Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    133 साल बाद नीदरलैंड के परिवार ने बलिया में तलाशे अपने पुरखे, तलाश अभी भी जारी...

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 04:32 PM (IST)

    नीदरलैंड का एक परिवार 133 साल पहले भारत से ले जाए गए अपने पूर्वज सुंदर प्रसाद की जन्मभूमि बलिया पहुंचा। अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद परिवार बेल्थरारोड स्थित अपने पैतृक गांव गया लेकिन वहां उन्हें अपने परिवार का कोई सदस्य नहीं मिला। सुंदर प्रसाद को अंग्रेजों ने सूरीनाम भेजा था फिर नीदरलैंड में उनकी मृत्यु हो गई।

    Hero Image
    परिवार को पुरखों की माटी तो मिली पर अपनों से भेंट न हो पाने का दुख है।

    जागरण संवाददाता, हल्दीरामपुर (बलिया)। माटी की सुवास अपने वतन 133 साल बाद भले ही खींच लाई हो लेक‍िन उनकी अपनों की तलाश जारी है। इस बार का नीदरलैंड के परिवार का पूर्वजों को तलाशने का प्रयास व‍िफल हो गया और उनको न‍िराश होकर लौटना पड़ा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें रेल पटरी से ब‍िजली के सफल उत्‍पादन के बाद भव‍िष्‍य की योजना तैयार, रेलवे करने जा रहा यह काम, देखें वीड‍ियो...

    दरअसल जिले का एक परिवार 133 साल के बाद नीदरलैंड से वापस अपने गांव लौटा। स्वदेश आने पर परिवार के लोगों ने पहले अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में दर्शन और पूजन-अर्चन किया। उसके बाद अपने गांव आए। 133 साल पहले परिवार के सदस्यों से झूठ बोलकर अंग्रेज पर‍िवार के सदस्‍य को नीदरलैंड ले गए थे। नीदरलैंड ले जाकर उनसे गुलामी करवाई गई। धीरे-धीरे समय बदला और उनके परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी ने नीदरलैंड में ही रहकर काम करना शुरू कर दिया।

    यह भी पढ़ें बलिया में रोटी ही खाने की जिद पर अड़े पति को चाकू से गोद डाला, मरणासन्‍न हाल में पहुंचा अस्‍पताल

    133 साल बाद भारत में आने वाली उनकी यह छठवीं पीढ़ी है। वर्ष 1892 में बलिया के सीयर गांव (जो अब बेल्थरारोड कस्बे के नाम से जाना जाता है) के रहने वाले सुंदर प्रसाद को 35 वर्ष की उम्र में अंग्रेज अपने साथ सूरीनाम ले गए थे। सुंदर के साथ उनकी पत्नी अनुरजिया बिहारी और तीन साल का बेटा भी गया था। यह सभी लोग अंग्रेजों के साथ पहले बेल्थरारोड रेलवे स्टेशन से कोलकाता गए। फिर वहां से पानी के जहाज से सूरीनाम भेजे गए।

    यह भी पढ़ें मीरजापुर में घर में घुस गया 15 फीट का अजगर, हमले में एक वन कर्मी हुआ जख्‍मी

    अंग्रेजों ने सुंदर से वादा किया था कि वहां तुम्हारे परिवार को महल में रखा जाएगा तथा सोने की थाली में भोजन परोसा जाएगा। लेकिन परिवार से सूरीनाम में मजदूरी करवाई गई। उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें नीदरलैंड भेज दिया। सुंदर के वंशज जितेंद्र छत्ता गत नौ अगस्त को अपनी पत्नी शारदा रामसुख, पुत्री ऐश्वर्या और पुत्र शंकर के साथ दिल्ली पहुंचे।

    यह भी पढ़ें भदोही में दो बच्‍चों की मां ने पकड़ी ज‍िद, कहा - "जो करना हो कर लो, अपने प्रेमी संग ही रहूंगी"

    पर‍िवार के लोग अयोध्या में रामलला का दर्शन करने के बाद अपने पूर्वजों की धरती बेल्थरारोड पहुंचे, लेकिन उनके परिवार का कोई नहीं मिला। वर्तमान समय में जितेंद्र छत्ता डिफ्ट साउथ हालैंड में मेंबर आफ सुपरवाइजिंग बोर्ड पद पर कार्यरत हैं। जितेंद्र ने बताया कि नीदरलैंड में मजदूरी करते-करते सुंदर की सात साल बाद मौत हो गई उसके एक साल बाद उनकी पत्नी भी गुजर गईं। सिर्फ उनका बेटा बचा था, जिसने संघर्ष करके आज हम लोगों को इस मुकाम पर पहुंचाया। सुंदर के बेटे का नाम दुखी था।

    यह भी पढ़ें अमेरिकी टैरिफ वार से लाखों को रोजगार देने वाले कालीन उद्योग की थमी रफ्तार, छंटनी शुरू

    परि‍वार ने बताया क‍ि उनके बेटे कल्याण, फिर पृथ्वीराज और उसके बाद धर्मराज ने परिवार को आगे बढ़ाया। जितेंद्र की पुत्री ऐश्वर्या ने बताया कि पहली बार भारत आए हैं। बहुत खुशी हो रही है। हमारे घर में राम की पूजा होती है। अयोध्या में रामलला के दर्शन से जीवन धन्य हो गया। हालांक‍ि पर‍िवार इस बात से न‍िराश भी था क‍ि पुरखों की माटी तो नसीब हुई लेकि‍न पर‍िवार से जुड़े लोगों से भेंट न हो पाने का उनको दुख भी है। 

    यह भी पढ़ें जौनपुर में मतदाताओं का नाम गलत ढंग से काटने की अख‍िलेश यादव ने की श‍िकायत, डीएम ने द‍िया यह जवाब