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    Navratri 2025: कानपुर की मां राहु माता मंदिर, हर शुभ काम में सबसे पहले मां को देने आते निमंत्रण

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 06:15 AM (IST)

    Navratri 2025 कानपुर के मंधना-टिकरा मार्ग पर स्थित राहु माता का मंदिर 250 वर्ष से अधिक पुराना है। यहां भक्त चुनरी और नारियल चढ़ाते हैं तथा शुभ कार्यों का पहला निमंत्रण मां को देते हैं। माना जाता है कि रास्ते में मूर्ति मिलने से मां का नाम राहु माता पड़ा। नवरात्र में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मान्यता है कि दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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    शक्ति रूपेण संस्थिता: कानपुर स्थित राहु माता मंदिर। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। Navratri 2025: कानपुर स्थित राहु माता मंदिर। राहु माता का मंदिर 250 से ज्यादा वर्ष पुराना है। यहां भक्त चुनरी और नारियल का भोग लगाते हैं। आसपास के गांवों में किसी के यहां कोई शुभ कार्य शादी, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार होते है तो सबसे पहले निमंत्रण मां को दिया जाता है। ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।

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    इतिहास

    राहु माता का मंदिर मंधना-टिकरा मार्ग स्थित बहलोलपुर में स्थित है। मंदिर में भक्तो की असीम आस्था है। नवरात्र में सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है। माना जता है कि देवी के दर्शन मात्र से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। पूर्वज बताते है यह मंदिर जहां स्थित है, वहां पहले रास्ता था। मां की मूर्ति एक चरवाहे को रास्ते (राह) में मिली थी। पहले रास्ते को राह कहते थे। राह में मिलने से मां का नाम राहु माता पड़ा। पहले यहां छोटी सी मठिया बनी थी। अब यहां विशाल मंदिर बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष प्रदेश स्तर के कलाकारों द्वारा रामलीला और माता रानी का जागरण होता है। आसपास क्षेत्र के हजारों दर्शक आते हैं। नौकरी पेशा, कारोबारी माता रानी के दर्शन करने के बाद ही अपने प्रतिष्ठान जाते हैं।

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    मंदिर आने का रास्ता

    फर्रुखाबाद व कन्नौज से आने वाले भक्त बिल्हौर, शिवराजपुर चौबेपुर होते हुए मंधना चौराहा पहुंचते हैं। यहां से मात्र 500 मीटर दूर मंदिर है। बडा चौराहा, रामा देवी, श्यामनगर से आने वाले भक्त कल्याणपुर, नारामऊ होते हुए मंधना पहुंचते हैं।

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    मान्यता है कि मां को गुड़हल का एक पुष्प भी चढ़ाने पर मां उसकी मनोकामना पूर्ण करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए सुहाग अर्पित करती हैं। जब किसी को संतान प्राप्त होती हैं तो बच्चे को दरबार में लाकर दर्शन कराते हैं। मां के दरबार में मुंडन भी कराते हैं। हवन व पूजन नित्य होता है।

    -दिनेश चंद्र मिश्रा, पुजारी

    मां के दरबार में जो भी भक्त नित्य प्रति दर्शन करते हैं मां उसकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं। मंदिर में भक्तों के लिए हर तरह की सुविधा की जाती है। मां का प्रतिदिन अलग-अलग रूपों में शृंगार किया जाता है। मंदिर में शहर ही नहीं, आसपास के जिले के लोग भी नवरात्र में दर्शन के लिए आते हैं।

    -हर्ष गुप्ता, भक्त