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    कौन हैं बरेली के बाबू बृजेश्वर सिंह, जिन्होंने इंग्लैंड में की फेलोशिप; रामकाज को समर्पित किया घर

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Wed, 25 Oct 2023 04:11 PM (IST)

    Bareilly News अगर आप अक्षर विहार के सामने स्थित विंडरमेयर भवन के थिएटर से अंजान हैं इन दिनों यहां मंचित हो रही रामलीला से अंजान हैं तो आप यह मान लीजिए कि बरेली को अभी आपने ठीक से नहीं जाना। विंडरमेयर भवन बाबू बृजेश्‍वर सिंह का है। बृजेश्‍वर सिंह वस्‍तुत चिकित्‍सक हैं और बरेली के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं।

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    कौन हैं बरेली के बाबू बृजेश्वर सिंह, जिन्होंने इंग्लैंड में की फेलोशिप; रामकाज को समर्पित किया घर

    जय प्रकाश पांडेय, बरेली। अगर आप अक्षर विहार के सामने स्थित विंडरमेयर भवन के थिएटर से अंजान हैं, इन दिनों यहां मंचित हो रही रामलीला से अंजान हैं तो आप यह मान लीजिए कि बरेली को अभी आपने ठीक से नहीं जाना।

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    विंडरमेयर भवन बाबू बृजेश्‍वर सिंह का है। बृजेश्‍वर सिंह वस्‍तुत: चिकित्‍सक हैं और बरेली के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। सिद्धि विनायक नाम से एक बड़ा अस्‍पताल है उनका लेकिन, इंटरनेट मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्मों पर उनकी पहचान एक कलाप्रेमी, नाट्यप्रेमी के तौर पर है। इसका कारण भी है। उन्‍होंने अपने करीब छह सौ गज के भवन का पूरा ऊपरी तल नाट्य मंचन को समर्पित कर दिया है। उसे पूरी तरह थिएटर में तब्‍दील कर कलाकारों के नाम कर दिया, बदले में कुछ लिया नहीं-लेते नहीं, घर से पैसा लगाकर करते हैं रामकाज, परमार्थ।

    यह कोई छोटी बात नहीं। आज के कलियुग में कोई अपने घर में किसी को घुसने न दे, वहीं विंडरमेयर भवन में इन दिनों रोज दो बरात के बराबर लीला प्रेमी आ रहे हैं, अलग बात है कि इनमें से आधे को ही स्‍थानानुसार रामलीला देखने का अवसर मिल पाता है।

    बृजेश्वर ने इंग्लैंड में की थी फेलोशिप

    बृजेश्‍वर सिंह जिन दिनों इंग्‍लैंड में फेलोशिप कर रहे थे तो उन दिनों दो सप्‍ताह के लिए विंडरमेयर झील के आसपास रहना हुआ था। उसी की याद को सहेजे रखने के लिए भवन का नाम रख लिया विंडरमेयर। इसी नाम से यहां दया दृष्टि रंग विनायक रंग मंडल के बैनर तले चार दिनी रामलीला का मंचन हो रहा है। ढाई घंटे के रामलीला मंचन में संपूर्ण रामायण। पूरी प्रस्‍तुति देखकर आप अचानक बोल पड़ेंगे, अद्भुत और अकल्‍पनीय।

    यह विचार आया कैसे, स्‍वाभाविक प्रश्‍न के उत्‍तर में डॉ. बृजेश्‍वर सिंह बताते हैं क‍ि दिल्‍ली रहने के दौरान नेशनल स्‍कूल आफ ड्रामा के कई कलाकारों से मुलाकात हुई। तभी थिएटर देखने का चस्‍का लगा, खूब देखा नाटक। वहीं संगीतमय रामलीला का मंचन देख लगा कि यह तो हम भी कर सकते हैं। उसके बाद यहां प्रयास तो किया लेकिन हाल काफी महंगे मिल रहे थे।

    बरेली में खोला सिद्धि विनायक अस्पताल

    बहरहाल, कुछ न सूझा तो सबसे सलाह कर घर में ही चल रहा काफी शाप बंदकर परिवार के साथ नीचे आ गया और ऊपर का तल थिएटर बना डाला। चिकित्‍सकीय कार्य के चलते मुंबई प्रवास के दौरान हमेशा सिद्धि विनायक मंदिर जाना लगा रहता था तो जब बरेली में अस्‍पताल खोला तो उसका नाम भी सिद्धि विनायक रख दिया।

    यहीं की मदद से नाट्य मंचन आदि होता रहता है। इस चार दिनी रामलीला के अलावा यहां वर्ष भर विभिन्‍न विषयों पर आधारित नाट्य मंचन होते रहते हैं। डॉक्‍टर साहब बताते हैं कि धर्मपत्‍नी गरिमा सिंह भी चिकित्‍सक हैं। दो पुत्रों में पहले अनिरुद्ध भी चिकित्‍सक हैं जबकि अभिमन्‍यु की फील्‍ड होटल मैनेजमेंट है।

    राज्‍य सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्‍कार से सम्‍मानित डा बृजेश्‍वर बताते हैं कि इस समय थैलेसीमिया पीड़ित 150 बच्‍चों को गोद लेकर उनका नि:शुल्‍क उपचार भी किया जा रहा है। कैसे कर लेते हैं इतना, इस प्रश्‍न पर दोनों हाथ जोड़कर आंख बंद कर लेते हैं। उनका मौन ही उनका जवाब है, जय रामजी की।