बलिया में बाढ़ के कहर से जीवन अस्त-व्यस्त, चार लाख की आबादी सर्वाधिक प्रभावित
बलिया जिले में बाढ़ से चार लाख लोग प्रभावित हैं। राहत सामग्री के वितरण के बावजूद कई परिवार बेघर हो गए हैं और फसलें नष्ट हो गई हैं। बिजली की आपूर्ति ठप होने से अंधेरा छाया हुआ है और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। गंगा और सरयू के जल स्तर में कमी आई है।
जागरण संवाददाता, बलिया। बाढ़ की विभीषिका हर साल जिले की चार लाख आबादी झेलती है। इनके लिए राहत सामग्री, शिविर के साथ ही साथ बचाव के बंदोबस्त भी किए जाते हैं। दो महीने तक जन प्रतिनिधि और अधिकारी बाढ़ क्षेत्र में दौरा कर भरोसा भी देते हैं लेकिन पीड़ितों की दुश्वारियों कम नहीं होती हैं। अब उनकी आंखे पथरा गई हैं।
टकटकी लगाकर उम्मीद लगाकर देखती हैं लेकिन आंसू नहीं निकलते हैं। बाढ़ से अब तक 50 से अधिक परिवार जहां बेघर हो गया है तो वहीं 500 एकड़ से अधिक किसानों की फसल नष्ट हो चुकी है। सैकड़ों एकड़ भूमि गंगा और सरयू में समा चुकी है। अभी तक तो बाढ़ के पानी से परेशानी थी अब संक्रमण रोग का खतरा बढ़ गया है।
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दो दिनों से गंगा और सरयू का जल स्तर में घटाव है। दस दिनों से बाढ़ प्रभावित गांवों में विद्युत आपूर्ति ठप होने से पीड़ितों का सहारा बनी टार्च भी जवाब दे चुकी है। चहूंओर अंधेरा होने के चलते लोग रतजगा कर रहे हैं। कुछ लोग तो नाव आदि के माध्यम से आसपास के गांव में जाकर चार्ज कर लेते हैं लेकिन अधिसंख्य लोग नहीं निकल पा रहे हैं। प्रशासन की ओर से 200 नाव चलाने का दावा किया जा रहा है लेकिन मौके से भी मिलना मुश्किल हो गया है।
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कम नहीं हो रही दुश्वारियां, तेज होगा कटान
गंगा के जलस्तर में लगातार कमी के बावजूद नौरंगा, चक्की नौरंगा, भुआल छपरा, भगवानपुर के डेरा,उदयी छपरा के डेरा आदि गांव के लोगों के दुश्वारियां काम नहीं हुई है। लोग अभी भी मुश्किलों में जीवन यापन कर रहे हैं। चक्की नौरंगा के मनोज ठाकुर, महेश ठाकुर, राजेश ठाकुर,दिलीप चौधरी, रामकुमार चौधरी आदि ने बताया कि 48 घंटे में 50 सेंटीमीटर पानी कम हुआ है। गंगा उस पार के तीस हजार की आबादी पिछले एक महीने से कटान व बाढ़ के कारण लाचार है।
अकेले चक्की नौरंगा में 21 मकान गंगा के कटान में विलीन हो चुका है। कम से कम 1000 एकड़ में खड़ी खरीफ की फसल नष्ट हो गई है। परवल की खेती करने वाले रामेश्वर चौधरी, राज किशोर चौधरी, मोहन पासवान, सुधाकर ठाकुर आदि ने बताया कि सरकार भले बाढ़ के दिनों में राहत सामग्री व खाद्यान्न दे दे। किंतु इससे किसानों का भरपाई होने वाला नहीं है। मुरली छपरा, मिश्रा के हाता, पांडेपुर,चिंतामणि राय के टोला,गुदरी सिंह के टोला,वंश गोपाल छपरा, मिश्र गिरी के मठिया, प्रसाद छपरा, उदयी छपरा, दुबे छपरा ब शुघर छपरा के लोग अभी भी बाढ़ के चलते परेशान हैं। गांव के उपेन्द्र सिंह, जितेंद्र यादव बाउल पांडेय, डब्बू मिश्रा, भुअर पांडेय आदि ने बताया कि गांव में बिजली आपूर्ति बंद हो जाने के कारण काफी परेशानी हैं।
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सड़ांध, दुर्गंध, शीलन के बीच रहने को बाढ़ पीड़ित मजबूर
मझौवा: बैरिया राष्ट्रीय राजमार्ग के दक्षिण बसे गंगा की बाढ़ की पानी का जलस्तर लगातार दो दिनों से कम होने के बावजूद पीड़ितों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। बाढ़ पीड़ित बस्ती के लोग एक तरफ स्वच्छ पेयजल, प्रकाश, गैस की किल्लत जैसी समस्या से रूबरू है। बस्तियों से बाढ़ का पानी निकल जाने के बावजूद सड़ांध, दुर्गंध,शीलन युक्त वातावरण में रहने को मजबूर हैं। धर्मपुरा गांव के पीड़ित गीता देवी का कहना है कि बस्ती से पानी तो निकल गया है लेकिन कीचड़, सड़ांध, दुर्गंध, शीलन होने के कारण झोपड़ी में लौटना अभी भी मुश्किल है। जलस्तर कम होने के बावजूद हल्दी, भरसौता, बन्धुचक, बाबू बेल, पोखरा, बघौच, रुद्रपुर, धर्मपुरा, बस्ती के अधिकांश घरों के पास बाढ़ के पानी का जमाव बना हुआ है।
साफ- सफाई और छिड़काव के अभाव में संक्रमण रोग फैलने का खतरा
गंगा और सरयू नदी का पानी दो दिनों से लौटने लगा है। इससे काफी राहत हुई है, लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों गंदगी का अंबार लग गया है। गंदगी और संक्रामक बीमारियों की बाढ़ में जिंदगी घिर गई है। प्रभावित इलाकों में सफाई और छिड़काव के अभाव में पीड़ित परेशान हैं। फसलों के सड़ने से बाढ़ क्षेत्रों में रहना मुश्किल हो गया है। मवेशियों को भी खुरपका- मुंहपका रोग होने की आशंका बढ़ गई है। जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया है। कहा है कि पानी नीचे जाते ही ब्लीचिंग आदि का छिड़काव होना चाहिए।
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शहर के कंसपुर, बजीरपुर, नेरी ताल के जमुई, यारपुर, बेदुआ नई बस्ती, निहोरा नगर, महावीरघाट, जानकी पुरम, बालेश्वरनगर के साथ बहेरी, प्रेमचक और परमंदापुर इलाके के करीब पांच हजार से अधिक मकान और करीब तीन हजार बीघा उपजाऊ भूमि पानी में घिरे गई। जबकि शहर के मोहम्मदपुर में गंगा के कटान की भेंट चढ़कर 60 से अधिक मकान भी बाढ़ में विलीन हो गए। गंगा की बाढ़ से शहर की करीब 40 हजार से अधिक आबादी प्रभावित हो गई। 48 घंटे से बाढ़ के पानी में घटाव पर है। बाढ़ के पानी के साथ बहकर आई गंदगी और पानी उतरने के बाद पनपने वाली संक्रामक बीमारियों ने बाढ़ पीड़ितों की चिंता बढ़ा दी है। गंगा तट पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जैसे-जैसे पानी नीचे जा रहा है वैसे- वैसे गंदगी जमा हो रही है।
बाढ़ का उतरा पानी, बदबू से हो रही परेशानी
गंगा के जलस्तर में तेजी से घटाव के कारण 24 घंटे के अंदर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लगभग 80 प्रतिशत से अधिक रास्ते खाली हो गए है। बंधे के पास व अन्य स्थानों में पानी भरा हुआ है। यहां पर फसलों के सड़ने की बदबू आ रही है। इसके चलते बस्तीवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव के लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से ब्लीचिंग व अन्य कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। इससे बदबू से राहत मिल सके।
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