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    Navratri 2025: कानपुर का मां कालाबाड़ी का मंदिर, स्वप्न में मां ने दिए दर्शन तो कराई प्राण प्रतिष्ठा

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 06:40 PM (IST)

    Navratri 2025 कानपुर के लाला बंगला स्थित चकेरी में कालीबाड़ी मंदिर में मां करुणामयी रूप में विराजमान हैं। 1964 में स्थापित यह मंदिर कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर के समान है। यहाँ माँ का शृंगार और पूजन बंगाली विधि से होता है। मान्यता है कि माँ को पुष्पांजलि अर्पित करने से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं। नवरात्र में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

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    शक्ति रूपेण संस्थिता: कालाबाड़ी मंदिर चकेरी। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। Navratri 2025: लाला बंगला के हरजेंदर नगर स्थित श्री श्री चकेरी कालीबाड़ी मंदिर में मां करुणामयी स्वरूप में विराजमान हैं। कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तर्ज पर बनाए गए इस प्राचीन मंदिर में मां का शृंगार पूजन बंगाली विधि-विधान से किया जाता है। नवरात्र के दिनों में मां के दर्शन और बंगाली पूजन की छटा देखने के लिए भक्त यहां पहुंचते हैं।

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    इतिहास

    मंदिर की स्थापना वर्ष 1964 में की गई थी। कहा जाता है कि स्वप्न में मां के दर्शन आने के बाद मंदिर की स्थापना का प्रण बंगाली समाज ने लिया था। इसके बाद मां के करुणामयी स्वरूप की प्रतिमा राजस्थान के किशनगढ़ से विशेष कोठी पत्थर से बनवाई गई। फिर यहां पर विराजमान की गई।

    यह है मान्यता

    श्री श्री चकेरी कालीबाड़ी मंदिर समिति के संयुक्त सचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने बताया कि दरबार में स्थापित मां की मूर्ति में एक तेज नजर आता है। इस कारण हर पहर मां का चेहरा बदलता हुआ प्रतीत होता है। मां को पुष्पाजंलि अर्पित करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती हैं। नवरात्र भर मां के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है, लेकिन बंगाली समाज की पूजा बोधन पूजन से शुरू होती है।

    ऐसे पहुंचे मंदिर

    शहर व आसपास जिलों के भक्त मां के दरबार में पहुंचने के लिए सबसे पहले लालबंगला मुख्य मार्ग पर पहुंचना होगा। वहां कुछ ही दूरी पर मां का मंदिर है। लखनऊ, प्रयागराज, इटावा, उन्नाव, झांसी और औरैया से आने वाले भक्त सेंट्रल रेलवे स्टेशन से होते हुए रामादेवी चौराहे पहुंचते हैं। वहां से आटो, ई बस या अन्य साधन से मां के दरबार में पहुंचा जा सकता है।

    मां अपने हर भक्त की मुराद पूरी करती हैं। मां के दरबार में बंगाली पूजन श्रद्धा और उत्साह के साथ होता है। खीर और विशेष प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित लगाया जाता है। पूजन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

    -शिशिर मुखर्जी, पुरोहित

    पूरे नवरात्र भर मंदिर में विशेष पूजन-अर्चन चलता रहता है। इसी कारण दूर-दराज से लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मां के दरबार में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    -बादल, भक्त

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