मीरजापुर में घर में घुस गया 15 फीट का अजगर, हमले में एक वन कर्मी हुआ जख्मी
मीरजापुर के श्री पट्टी गांव में एक विशालकाय अजगर निकलने से ग्रामीणों में दहशत फैल गई। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर अजगर का रेस्क्यू किया और उसे जंगल में छोड़ दिया। मेवा लाल प्रजापति के घर में अजगर दिखने पर लोगों ने शोर मचाया और पुलिस को सूचना दी। रेस्क्यू के दौरान एक वन कर्मी घायल हो गया।
जागरण संवाददाता, चील्ह (मीरजापुर)। स्थानीय थाना क्षेत्र के श्री पट्टी गांव में एक विशालकाय अजगर के निकलने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर उसे जंगल में छोड़ दिया।
मंगलवार की रात लगभग दस बजे मेवा लाल प्रजापति के घर में करीब 15 फीट लंबा अजगर देखा गया। अजगर को देखकर मेवा लाल प्रजापति के होश उड़ गए और स्वजनों के शोर मचाने पर स्थानीय लोगों की भीड़ लग गई। विशालकाय अजगर को देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई।
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ग्रामीणों की सूचना पर डायल 112 पीआरबी पुलिस मौके पर पहुंची और वन विभाग को बुलवाया। वन विभाग की टीम में वन दरोगा मनोज कुमार, आलोक पटेल, संजीव सिंह, सुनील कुमार और वीरेंद्र यादव शामिल थे। टीम ने आधा घंटे की मेहनत के बाद अजगर को बोरे में बंद किया, जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
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रेस्क्यू के दौरान अचानक अजगर के हमले से वन कर्मी वीरेंद्र यादव मामूली रूप से ज़ख्मी हो गए। उन्हें मंडलीय अस्पताल मिर्जापुर में उपचार कराया गया। वन दरोगा मनोज कुमार ने बताया कि गंगा में बाढ़ आने के कारण अजगर कहीं से पानी में बहकर आया था।
इस घटना ने ग्रामीणों को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण जंगली जानवरों का मानव बस्तियों में आना बढ़ रहा है। वन विभाग ने ग्रामीणों को जागरूक करने का निर्णय लिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम का धन्यवाद किया और कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए उन्हें और अधिक सतर्क रहना होगा। वन विभाग ने भी आश्वासन दिया कि वे इस तरह की घटनाओं पर नजर रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।
इस घटना ने यह भी दर्शाया कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे किसी भी जंगली जानवर को देखकर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत सूचना दें ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। श्री पट्टी गांव में अजगर के निकलने की घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को डरा दिया, बल्कि वन विभाग की तत्परता और साहस को भी उजागर किया। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जाए।
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