्नाटक में स्थिति बरकरार रख रहे हैं। बाकी राज्यों में भी हम पुराने प्रदर्शन पर कायम रहेंगें। एक-दो ही कम हो सकता है।

प्रश्न- भाजपा की जीत में एक अहम भूमिका मुफ्त अन्न योजना की रही है। कांग्रेस ने इसे बड़ा आकार देते हुए पांच किलो के बजाय 10 किलो प्रतिमाह करने का ऐलान किया है। इससे कोई फर्क पड़ेगा?

उत्तर- यह तो उनकी बौखलाहट और हताशा को दिखाता है। उन्हें पता है कि वह अपने निम्नतम अंक पर जा रही है तो बीच चुनाव मे घोषणा कर दी। कांग्रेस ड्राइम रूम से निकलकर मीडिया, अखबार तक ही रह जाता है। इनके पास निचले स्तर तक जाने की एक तो कोई व्यवस्था नहीं है।

प्रश्न- कांग्रेस फिल्ड में ही नहीं है। लेकिन देखने में आया है कि मुफ्त की रेवड़ियों का प्रभाव कई बार चुनाव पर पड़ता है और इसके कारण भाजपा को ऐसी घोषणा करनी पड़ती है?

उत्तर- भाजपा ने जो-जो कहा है उसका प्रभाव इसीलिए आया कि भाजपा की सरकारों ने डिलिवर किया है। मोदी जी अप्रैल 2020 से मुफ्त अनाज दे रहे हैं। लोगों को उनके डिलिवरी पर भरोसा है। कांग्रेस यदि हिमाचल प्रदेश में बोलती है कि महिलाओं का राशन देंगे तो लोग बोलेंगे कि पहले पेंशन तो लाओ। डेढ़ साल में नहीं दे पाए। कांग्रेस की कथनी और करनी में दिन रात का फर्क है। इसलिए, उन पर कोई विश्वास नहीं करता है। साख बहुत बड़ी चीज होती है। अब केजरीवाल कहें कि महिलाओं का सम्मान करेंगे तो कौन भरोसा करेगा।

प्रश्न- पर आम आदमी पार्टी तो कह रही है कि स्वाति मालिवाल को भाजपा ने ही केजरीवाल को फंसाने के लिए मुख्यमंत्री आवास भेजा था?

उत्तर- एक तो चोरी, उपर से सीनाजोरी और इनकी बेशर्मी। उनकी साख। राजनीति में मैं जो बोल रहा हूं कि उसकी साख मेरे कहने पर तय नहीं होगी, मेरे 40 साल के राजनीतिक जीवन से तय होगी। इसीलिए कह रहा हूं कि कांग्रेस कुछ कहती है तो लोग भरोसा नहीं करते हैं क्योंकि लोगों ने देखा है वह केवल धोखा देती है।

प्रश्न- जेल से आने के बाद केजरीवाल काफी ज्यादा हमला कर रहे हैं और भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की भी बात कर रहे हैं। क्या बोलेंगे?

उत्तर- बौखलाहट है। उनको मालूम है कि अपना घर संभलता नहीं, दूसरे घर पर टिप्पणी कर रहे हैं। सच्चाई यही है कि भाजपा मोदी जी के नेतृत्व में अगले पांच साल पूरा काम करेगी और उसके बाद आगे भी हम उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे। केजरीवाल पहले खुद की जगह मुख्यमंत्री तो तय कर लें।

प्रश्न- भाजपा सालों भर काम करने वाली पार्टी है। जमीन पर काम की रिपोर्ट भी आप लेते रहे हैं। फिर जमीन पर कई सांसदों के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। इसके पीछे क्या कारण है?

उत्तर- हमने बहुत सारे टिकट बदले हैं। पर इतनी बड़ी पार्टी में सबकुछ बदल डालें, यह संभव नहीं है। कई बार लगता है कि सांसद फिर जीत जाएगा, उसे टिकट दे देते हैं। सांसद भी दो दिन में नहीं निकलता है। सात विधानसभाओं में उसकी छवि हो, जानकार हो, अनुभवी हो। कई बार ऐसा विकल्प नहीं मिलता है। ऐसे में संगठन समर्थन में आता है और चीजों को आगे निकाल कर ले जाता है। यह सतत प्रक्रिया है। संगठन की मदद से ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव जीतकर आएंगे।

इसमें भी कई फैक्टर काम करते हैं। कुछ नाराज को हम मनाते हैं, कुछ नए लोगों को जोड़ते हैं। फिर मतदाताओं को यह भी समझाने की कोशिश करते हैं कि मोदी जी के लिए उन्हें भाजपा को वोट करना चाहिए और मतदाता समझते भी हैं। इसके साथ ही ऐसे मुद्दों को हम भविष्य के लिए नोट करके भी रखते हैं।

प्रश्न- माना जाता है कि आरएसएस जमीन पर जो काम करता है उसका फायदा चुनाव में भाजपा को मिलता है। इस बार कुछ चरणों में कम वोटिंग हुई। तो क्या भाजपा और संघ के बीच समन्वय की कमी को कारण माना जा सकता है?

उत्तर- देखिए आप दो बातों को जोड़ रहे हैं। आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है जो देश निर्माण के लिए काम करता है और हर उस संगठन को उसके प्रयास से ताक़त मिलती है जो देश और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में जुड़ता है। संघ का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा के लिए जो चुनावी कार्य करना है कि पार्टी के कार्यकर्ता करते हैं। हमारी खुद का काडर बहुत सक्रिय है। प्रधानमंत्री मोदी के काम को जमीन तक ले जाते हैं। रही बात वोटरों में सक्रियता की तो यह मान कर चलिए कि हमारे वोटर पहुंच रहे हैं।

प्रश्न- हरियाणा और पंजाब में भाजपा उम्मीदवारों को प्रचार करने से रोकने की खबरें आ रही हैं। इससे कैसे निपटेंगे?

उत्तर- हरियाणा में तो नहीं है, पंजाब में है। हरियाणा में ठीक है, कुछ इलाके में थोड़ा बहुत हो सकता है। दरअसल किसान आंदोलन भी पूरे देश के किसानों का आंदोलन नहीं था, यह पंजाब केंद्रित ही था। पंजाब के ही किसानों के आंदोलन को अखिल भारतीय बनाने की कोशिश की गई। इस बार फिर से चुनाव से पहले ऐसी कोशिश की गई थी, लेकिन रूक गया। अब किसी आंदोलन को जनसमर्थन नहीं मिलता है तो हताशा तो होती ही है। इतना ही है ये। राजनीतिक रूप से हमें इससे निपटना है और हम निपटेंगे।

प्रश्न- पंजाब में भाजपा पहली बार अकेले चुनाव मैदान में है। मुकाबला अकाली दल, कांग्रेस, आप और भाजपा के बीच चतुष्कोणीय होने जा रहा है। पंजाब में भाजपा के लिए राजनीतिक स्थिति कैसी है?

उत्तर- अच्छी है। हमारा वोट शेयर बढ़ेगा। हम अपनी सीटों को बरकरार रख पाएंगे। बहुत साफ है कि पंजाब में राजनीति आयाम बदल रहे हैं। पहले हम अकाली का हिस्सा थे। हम बाहर निकले हैं और अब पूरे पंजाब की पार्टी की बन रहे हैं। किसानों का विषय आया है, हम इसको भी डील करेंगे। कुछ लोगों को उम्मीदें होंगी। धीरे-धीरे हम राज्य का चुनाव और अच्छे से लड़ेंगे और पार्टी का विस्तार करेंगे।

प्रश्न- पार्टी के भीतर से भी भाजपा के कांग्रेसीकरण होने का आरोप लग रहा है। आपने लगभग 30 फीसद ऐसे लोगों को टिकट दिए, जो बाहर से आए हैं?

उत्तर- कांग्रेसीकरण का तो सवाल ही नहीं, क्योंकि हम विचारधारा से समझौता नहीं करते हैं। जो आए वह हमारे हो गए हैं। हां लोगों को शामिल किया क्योंकि पार्टी का और विस्तार करना है और उसे आगे बढ़ाना है। इसमें तीन चीजों की चिंता करनी होती है। एक विचारधारा से समझौता नहीं हो, दूसरा कैडर डिस्टर्ब नहीं हो और तीसरा जनता बीच पहुंच बढ़े। हमने जिसको भी लिया है, सब नापतौल कर लिया है। हमारा कैडर एकजुट रहा है, उनको अस्वीकार करने की कोई घटना नहीं मिलेगी।

पार्टी में इतनी ताकत है कि हम किसी को भी अपने में आत्मसात कर लेते हैं। ये कहते भी है कि वे भाजपा में ज्यादा सहज है, अपनी पुरानी पार्टी की तुलना में। जेपी नड्डा को रात में एसएमएस करो, तो सुबह फोन आ जाएगा। कांग्रेस में तो राहुल गांधी दो साल तक दर्शन नहीं देते थे। यही कारण है कि कांग्रेस से आए नेता यहां ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं। इसके साथ ही जिन्हें लाते हैं, उनसे लगातार बातचीत करते रहते हैं।

प्रश्न- भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। सरकार में भी दो बार से लगातार आ रहे हैं। फिर भी विस्तार के बाहरी लोगों को जगह दे रहे हैं?

उत्तर- हम आगे क्यों नहीं बढ़ें। विचाराधार में इतनी मजबूत पार्टी होने के बावजूद भी देश में राष्ट्रविरोधी ताकतें सक्रिय हैं कि नहीं। ये लोग हर दिन नया नैरेटिव खड़ा करते हैं। विदेशी मीडिया भी भूमिका निभाता है। हमारा इकोसिस्टम डिस्टर्ब होता है। इतनी बड़ी संख्या में होने के बावजूद यदि यह स्थिति है तो साफ है कि हमें और काम करना पड़ेगा। शब्द अच्छा नहीं है, लेकिन ये कैंसर के सेल्स रहे क्यों। इसलिए हमें कीमोथेरैपी करते रहना पड़ता है और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना होता है।

प्रश्न- कहा जा रहा है कि इस बार चुनाव में कोई मुद्दा नहीं है। आपको क्या लगता है कि किस मुद्दे पर लोग वोट दे रहे हैं?

उत्तर- लोगों को मुद्दा इसीलिए नहीं दिखाई पड़ता है कि उन्हें लगता है कि वे कोई मुददा खड़ा कर चुनाव को अपने पक्ष में ले जाएंगे। देश की जनता ने आठ महीने पहले ही मोदी जी दोबारा लाने का मन बना लिया है। मोदी जी का काम देश देख चुका है। मोदी ही मुद्दा हैं।

प्रश्न- पर सभी सर्वेक्षणों में बेरोजगारी खासतौर पर युवाओं के लिए बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ रहा है। क्या आपको लगता है कि इसे लेकर ज्यादा प्रयास होने चाहिए थे?

उत्तर- कर ही रहे हैं और आगे भी करेंगे। इस पर जितना काम मोदी जी ने किया है उतना किसी ने नहीं किया है। बेजरोजगारी की परिभाषा को भी अलग-अलग ढंग से देखने की जरूरत है। बेरोजगारों और युवाओं को भी यदि आशा है तो मोदी जी से ही है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी से नहीं है।

प्रश्न- भाजपा का स्ट्राइक रेट हमेशा अच्छा रहा है। लेकिन सहयोगी दलों के प्रदर्शन को लेकर खासतौर पर बिहार से संदर्भ में आपका क्या आकलन है?

उत्तर- चुनाव मैदान में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ है। हमने 400 पार का नारा राजग के लिए ही दिया है। आपने देखा होगा कि मेरी खुद की और अन्य वरिष्ठ नेताओं की बहुत सारी सभाएं एनडीए सहयोगियों के लिए हुई हैं। भाजपा तो सबको साथ लेकर ही चलती है। हमारे सहयोगी दल भी मोदी जी के नाम पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। हम उन्हें भी जिताकर लाएंगे।