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    Navratri 2025: महोबा की मां छोटी चंद्रिका देवी मंदिर, हर रोज दिन में कई बाद कलाएं बदलती मां की मूर्ति

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 09:17 PM (IST)

    Navratri 2025 महोबा शहर में स्थित छोटी चंद्रिका देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्र में यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मनोकामनाएं मांगते हैं। मान्यता है कि माता रानी भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। मंदिर में माता की प्रतिमा दिन में कई बार रूप बदलती है जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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    महोबा स्थित मां छोटी चंद्रिका देवी की प्रतिमा। जागरण

    जागरण संवाददाता, महाेबा। Navratri 2025: वैसे तो नवरात्र में सभी देवी मंदिरों में भक्त पहुंचते है और भक्तों पर मातारानी की कृपा बरसती है। शहर के प्राचीन मां छोटी चंद्रिका देवी मंदिर में भक्त पूरे साल दर्शन को पहुंचते है। मान्यता है कि मातारानी की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर मां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी करती है।

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    नवरात्र के शुभ दिनों में यहां पर महोबा के साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु आकर पूजा करते हैं। परिवार सहित दरबार में मत्था टेककर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते है। मनोकामना पूरी होने पर भी लोग यहां आकर चढ़ावा चढ़ाने आते हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में सभी लाेग बैठकर आराधना करते है।

    विशेषता

    शहर में ही यह देवी मंदिर स्थापित है और इस मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर आकर्षक सजावट दिखाई देती है। मंदिर के अंदर घुसते ही चंद्रिका माता की विशाल प्रतिमा के दर्शन होते है। परिसर में हनुमान जी, नव गृह सहित तमाम देवी देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर हैं। नवरात्र के नौ दिनों में यहां पर विशेष पूजा अर्चना करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। शहर में ही मंदिर होने के चलते यहां पहुंचने में भक्तों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हांती। कानपुर सागर नेशनल हाईवे और झांसी मिर्जापुर हाईवे से आसानी के साथ मंदिर में पहुंचा जा सकता है। बड़े वाहनों को जाने में भी कोई दिक्कत नहीं है। माता का यह स्वरूप विशेष पुण्य फलदायी है। 

    इतिहास

    छोटी चंद्रिका देवी मंदिर के इतिहास के बारे में वैसे तो किसी को काई वास्तविक जानकारी नहीं है। मान्यता है कि हजारों साल पहले से देवी का यह स्थान है। मंदिर में मातारानी की विशाल प्रतिमा है। जो भक्तों को तेज और आशीर्वाद प्रदान करतीं हैं। मां की यह प्रतिमा दिन में कई बार कलाएं बदलती है। सुबह हंसमुख मुद्रा, दोपहर में गुस्से की मुद्रा और शाम को सरल स्वभाव की मुद्रा सहित मां कई मुद्राएं बदलतीं हैं। इसे देखने के लिए तमाम भक्त यहां कई बार आते हैं। मंदिर में मातारानी से सच्चे भाव के साथ विनती करने से कष्ट मिट जाते हैंं। यह मंदिर सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

    चंदेल शासकों और वीर आल्हा ऊदल ने यहां पर तपस्या की थी और हमेशा ही मां का वरदान उन्हें मिला। मां की प्रतिमा कई बार अपनी कलाएं बदलती है और मां के आशीष से भक्तों के संकट मिट जाते हैं।

    - दिनेश पांडेय, पुजारी।

    मंदिर अपने आप में अद्भुगत है। महोबा के साथ ही कई जनपदों व प्रांतों से यहां भक्त यहां आकर माता के दर्शन करते है और कृपा पाते हैं। यहां पर सच्चे मन से आराधना करने से माता भक्तों का जीवन खुशहाल करतीं हैं।

    राकेश पटवा, भक्त

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