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बदल जाएगी गोरखपुर की सूरत, शहर को मिलने जा रहा एक और रेलवे स्टेशन

Gorakhpur Railway Station गोरखपुर कैंट रेलवे स्टेशन को सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित करने के लिए केन्द्रीय बजढ में साढ़े दस करोड़ रुपये और जारी किए गए हैं। इस कार्य के लिए 6 करोड़ 50 लाख रुपये पहले ही मिल चुके हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 07 Feb 2022 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 07 Feb 2022 08:44 AM (IST)
गोरखपुर रेलवे स्टेशन सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित होगा। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर कैंट स्टेशन का विकास अब और तेजी के साथ होगा। वर्ष 2022-23 के आम बजट में वित्त और रेल मंत्रालय ने कैंट को गोरखपुर जंक्शन का सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित करने के लिए और साढ़े दस करोड़ रुपये आवंटित किया है। वैसे भी इस स्टेशन का निर्माण कार्य 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। कार्य पूरा होने के साथ ट्रेनों का संचालन तो दुरुस्त होगा ही, गोरखपुर जंक्शन का लोड भी कम हो जाएगा। आने वाले दिनों में छपरा, वाराणसी और नरकटियागंज रूट की ट्रेनें कैंट से ही टर्मिनेट हो जाएंगी। ट्रेनों की बेवजह लेटलतीफी भी खत्म होगी।

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बनेंगे पांच प्लेटफार्म और एक फुट ओवरब्रिज

पिछले वर्ष भी बजट में कैंट स्टेशन के लिए 6 करोड़ 50 लाख रुपये मिले थे। जानकारों का कहना है कि स्टेशन के सभी भवन नए बनेंगे। पांच प्लेटफार्म के अलावा एक और फुट ओवर ब्रिज भी बनेगा। यात्रियों को अति आधुनिक वेटिंग हाल, टिकट बुकिंग हाल, प्रसाधन केंद्र और खानपान की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।अगले वर्ष तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। कैंट का कार्य पूरा होने के बाद डोमिनगढ और नकहा स्टेशन का भी कायाकल्प शुरू हो जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए गोरखपुर जंक्शन के पास वाले इन तीनों स्टेशनों को सैटेलाइट के रूप में तैयार करने की योजना बनाई है।

सैटेलाइट पर भी मिलती हैं मुख्य स्टेशन जैसी सुविधाएं

रेलवे बोर्ड महानगरों में मौजूद मुख्य रेलवे स्टेशन के आसपास वाले छोटे स्टेशनों को सैटेलाइट के रूप में विकसित करता है। सैटेलाइट पर मुख्य स्टेशन जैसी सुविधाएं तो मिलती ही हैं, जोन में चलने वाली लोकल ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो जाता है। इससे मुख्य स्टेशन का लोड कम हो जाता है। यात्रियों को सुविधा मिलती है। सैटेलाइनट बनने के बाद नरकटियागंज, छपरा व वाराणसी रूट की इंटरसिटी, डेमू और अन्य लोकल ट्रेनें भी गोरखपुर कैंट से चलने लगेंगी।

राह के बिना अधूरा है कैंट स्टेशन का विकास

कैंट स्टेशन का विकास राह मार्ग के बिना अधूरा है। स्टेशन का कायाकल्प तो हाे रहा, लेकिन लोगों के आवागमन के लिए सुविधाजनक रास्ता नहीं है। यात्रियों को रेलवे क्रासिंग पार कर स्टेशन पहुंचना पड़ता है। ऐसे में अधिकतर की ट्रेन छूट जाती है। स्टेशन से 100 मीटर की दूरी पर स्थित एम्स तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं। हालांकि, रेलवे प्रशासन वर्ष 2015 से रास्ते के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक बात नहीं बना पाई है।

दरअसल, स्टेशन से उत्तर की तरफ से रास्ता तो है लेकिन वह क्रासिंग होकर शहर में जाता है। जबकि, स्टेशन के दक्षिण तरफ रेलवे की भूमि नहीं है। ऐसे में दूसरा रास्ता ही नहीं बन पा रहा। रेलवे प्रशासन ने दक्षिण तरफ रास्ता बनाने के लिए सेना से आठ हजार स्क्वायर भूमि की मांग की है। इसके लिए रेलवे बोर्ड और मंत्रालय को लगातार प्रस्ताव भी भेजा जा रहा है। स्टेशन के दक्षिण तरफ रास्ता बन जाने से वाराणसी, छपरा और नरकटियागंज रूट से आवागमन करने वाले लोगों को सहूलियत मिलेगी। एम्स ही नहीं शहर का आवागमन भी आसान हो जाएगा।

नकहा ओवरब्रिज को मिले दस लाख, पुलों पर खर्च होंगे 332 करोड़

बजट में नकहा ओवर ब्रिज के लिए दस लाख रुपये का प्रावधान है। इससे ब्रिज के निर्माण में तेजी आएगी। इसके अलावा पूर्वोत्तर रेलवे में रोड ओवरब्रिज (आरओबी) तथा रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी या अंडरपास) बनाने के लिए 332 करोड़ रुपये मिले हैं। जिसमें गोरखपुर-गोंडा के बीच रोड अंडरब्रिज बनाने के लिए पांच करोड़ रुपये आवंटित हुआ है। रेल लाइनों पर आरओबी व आरयूबी बनने से समपार फाटक तो बंद होंगे। इससे रेल दुर्घटनाओं पर अंकुश तो लगेगा ही आमजन की राह भी आसान होगी। पिछले बजट में नकहा रेलवे क्रासिंग संख्या 5- ए पर ओवरब्रिज बनाने के लिए 3 करोड़ 10 लाख रुपये मिले थे।

रेल बजट वाली खबर में इंसेट के लिए

100 करोड़ से मजबूत होंगे रेलवे के बड़े पुल

बजट में इसबार बड़े पुलों की मरम्मत के लिए भी पर्याप्त धन मिला है। पूर्वोत्तर रेलवे में राप्ती, राहिन और सरयू नदी पर स्थित पुलों की मरम्मत के लिए पिछले वर्ष के सापेक्ष पांच गुना अधिक 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पिछले बजट में सिर्फ 20 करोड़ रुपये मिले थे। पुलों के मरम्मत से संरक्षा भी मजबूत होगी। ट्रेनों का संचालन निर्बाध गति से जारी रहेगा। जानकारों के अनुसार पुलों की जांच रोबोट से की जाती है। राप्ती और सरयू नदी पर स्थित पुल अंग्रेजों के जमाने के हैं। ऐसे में इन पुलों की समय-समय पर जांच और मरम्मत होती रहती है। वर्षा के दिनों में पुलों व रेल लाइनों की निगरानी के लिए वाटर लेवल मानीटरिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के राप्ती, रोहिन और मानीराम सहित दर्जन भर पुलों पर यह सिस्टम लगाया जा चुका है।


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