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    गिरफ्तारी के बाद खूब रोया अखिलेश का साथ देने वाला इंस्पेक्टर, बोला- हमने अधिकारियों के आदेश का पालन किया

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:36 PM (IST)

    Akhilesh Dubey Case अखिलेश दुबे का सहयोगी इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा हिरासत में रो पड़ा। उसने कहा कि मेरा कोई कसूर नहीं है। मैं तो सिर्फ अधिकारियों के आदेश का पालन कर रहा था। यह सुनकर पुलिस अधिकारी चौक गए। उसे कोर्ट में पेश किया गया जहां से जेल भेज दिया गया है।

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    अखिलेश दुबे का सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। Akhilesh Dubey Case : वक्फ की तीन बीघा बेशकीमती जमीन कब्जाने के मामले में अखिलेश दुबे का सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा गिरफ्तारी होने पर खूब रोया। कहा, मैं बेकसूर हैं। हमने तो अधिकारी के आदेश का पालन किया। मुकदमा कराने वाले वादी के खिलाफ भी जाजमऊ थाने में मुकदमा दर्ज हैं। उसने नोटिस तामील कराने की खुन्नस निकाली है। मुझे गलत तरह से फंसाया गया है। ग्वालटोली थाना पुलिस ने शनिवार को उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया।

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    परेड निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह शेख ने 13 अगस्त को ग्वालटोली थाने में अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, भतीजी सौम्या दुबे, राजकुमार शुक्ला,शिवांश सिंह, इंस्पेक्टर सभाजीत, मेसर्स केनरी ऐपेरलेस प्राइवेट लिमिटेड, उनके अज्ञात साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि अखिलेश दुबे गिरोह ने सिविल लाइंस स्थित वक्फ की बेशकीमती तीन बीघा जमीन कब्जाई है। मामले में अखिलेश दुबे पहले से ही जेल में है।

    अधिकारियों ने निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को शुक्रवार को पूछताछ के बहाने थाने बुलाया और उसे देर शाम गिरफ्तार किया। इस दौरान सभाजीत ने पुलिस के दो अधिकारियों पर आरोप लगा उन पर सवाल उठाए। उसका कहना था कि मैं तो बेकसूर हूं। हमने जो भी किया। अधिकारियों के आदेश का पालन किया। फिर मुझे क्याें फंसाया जा रहा है। दोनों अधिकारी अखिलेश दुबे के संपर्क में रहते थे और उनके कहने पर सबकुछ करते थे। वरना ऐसे किसी बड़े मामलों में बिना किसी अधिकारी के आदेश के एक इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर सकता है। मेरा नाम अखिलेश दुबे से बेवजह जोड़ा गया है। मैं बेकसूर हूं और मुझे धोखे से बुलाकर गिरफ्तार किया गया है।

    निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत ने जब ये बात थाने में पुलिसकर्मियों व अन्य के सामने चीखते हुए बाेली तो सभी सकपका गए। सभाजीत ने अधिकारियों पर आरोप लगा उनकी कार्यशैली और अखिलेश दुबे से उनके कनेक्शन पर सवाल उठा दिए हैं। हालांकि अब अधिकारी सभाजीत के आरोपों को गंभीरता नहीं ले रही है। पुलिस आयुक्त के स्टाफ आफिसर राजेश पांडेय ने बताया कि सभाजीत जो आरोप लगा रहे हैं। ये आरोप उन्हें पहले लगाने चाहिए। अब इन आरोपों का विवेचना से कोई लेनादेना नहीं रहेगा। उनके खिलाफ कार्रवाई ग्वालटोली थाने में दर्ज मुकदमे और जांच के आधार पर की गई है।

    255 दिन में 45 इंस्पेक्टर हो चुके निलंबित

    पीड़ितों की शिकायतों पर कार्रवाई न करने, विवेचना में लापरवाही कर आरोपितों को बचाने व पुलिस को गुमराह कर गलत कार्रवाई करने, चार्जशीट से नाम निकालने समेत आरोपों में घिरे ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कमिश्नरेट पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि सभाजीत के साथ ही 45 पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए हैं। एक जनवरी से अब तक 255 दिनों में कमिश्नरेट पुलिस 45 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर चुकी है, जिसमें कई दिनों से गैर हाजिर होने वाले पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

    ये लोग हुए सस्पेंड

    इसमें पांच इंस्पेक्टर, 13 सब इंस्पेक्टर, 17 हेड कांस्टेबल, छह महिला हेड कांस्टेबल व चार फालोअर हैं। इनमें 29 अगस्त को अखिलेश दुबे व उससे सांठगांठ करने के आरोप में इंस्पेक्टर मानवेन्द्र सिंह, इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी, इंस्पेक्टर अमान, इंस्पेक्टर नीरज ओझा और सब इंस्पेक्टर सनोज पटेल व चौकी क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा गलत काम कराने में सब इंस्पेक्टर आदेश कुमार यादव को निलंबित किया गया था। संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय विनोद कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को कोई भी अखिलेश दुबे से जुड़े प्रकरण में शुक्रवार को किसी को निलंबित नहीं किया गया है। बल्कि एक इंस्पेक्टर सभाजीत की गिरफ्तारी हुई है। उनका निलंबन पूर्व में हो चुका था।

    किरायेदारों के बनाए फर्जी दस्तावेज बना कब्जाई थी बेशकीमती जमीन

    • सिविल लाइंस में नवाब मंसूर अली ने करीब तीन बीघा जमीन थी। उन्होंने वर्ष 1892 में इसे शेख फखरुद्दीन हैदर को बेच दी थी। फखरुद्दीन के बच्चे नहीं थे तो उन्होंने जमीन वक्फ को दे दी। एग्रीमेंअ हुआ कि जमीन की देखरेख (मुतवल्ली) करने वाला उनका ही वंशज होगा। वर्ष 1911 में जमीन का पट्टा 99 वर्ष के लिए फखरुद्दीन हैदर के चचेरे भाई हाफिज हलीम के नाम कर दिया गया। बाद में इस जमीन छह-सात किरायेदार बसा दिए गए। पट्टे की अवधि खत्म होने के बाद उनकी पांचवी पीढ़ी के वशंज परेड निवासी मोइनुद्दीन आासिफ जाह किरायेदारों को निकालना चाहते थे। मामला कोर्ट में भी पहुंचा। उसी के बाद से अखिलेश दुबे गैंग सक्रिय हो गया।
    • अखिलेश दुबे ने कई किरायेदारों को डरा धमकाकर तो कुछ को रुपये का लालच देकर अपने नाम पावर आफ अटार्नी करा ली। एक किरायेदार मुन्नी देवी की 2015 में मुत्यु हो गई। उन्हीं की जमीन की दूसरी महिला को खड़ा कर 2016 में बचे की भी पावर आफ अटार्नी करवा ली। इसी जमीन पर अखिलेश दुबे ने आगमन गेस्ट हाउस, शोरूम, कर्यालय बनवाया आदि बनावाए और कुछ जगह किराये पर दे दी। मामले में शेख फखरुद्दीन की पांचवी पीड़ी के 80 वर्षीय मोइनुद्दीन मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने वक्फ बोर्ड में इसकी शिकायत की।
    • इसके बाद अप्रैल 2024 को अखिलेश दुबे के साथी शिवांश सिंह इंस्पेक्टर सभाजीत के साथ आया और पैरवी बंद करने की धमकी दी। अखिलेश दुबे को पांच लाख रुपये भेजो नहीं तो फर्जी मुकदमे में फंसा देंगे। जब कोर्ट की शरण् ली तो सभाजीत ने लखनऊ जाते समय आरोपितों ने उनहें ट्रक से कुचलवाने का भी प्रयास किया था। पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद एसआइटी ने जांच की और आरोपितों पर मुकदमा दर्ज हुआ।

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