मऊ में सरयू में उफान, धनौली से लेकर मुक्तिधाम तक तटीय क्षेत्रों की स्थिति हुई भयावह
मऊ के दोहरीघाट में सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से धनौली गांव के पास भयंकर बैक रोलिंग हो रही है। मुक्तिधाम तटीय क्षेत्र में स्थिति भयावह है जहां 40 करोड़ रुपये के पीचिंग एप्रन भी विफल हो रहे हैं। नदी की धारा मुक्तिधाम शव दाह शेड के दक्षिणी छोर पर 500 मीटर तक गहरी हो गई है।

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट ( मऊ) । जिले में सरयू नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। नदी का रुख तल्ख होने के साथ ही धाराएं चुनौती प्रदान कर रही हैं। यहां दोहरीघाट में पांच सौ मीटर में नदी की बैक रोलिंग से नदी की की गहराई लगातार बढ़ती ही जा रही है।
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मंगलवार को भी सरयू नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने का क्रम जारी होने से जहां एक बार फिर धनौली गांव के समीप सरयू नदी की बैकरोंलिग होते ही धनौली रामपुर से लेकर मुक्तीधाम तटीय क्षेत्र की स्थिति बहुत भयावह हो गयी है। इसकी वजह से सिंचाई विभाग के अधिकारियो को कटान रोकने का कोई भी उपाय नहीं सूझ रहा है। जबकि इस तटीय इलाके के कटान रोकने हेतु 40 करोड़ रूपये से पीचिंंग लाचिंग पैड बनाये गये थे।
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दोहरीघाट में लेकिन सरयू नदी के बैकरोलिंग करने से दस ठोकर नदी की धारा में पहले ही विलीन हो गये हैं और नदी की गहराई से भयावह स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इसकी वजह से हादसों की भी संभावना बढ़ गई है। हालांकि विभागीय अधिकारी इससे उत्पन्न खतरे से निपटने के प्रयास कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। नदी का खतरा बिंंदु 69.90 मीटर के सापेक्ष इस समय नदी 68.90 मीटर पर बह रही है जो खतरा बिंं से फिलहाल करीब एक मीटर तक नीचे है। इधर नदी मुक्तिधाम शव दाह शेड से दक्षिणी छोर पर करीब पांच सौ मीटर तक नदी की धारा आकर टकराने से पूरी तरह से इतनी गहरी हो गयी जिसे देखकर लोग सहम जा रहे हैं।
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सरयू नदी की पूरी धारा धनौली मुक्तीधाम तक बने पीचिंग अपरन ठोकर से टकरा रही है। इसकी वजह से तटीय इलाके के लोग सहम गये हैं। ठोकर टूट रहे हैं और नदी नीचे से गहराई करती जा रही है। यही हाल रहा तो निश्चित ही बन्धा को कटने से कोई रोक नहीं पायेगा पूरी धारा इधर ही पलट जाने से कटान रोकना बेहद मुश्किल हो जायेगा।
जबकि नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है और यहां पर खतरा लगातार बरकरार है। जानकार तो यह कह रहे हैं कि अगर आजमगढ़ मुक्तिधाम व नगर की बची धरोहरों को बचाना है तो एक मात्र ड्रोजर चैनल से नदी के उस पार रेता काटना व नदी की धारा मोड़ना ही विकल्प है। अन्यथा की स्थिति में आने वाले दिनों में परिणाम भयावह हो जायेंगे।
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