अमेरिकी टैरिफ वार से लाखों को रोजगार देने वाले कालीन उद्योग की थमी रफ्तार, छंटनी शुरू
भदोही में अमेरिकी टैरिफ वार के चलते कालीन उद्योग संकट में है। उत्पादन घटने से 20 लाख लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है। कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी है जिससे मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। पुराने भुगतान अटके हैं और नए ऑर्डर नहीं मिल रहे जिससे निर्यातक परेशान हैं। जनपद के पांच लाख से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं।
जागरण संवाददाता, भदोही। जिसका डर था वही हुआ। अमेरिकी टैरिफ वार ने जिले के साथ अन्य जनपदों व प्रदेश के करीब 20 लाख लोगों को रोजगार देने वाले कालीन उद्योग की रफ्तार थमने लगी है। कालीनों के उत्पादन, फिनिशिंग, पैंकिग का काम धीरे धीरे ठप होता जा रहा है। इसी के साथ कालीन कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है।
दूसरे प्रांत के बुनकर जहां अपने अपने घरों की राह थाम रहे हैं तो स्थानीय बुनकरों व मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। कालीन इकाइयों में हमेशा दिखने वाली चहल पहल गायब हो गई है। बड़े और प्रतिष्ठित कालीन फर्मों में वेट एंड वाच की स्थिति है। फिलहाल वह कर्मचारियों को नहीं बाहर कर रहे हैं लेकिन फिनिशिंग, पैकिंग आदि का काम करने वाले मजदूरों को रोक दिया गया है।
यह भी पढ़ें : मीरजापुर में घर में घुस गया 15 फीट का अजगर, हमले में एक वन कर्मी हुआ जख्मी
कातियों की रंगाई, धुलाई, रा-मैटेरियल की खरीदारी भी रोक दी गई है। एक तरफ तो नया आर्डर नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर पुराना पैमेंट भी फंसा हुआ है। ऐसे में कर्मचारियों व मजदूरों का वेतन, रा मैटेरियल के विक्रेताओं के भुगतान करना मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। निर्यातकों का कहना है कि जिस तरह के हालात बन रहे हैं उसे देखते हुए हालात जल्दी पटरी पर आने वाले नहीं हैं। ऐसे में उनके सामने दूसरा कोई रास्ता नहीं है। निर्यातकों का मानना है कि प्रोडक्शन कराने में पूंजी फंस सकती है जिससे उनको बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। हालात को देखते हुए सरकार भी राहत प्रदान करने की स्थिति में नहीं है।
यह भी पढ़ें : दादी को चिढ़ाने को लेकर हुई कहासुनी बन गई शिवम की मौत की वजह, पूरी दास्तान चौंकाने वाली है
जनपद के पांच लाख लोग जुड़े हैं कालीन व्यवसाय
कालीन व्यवसाय से जनपद के पांच से छह लाख लोग जुड़े हैं। कालीन बुनाई के साथ काती रंगाई, कालीन धुलाई और फिनिशिंग, लेटेक्सिंग, टेढ़ा, पैकिंग आदि का कार्य करते हैं। गांव से लेकर शहर तक अधिकतर लोगों की रोजी रोटी कालीन व्यवसाय के माध्यम से चल रही है। देखा जाए तो कालीन इकाइयों में दो सौ से दो हजार तक आदमी काम करते हैं। कुछ बड़े कालीन निर्यातक एक से अधिक इकाइयों का संचालन कर रहे हैं। ऐसी फर्मों तीन से पांच हजार तक लोग काम करते है।
यह भी पढ़ें : वाराणसी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के लिए बनेगा नया उपकेंद्र, बिजली से रोशन होगा पूरा क्षेत्र
प्रोडक्शन रोकना विवशता
प्रोडक्शन रोकना निर्यातकों की विवशता है। शत पतिशत लोग अमेरिका से व्यवसाय कर रहे हैं। अप्रैल में टैरिफ की घोषणा के बाद से ही नया आर्डर मिलना बंद हो गया है। पुराने आर्डर का माल घाटा सहकर भेजा जा रहा है। इसका भुगतान कब होगा और कैसे होगा यह स्पष्ट नहीं है। जब काम काज बंद है तो कर्मचारियों को बैठाकर कब तक वेतन दिया जाएगा। क्योंकि वर्तमान के साथ भविष्य भी खतरे में है। -अमित मौर्या, निर्यातक
यह भी पढ़ें : वाराणसी इमामबाड़ा से अवैध कब्जा हटाने की तैयारी, मुस्लिम पक्ष नहीं उपलब्ध करा सका कोई साक्ष्य
बेहद खराब हैं हालात
- कालीन उद्योग के हालात बेहद खराब हैं। उन्होंने भी प्रोडक्शन रोक दिया है। हालांकि अभी किसी कर्मचारी क निकाला नहीं गया है लेकिन जिस तरह की स्थिति बन रही है उसे देखते हुए सभी निर्यातकों को न चाहते हुए यह कदम उठाना पड़ेगा। क्योंकि अप्रैल माह से नया आर्डर तो छोड़िये अमेरिकी ग्राहकों ने पुराने माल का भुगतान नहीं किया है। रोटेशन चलता रहता है तो कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन यहां तक पूरी तरह काम काज ठप है। - एजाज अहमद, निर्यातक
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।