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    Year Ender 2024: यूपी में बिजली निजीकरण, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए स्कीम...2024 में योगी सरकार के बड़े फैसले

    Year Ender 2024 | UP news | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2024 में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इनमें पान मसाला और गुटखा मशीनों के रजिस्ट्रेशन पर जीएसटी चोरी रोकने के लिए कदम उठाना बिजली दरों में वृद्धि न करना पीढ़ियों की संपत्ति के बंटवारे के लिए स्टाम्प शुल्क कम करना आदि शामिल है। चलिए सीएम योगी के 2024 के अहम फैसलों पर एक नजर डालते हैं।

    By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 30 Dec 2024 08:13 PM (IST)
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    Year Ender 2024 | योगी सरकार ने साल 2024 में कई बड़े फैसले लिए। (तस्वीर जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi government in UP) अपनी तेज तर्रार और साफगोई छवि के लिए जाने जाते हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP Government) ने उन्हें जिस अंदाज में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज किया था, उससे सब हैरान रह गए थे।

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    कुर्सी पर बैठने के बाद सीएम योगी भी उसी अंदाज में विपक्ष को आश्चर्यचकित करते रहते हैं। योगी काल में न सुगबुगाहटों की फुसफुसाहट होती है और न कयासों का बाजार गर्म होता है। डायरेक्ट निर्देश दिए जाते हैं और पूरा महकमा काम में जुट जाता है।

    (Year Ender 2024) 2024 में भी कई ऐसे मौके आए, जब सीएम योगी (CM Yogi) ने अपने फैसलों से सबको आश्चर्यचकित कर दिया। फिर चाहे डीजीपी की नियुक्ति का मामला हो या अलग-अलग जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने की... चलिए, सीएम योगी के 2024 के अहम फैसलों पर एक नजर डालते हैं।

    1- पान मसाला, गुटखा मशीन के रज‍िस्‍ट्रेशन पर योगी सरकार का फैसला

    उत्तर प्रदेश में तंबाकू, पान मसाला और गुटखा बनाने वाली कंपनियों के लिए जीएसटी की चोरी करना अब आसान नहीं होगा। इस तरह के संवेदनशील उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को राज्य जीएसटी में भी अपनी मशीनों का पंजीकरण कराना होगा। हर मशीन के उत्पादन का विवरण रिटर्न दाखिल करते हुए देना होगा। पंजीकरण न कराने पर हर मशीन पर एक लाख रुपये राज्य कर विभाग जुर्माना लगा सकता है।

    4 नवंबर को यूपी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दी। अब तक केंद्र सरकार ने जीएसटी में मशीनों का पंजीकरण कराने और ऐसा न करने पर जुर्माना लगाने का प्राविधान किया है। इसी के आधार पर सभी राज्यों को अपने यहां भी मशीनों के पंजीकरण और उनसे होने वाले उत्पादन के आधार पर टैक्स लगाने की व्यवस्था को लागू करना था।

    उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश 2024 को कैबिनेट से स्वीकृति दिलाकर नई धारा-122 क को जोड़ा गया है। इसके तहत जो कंपनियां इस धारा का उल्लंघन करेंगी, उन पर प्रति मशीन एक लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही मशीन को सील भी कर दिया जाएगा। पंजीकरण और जुर्माना राशि जमा करने के तीन दिन बाद मशीन को सीलमुक्त कर दिया जाएगा। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    2- योगी सरकार ने बिजली दरों को नहीं बढ़ाया

    उत्तर प्रदेश में लगातार पांचवे साल भी बिजली बिल की दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई। दिवाली के पहले ही योगी सरकार (Yogi Government) ने प्रदेश निवासियों को ये तोहफा दिया था। उन्होंने बिजली की दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि ना करने का आदेश जारी किया था। इससे बिजली कंपनी की रेट वृद्धि प्रस्तावों को झटका लगा था।

    राज्य विद्युत नियामक आयोग ने साफ किया था कि प्रीपेड मीटर पर कनेक्शन जोड़ने और काटने के लिए 50 रुपये चार्ज का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। बता दें कि बिजली उपभोक्ताओं की ओर से भी दर में बढ़ोत्तरी के प्रस्तावों का विरोध किया गया था। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    3- यूपी में बिना विवाद पीढ़ियों की संपत्ति का हो सकेगा बंटवारा

    उत्तर प्रदेश में अब बिना विवाद पीढ़ियों की संपत्ति का आसानी से बंटवारा हो सकेगा। एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क 5000 रुपये होगा।

    सिर्फ 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्तसंबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश को पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिली।

    यह होता है विभाजन

    विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं विभाजन उनके मध्य होता है। विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा / भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    4- यूपी में बिजली निजीकरण पर मुहर

    उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण (Electricity Privatization) की तैयारी तेज हो गई है। प्रदेश के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की योजना है। इसके लिए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर चलाने का प्रस्ताव है।

    निजी कंपनी के बिजली व्यवस्था संभालने के एक वर्ष तक सभी को जहां हैं वहीं काम करना होगा। अन्य डिस्काम में स्थानांतरित किए जाने का विकल्प देने वालों में से कारपोरेशन प्रबंधन सिर्फ एक-तिहाई को दूसरे वर्ष के अंत में मौका देगा। शेष दो-तिहाई को निजी कंपनी से निकलने के लिए अगले दो वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा। निजी कंपनी में बने रहने का विकल्प देने वालों की नौकरी भी तभी सुरक्षित रहेगी, जब उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हो। वीआरएस लेने का विकल्प भी एक वर्ष बाद लागू होगा। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    5- प्रदेश सरकार ने धान क्रय नीति को स्वीकृति दी

    सीएम योगी (CM Yogi) ने अक्टूबर माह में किसानों को बड़ी राहत देते हुए धान की नई खरीद नीति को मंजूरी दी। सरकार ने खरीफ वर्ष 2024-25 के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ा दिया है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2320 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। गत वर्ष की तुलना में 117 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। 

    किसानों को इस एप पर करना होगा रजिस्ट्रेशन

    किसानों को अपनी धान की फसल बेचने के लिए खाद्य और रसद विभाग की वेबसाइट fcs.up.gov.in पर या UPKISAN MITRA मोबाइल एप के जरिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बता दें कि सिर्फ रजिस्टर्ड किसानों से ही धान की खरीद की जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे किसानों को न केवल उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि बटाईदार किसान भी इसका लाभ उठा सकेंगे। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    6- यूपी को मिली 18 मेडिकल कॉलेज की सौगात

    2024 में स्वास्थ्य सेवाओं की भी बढ़ोतरी हुई है। साल 2024 में उत्तर प्रदेश को 18 मेडिकल कॉलेज (Medical College) मिला। यूपी के बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, गोंडा, औरैया, चंदौली, कौशांबी व सोनभद्र जि‍ले में सरकारी मेडिकल कॉलेज (Medical College) खोले गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 25 फरवरी 2024 को रायबरेली एम्स का वर्चुअली शुभारंभ भी क‍िया था।

    7- उत्तर प्रदेश में वर्दी भत्ते में हुआ बदलाव

    उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सरकारी कार्यालयों में तैनात वाहन चालकों और अनुसेवकों का वर्दी भत्ता बढ़ा दिया गया है। एमएसएमई विभाग (MSME) द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार, वर्दी की खरीद, नवीनीकरण और धुलाई के लिए भत्तों में वृद्धि की गई है, जिससे कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

    अब वर्दी खरीदने के लिए कर्मचारियों को 680 रुपये के बजाय 1,020 रुपये मिलेंगे। इसके अलावा रेनकोट की खरीद के लिए भत्ता भी बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है, जो पहले 500 रुपये थी। सर्दियों के वर्दी भत्ते को 1,310 रुपये से बढ़ाकर 1,965 रुपये कर दिया गया है, जबकि जूता भत्ते को 164 रुपये से बढ़ाकर 246 रुपये कर दिया गया है। छाता भत्ता भी 96 रुपये से बढ़ाकर 144 रुपये कर दिया गया है।

    वाहन चालकों के लिए 30 रुपये बढ़ा भत्ता

    इसके अलावा कर्मचारियों को गर्मियों की वर्दी चार साल में एक बार और सर्दियों की वर्दी तीन साल में एक बार दी जाएगी। हालांकि महिलाओं को गर्मियों की वर्दी का भत्ता हर साल मिलेगा। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को मिलने वाले वर्दी धुलाई भत्ते को 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया गया है, जबकि वाहन चालकों के लिए यह भत्ता 60 रुपये से बढ़ाकर 90 रुपये कर दिया गया है। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    8- 'शाही' पर संतों ने उठाया था सवाल

    बीते दिनों उज्जैन (मध्य प्रदेश) में महाकाल की शाही सवारी का नाम राजसी सवारी किए जाने के बाद महाकुंभ में भी उर्दू-फारसी शब्दों के प्रचलन का विरोध संतों ने किया। शाही स्नान व पेशवाई का नाम बदलने की मांग उठाई।

    अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Ahada Parishad) ने शाही को उर्दू शब्द बताते हुए उसकी जगह राजसी स्नान का प्रयोग करने पर जोर दिया। इसके अलावा अमृत स्नान, दिव्य स्नान व देवत्व स्नान में से किसी एक नाम पर विचार भी किया गया। फारसी शब्द पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश शब्द के प्रयोग को लेकर अखाड़ा परिषद की प्रयागराज में बैठक हुई।

    सभी 13 अखाड़ों (Akhada) की सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके उसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजकर सरकारी अभिलेखों में संशोधित शब्दों का प्रयोग करने की मांग उठाई गई। हालांकि प्रदेश की योगी सरकार ने इन मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    9- यूपी में डीजीपी की नियुक्ति का नियम बदला

    राज्य सरकार (Yogi Government) ने अपने स्तर से पुलिस महानिदेशक (DGP) के चयन का रास्ता भी इस साल 2024 में साफ कर लिया। डीजीपी के चयन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित अधिकारी के अलावा अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह व पूर्व डीजीपी शामिल होंगे।

    5 नवंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 संबंधी अहम प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। 

    ऐसा नियम बनाने वाला यूपी चौथा राज्य बना

    डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है। नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि अब डीजीपी की नियुक्ति संबंधित आईपीएस अधिकारी के बेहतर सेवा रिकॉर्ड व अनुभव के आधार पर की जाएगी। उन्हीं अधिकारियों को डीजीपी की नियुक्ति के लिए तवज्जो दी जाएगी, जिनका कम से कम छह माह का कार्यकाल शेष बचा हो। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    10- सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए यूपी सरकार ने लॉन्च की स्कीम

    उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 अगस्त को यूपी डिजिटल मीडिया नीति 2024 को लॉन्च किया। इस योजना के तहत सोशल मीडिया पर एक्टिव इन्फ्लुएंसर्स (Social Media Influencers) के लिए बेहतरीन स्कीम लॉन्च की गई। इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलोअर्स के अनुसार, 2 लाख से 8 लाख रुपये तक का पेमेंट किया जाएगा।

    कितनी होगी कमाई

    सरकार की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अलग-अलग कैटेगरी के तहत बांटा गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं X (एक्स) प्लेटफॉर्म्स के लिए एक ही तरह की कैटेगरी बनाई गई हैं। वहीं, यूट्यूब के लिए अलग से कैटेगरी बनाई गई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं X (एक्स) पर फॉलोअर्स के अनुसार ग्रुप के तहत 2 से पांच लाख रुपये तक तो वहीं यूट्यूब के लिए चार वर्गों में 4 से 8 लाख रुपये तक प्रतिमाह कमाने का मौका होगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को पंजीकरण करना जरूरी होगा। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    11- यूपी में संस्कृत के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना की हुई शुरुआत

    उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 28 अक्टूबर को वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उस दौरान सीएम योगी ने संस्कृत छात्रवृत्ति योजना 2024 (Sanskrit Scholarship Scheme) की शुरुआत की थी।

    उन्होंने राज्य के 69,195 संस्कृत से अध्ययनरत छात्रों के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की राशि स्थानांतरित की। उन्होंने एक साथ 586 लाख रुपये की धनराशि छात्रवृत्ति के रूप में छात्रों को ट्रांसफर की। बता दें कि राज्य सरकार ने इस स्कॉलरशिप को 23 साल बाद पुनः शुरू किया है। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

    12- यूपी में मदरसा एक्ट में संशोधन की तैयारी में योगी सरकार

    योगी सरकार मदरसा में पढ़ने वाले छात्रों को श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव कोशिस कर रही है। सरकार यूपी मदरसा एक्ट 2004 (UP Madarasa Act) में संशोधन की तैयारी में भी है। बता दें कि 5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्‍यता प्रदान की थी।

    कोर्ट ने कहा था कि धर्मनिरपेक्षता के मायने समझने चाहिए। हर धर्म के अपने संस्थान हैं। ऐसे में मदरसों को क्यों निशाना बनाया गया है? कोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा के अधिकार को बरकरार रखा जाना चाहिए। मदरसा एक्ट मदरसों के कामकाज में दखल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह मदरसों के लिए न्यूनतम मानदंड तय कर सकती है। यह देख सकती है कि मदरसों में किस तरह की शिक्षा दी जाए।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट ने इस कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन माना था और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को नियमित स्कूलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

    क्या है यूपी मदरसा एक्ट 2004

    साल 2004 में बनाए गए यूपी मदरसा एक्‍ट के तहत उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की स्थापना की गई। इस कानून का मुख्य उद्देश्य राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा को प्रबंधित और नियोजित करना है। इस एक्‍ट में अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (पारंपरिक चिकित्सा), और दर्शनशास्त्र जैसी पारंपरिक इस्लामी शिक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इस एक्‍ट के तहत मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने का ढांचा प्रदान क‍िया जाता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का भी समावेश किया जा सके। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें)

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