बलरामपुर डायलिसिस सेंटर में मरीजों को एक साल का इंतजार क्यों? जितनी बड़ी चुनौती निदान से उतना ही परहेज
बलरामपुर जिला अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में 126 मरीजों की वेटिंग है जिससे उन्हें एक साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। अनियमित जीवनशैली के कारण किडनी रोगियों की संख्या बढ़ रही है और डायलिसिस ही एकमात्र विकल्प है। गरीब मरीजों के लिए यह सेंटर सहारा है लेकिन बेड की कमी के कारण परेशानी हो रही है।

जागरण संवाददाता, बलरामपुर (आजमगढ़)। वेंटिलेटर पर मंडलीय जिला अस्पताल की डायलिसिस सेंटर है। एक रुपये की पर्ची पर जहां किडनी के मरीजों को सुविधाएं देने का दवा है। 126 वेटिंग से मरीजों को अपनी बारी के लिए एक साल तक इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में मरीज निजी में दो से तीन हजार रुपये खर्च कर रहे हैं।
असंतुलिस खानपान और दिनचर्या ठीक न रखने के कारण किडनी संबंधित रोगी तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में किडनी के मरीजों के लिए एक ही विकल्प बचता है वह डायलिसिस इसके बाद उनके पास बचाव के कोई रास्ते नहीं रहते हैं। ऐसे में गरीब तबके के मरीजों के लिए जिला अस्पताल ही एक विकल्प है जहां एक रुपये की पर्ची पर हेरिटेज वाराणसी द्वारा स्थापित डायलिसिस सेंटर में किडनी रोग के मरीजों को सुविधा मिलती है।
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आलम यह है कि मरीज तो अस्पताल पहुंच जाता है, लेकिन डायलिसिस सेंटर की वेटिंग सुनते ही उसके बची-खुची जान निकल जाती है। मौजूदा समय में 126 वेटिंग है जिसका नंबर आने में कम से कम दो साल भी लग सकता है। स्वास्थ्य कर्मी की माने तो अगर मरीज की मौत हो या फिर मरीज किन्हीं कारणों से बाहर चला जाए तभी किसी का नंबर आ सकता है नहीं तो फिर उसे इंतजार ही करना पड़ेगा, जबकि ऐसा होता नहीं है सभी लोग निश्शुल्क स्वास्थ्य सुविधा का लाभ लेना चाहते हैं।
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छह साल बाद भी नहीं बढ़े पांच बेड, कागजों में सिमटी
वर्ष 2018 में योगी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिद्धार्थ सिंह ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस दौरान डायलिसिस सेंटर की वेटिंग लगभग सौ के पार थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि सेंटर में पांच बेड और बढ़ाए जाएंगे, लेकिन आज तक बेड नहीं बढ़े। विभाग की मानें तो अस्पताल को सिर्फ स्थान देने है बाकी काम हेरिटेज वाराणस को करना है। ऐसे में विभाग भी छह सालों में जगह नहीं दे पाया। बेड बढ़ने की योजना कागजों में सिमट कर रह गई।
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अस्पताल में वर्ष 2016 से संचालित डायलिसिस सेंटर
12 दिसंबर को अस्पताल में डायलिसिस सेंटर की स्थापना 10 बेड से हुई थी। दो वर्ष बाद तीन बेड और बढ़े तो मरीजों को कुछ राहत मिली थी। विगत छह सालों में बेड नहीं बढ़ने से गरीबों की मुश्किलें बढ़ गई है।
बोले अधिकारी
डायलिसिस सेंटर में मौजूदा समय में 126 वेंटिंग है। पांच बेड बढ़ने थे, लेकिन छह साल बाद भी अस्पताल के तरफ से जगह न मिलने के कारण बेड नही बढ़ाए गए। -प्रशांत पांडेय, डायलिसिस मैनेजर।
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