अलीगढ़ के मानवेंद्र प्रताप सिंह ने एमएलसी चुनाव में लहराया परचम, रचा इतिहास
आगरा खंड से भाजपा के पहले स्नातक एमएलसी चुने गए कक्षा छह से कूद पड़े थे छात्र राजनीति में फिर पीछे नहीं देखा।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : कक्षा छठवीं से ही छात्र राजनीति में कूदे डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह ने विधान परिषद स्नातक राजनीति की एक नई परिभाषा गढ़ दी है। आगरा खंड से एमएलसी स्नातक की सीट जीतकर इतिहास रच दिया। इस सीट पर चुनाव जीतने वाले पहले भाजपाई हैं। इससे पहले भाजपा से अलीगढ़ का कोई नेता इस सीट पर काबिज नहीं हो सका था। कांग्रेस से विवेक बंसल जरूर जीते थे।
डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह मूलरूप से हरदुआगंज क्षेत्र के गांव दाऊदपुर निवासी हैं। पिता राजवीर सिंह यदुवंशी कृषि विभाग में थे। सहारनपुर, आगरा तमाम जगहों पर रहे। मानवेंद्र प्रताप की पढ़ाई अलग-अलग जिलों में हुई। दो विषयों में एमए किया। बीएड किया, फिर पीचएडी की। 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। इससे पहले 1986 में कक्षा छह में छात्रों की समस्याओं को लेकर छात्र राजनीति में उतरे थे। सहारनपुर में जिला विद्यालय निरीक्षक को ज्ञापन दिया और फिर छात्र राजनीति में कदम बढ़ गए। 1992 में एसवी कॉलेज में विद्यार्थी परिषद के मंत्री और 1993 में नगर मंत्री की जिम्मेदारी मिली। 1998 में एचबी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति हो गई। विभिन्न पदों पर रहते हुए परिषद में ब्रज क्षेत्र के प्रदेश अध्यक्ष रहे। यहीं से मानवेंद्र परिषद में प्रखर वक्ता के रूप में पहचान बनाई। 2013 में भाजपा में आ गए। भाजपा में शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश के सह संयोजक की जिम्मेदारी मिली। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे। कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव में क्षेत्र प्रभारी के रूप में प्रदेश में जिम्मेदारी संभाली। 2018 में ब्रज क्षेत्र के प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति के सदस्य भी हैं।
ऐसा लगा कि फिर नहीं चल सकेंगे
1995 में आगरा में विद्यार्थी परिषद के आंदोलन में डॉ. मानवेंद्र प्रताप कूद पड़े थे। पुलिस ने लाठियां बरसाईं। उनके दोनों पैर गंभीर रूप से घायल हो गए। डॉ. मानवेंद्र कहते हैं कि उस समय यह लगने लगा था कि अब शायद ही पैरों से चल न सकें, मगर दृढ़ इच्छा से खड़े हो गए।
परिषद में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
1994 जिला प्रमुख, महानगर अध्यक्ष, विभाग प्रमुख, प्रदेश कार्य समिति सदस्य व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के पद पर भी रहे। सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधक की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनके लेख तमाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
परिवार परिचय
डॉ. मानवेंद्र सिंह तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। सबसे बड़े भाई नागेंद्र प्रताप सिंह कारोबारी हैं। वीरेंद्र प्रताप सिंह ठेकेदार हैं। बहन अर्चना सिंह सबसे छोटी हैं। मानवेंद्र सिंह की पत्नी अनीता सिंह, पुत्र अभय प्रताप सिंह व धनंजय सिंह हैं।
कार्यकर्ताओं की जीत : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व जिला प्रमुख ज्ञानेश शर्मा ने मानवेंद्र प्रताप की जीत का श्रेय सर्व समाज के लोगों को दिया है। उन्होंने कहा कि यह जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की जीत है।