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    Flash Back : 1986 में इस वजह से शुरू हुई थी उदयभान करवरिया और जवाहर यादव में अदावत Prayagraj News

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 06 Nov 2019 03:31 PM (IST)

    जवाहर यादव के सगे भाई और हत्याकांड के चश्मदीद गवाह सुलाकी यादव ने भी कोर्ट में सुनवाई के दौरान हत्या का कारण शराब व बालू के व्यवसाय को ही बताया था।

    Flash Back : 1986 में इस वजह से शुरू हुई थी उदयभान करवरिया और जवाहर यादव में अदावत Prayagraj News

    प्रयागराज, जेएनएन। झूंसी निवासी जवाहर यादव उर्फ पंडित और अतरसुइया के खुशहाल पर्वत मुहल्ले में रहने वाले उदयभान करवरिया के बीच वर्ष 1986 में अदावत शुरू हुई थी। जवाहर पंडित जौनपुर के खैरतारा गांव से आकर 1980 के आसपास झूंसी में बसे। फिर जल्द ही शराब के धंधे में उतर गए। उस वक्त झूंसी और यमुनापार में बालू के अधिकांश ठेके करवरिया बंधुओं के पास थे। शराब के जरिए पैसा कमाने के बाद जवाहर पंडित ने बालू के ठेके में अपना हाथ डालना शुरू कर दिया। यही बात उदयभान को नागवार गुजरी और फिर धीरे-धीरे रंजिश शुरू हो गई।

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    जवाहर ने शराब, बालू कारोबार को बढ़ाने में सियासत का सहारा लिया

    उधर, जवाहर पंडित ने शराब और बालू के कारोबार को बढ़ाने के लिए सियासत का सहारा लिया। मुलायम सिंह यादव से मिलकर राजनीति में कदम रखा। झूंसी से विधायक बनने के बाद उन्होंने अपना वर्चस्व बढ़ाया, जिसके चलते दुश्मन भी बढ़ते गए। जवाहर के सगे भाई और हत्याकांड के चश्मदीद गवाह सुलाकी यादव ने भी कोर्ट में सुनवाई के दौरान हत्या का कारण शराब व बालू के व्यवसाय को ही बताया था। सुलाकी ने कोर्ट में बयान दिया था कि 80 के दशक में कपिलमुनि, उदयभान और सूरजभान से उनके भाई को खतरा था। जिलाधिकारी, एसएसपी और शासन से सुरक्षा की मांग की गई थी, लेकिन नहीं मिली थी।

    हत्‍या होने से पहले जवाहर ने श्रीहनुमान को नमन किया था

    13 अगस्त 1996 को जवाहर समेत सभी लोग लाउदर रोड स्थित ऑफिस में बैठे थे। शाम लगभग छह बजे गुलाब, कल्लू के साथ वहां से निकले। सिविल लाइंस पहुंचकर जवाहर हनुमान मंदिर के सामने कार से उतरे और बाहर से ही हाथ जोड़कर श्रीहनुमान को प्रणाम किया। इसके बाद सुभाष चौराहे पर उनकी गाड़ी से सुघर सिंह उतरकर चले गए। पैलेस सिनेमा हॉल के पास पहुंचने पर करवरिया बंधुओं ने हत्या की।

    जवाहर को 15, गुलाब को मारी थी छह गोली

    पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि जवाहर पंडित को 15, उनके ड्राइवर गुलाब को छह और एक राहगीर को दो गोली लगी थी। हमलावरों ने जवाहर के सिर, पेट, कंधे समेत शरीर के कई हिस्से में एके 47 से गोली मारी थी। उनके शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए डॉ. हरीश सचान, डॉ. एमके भाटिया और डॉ. एके गुप्ता का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था।

    मुट्ठीगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर था सुलाकी यादव

    जवाहर पंडित का भाई सुलाकी यादव मुट्ठीगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर था। उसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 21 ए थी। वह पहले नैनी के उत्तरी लोकपुर में रहता था। वहां कुख्यात अपराधी मन्नीलाल पासी से दुश्मनी थी। उसकी हत्या होने के बाद सुलाकी ने अपना ठिकाना बदल दिया था। अदालत को भी सुलाकी के आपराधिक इतिहास की जानकारी दी गई थी।

    कलराज मिश्रा ने सीबीसीआइडी जांच को लिखा था पत्र

    हत्याकांड के वक्त प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू था और कलराज मिश्रा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने कोर्ट में बयान दिया था कि घटना के दिन कपिलमुनि करवरिया उनसे मिलने के लिए आए थे। वह कपिलमुनि के साथ जवाहर पंडित को भी जानते हैं। हत्याकांड के बाद कपिलमुनि की पत्नी ने फर्जी फंसाने की बात कही थी, जिस पर उन्होंने सीबीसीआइडी जांच के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा था।