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    अखिलेश दुबे के काले कारनामों में शामिल इंस्पेक्टर गिरफ्तार, ट्रक से कुचलवाने की कोशिश की थी पीड़ित को

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    वक्फ की जमीन कब्जाने में अखिलेश दुबे का सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर लिया है। इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा अखिलेश दुबे के काले करनामों में लिप्त था। उसने पीडि़त को पैरवी रोकने के लिए ट्रक से कुचलने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने उसे पूछताछ के बहाने से थाने बुलाया था।

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    सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को गिरफ्तार किया गया।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। सिविल लाइंस में वक्फ की तीन बीघा बेशकीमती जमीन कब्जाने के मामले में अखिलेश दुबे के सहयोगी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को शुक्रवार शाम ग्वालटोली थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसे पूछताछ के बहाने थाने बुलाया था। सभाजीत ने अखिलेश दुबे के खिलाफ पैरवी करने से रोकने के लिए ट्रक से कुचलवाने का प्रयास किया था और अखिलेश दुबे को पांच लाख रुपये भेजने के लिए धमकाया था। शनिवार को उसे जेल भेजा जाएगा।

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    सिविल लाइंस में नवाब मंसूर अली की करीब तीन बीघा जमीन को उन्होंने वर्ष 1892 में शेख फखरुद्दीन हैदर को बेची थी। फखरुद्दीन के कोई औलाद न होने पर उन्होंने जमीन वक्फ को दे दी। साथ ही शर्त के अनुसार एग्रीमेंट भी हुआ कि जमीन की देखरेख (मुतवल्ली) करने वाला उनका ही वंशज होगा। उसके बाद शेख फखरुद्दीन हैदर के चचेरे भाई हाफिज हलीम को 1911 में 99 वर्ष का पट्टा कर दिया, लेकिन उसके बाद उस जमीन पर छह-सात किरायेदार बसा दिए गए।

    पट्टे की अवधि वर्ष 2000 में खत्म हो गई। इसके बाद फखरुद्दीन की पांचवी पीड़ी के वंशज परेड नवाब इब्राहिम निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह किरायेदारों निकालना चाहते थे, जिसको लेकर मामला कोर्ट में भी पहुंचा। उसी के बाद से अखिलेश गैंग सक्रिय हो गया। इसबीच कुछ को अखिलेश दुबे ने साथी किदवई नगर निवासी राजकुमार शुक्ला समेत लोगों के साथ मिलकर कई किरायेदारों को डरा धमका तो कई को रुपये का लालच देकर अपने नाम पावर आफ अटार्नी कर ली।

    वहीं, एक किरायेदार मुन्नी देवी की 2015 में मृत्यु हो गई। उसके बाद मृत महिला की जगह उनके ही नाम से दूसरी महिला को खड़ा कर 2016 में पावर आफ अटार्नी करवा ली गई। ऐसे ही कूटरचित दस्तावेजों के लिए वक्फ की करीब तीन बीघा जमीन कब्जाने के आरोपित अखिलेश दुबे, उनकी बेटी सौम्या दुबे, भाई सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, शिवांग सिंह उर्फ पप्पू्, राजकुमार शुक्ला थे। उस जमीन पर अखिलेश दुबे ने आगमन गेस्ट हाउस, कर्यालय बनवाया और कुछ जगह किराये पर दे दी, जिससे लाखों रुपये महीने की कमाई होने लगी।

    मामले में शेख फखरुद्दीन की पांचवी पीड़ी के 80 वर्षीय मोइनुद्दीन मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने वक्फ बोर्ड में इसकी शिकायत की। उन्होंने बताया कि वह अप्रैल 2024 को अखिलेश दुबे के साथी शिवांश सिंह इंस्पेक्टर सभाजीत के साथ उनके पास आया और पैरवी बंद करने की धमकी दी। कहा कि पैरवी बंद नहीं की तो फर्जी मुकदमे में फंसा देंगे। अखिलेश दुबे को फौरन पांच लाख रुपये भेजो। इसके बाद जब कोर्ट की शरण ली तो आरोपित और धमकाने लगा।

    मुकदमे की कार्रवाई के लिए वह लखनऊ जा रहे थे। उसी समय आरोपितों ने ट्रक से कुचलवाने का भी प्रयास किया। इसके बाद से वह काफी डर गए और घर से निकलना बंद कर दिया, लेकिन वकील के जरिए वह जमीन के लिए लड़ते रहे। उसके बाद पुलिस आयुक्त से गुहार लगाई।

    जांच एसआइटी ने की तो फर्जीवाड़ा सामने आया और पीड़ित की तहरीर पर 13 अगस्त को अखिलेश दुबे, उसकी भतीजी सौम्या दुबे, भाई सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, शिवांश सिंह उर्फ पप्पू, राजकुमार शुक्ला और इंस्पेक्टर सभाजीत के खिलाफ ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसके बाद उसे निलंबित कर दिया गया था।

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