Lok Sabha Election 2024: ओडिशा में चुनावी लड़ाई बनी रोचक, किला बचाने में जुटा बीजद, जानिए क्या है सियासी समीकरण?
Odisha Lok Sabha Election 2024 ओडिशा की चुनावी लड़ाई इस बार बेहद रोचक है। नतीजे चाहे कुछ भी हों यहां रिकॉर्ड बनना तय है। भाजपा नवीन पटनायक की सत्ता को चुनौती देने के लिए लगातार जोर लगा रही है तो वहीं बीजद अपना किला बचाने के लिए मजबूती के साथ मैदान में है। इस बीच भाजपा लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव में भी जीत के दावे कर रही है।
उत्तम नाथ पाठक, राउरकेला। ओडिशा की लड़ाई इस बार रोचक है। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में लगातार अपना प्रदर्शन सुधार रही भाजपा इस बार पटनायक सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए जोर लगा रही है। दूसरी ओर बीजद अपना किला बचाने में जुटा है।
पीएम मोदी ओडिशा की सभाओं में लगातार घोषणा कर रहे हैं कि चार जून को ओडिशा से बीजद सरकार की विदाई हो जाएगी और भाजपा की सरकार बनेगी। वह मुख्यमंत्री शपथग्रहण की तारीख भी बता रहे हैं और सभी से 10 जून को समारोह में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। वहीं, बीजद अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इसे भले ही दिन में सपने की बात कह तंज कसें, लेकिन वह भी चौकन्ने हो गए हैं।
रिकॉर्ड बनना तय
ओडिशा में इस बार का चुनाव परिणाम कोई न कोई रिकॉर्ड बनाएगा। अगर बीजू जनता दल अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहता है तो 20 वर्षों से ओडिशा में सत्तासीन नवीन पटनायक देश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम बनेंगे। वहीं, अगर भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करती है तो ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बनेगी। हालांकि वर्ष 2009 से पहले बीजद के साथ गठबंधन वाले दौर में भाजपा बीजद की जूनियर पार्टी के रूप में सरकार में रह चुकी है।
हाशिये पर कांग्रेस
ओडिशा में भाजपा लगातार अपना प्रदर्शन लगातार सुधार रही है। 2009 के लोस चुनाव में शून्य पर रही भाजपा ने 2014 में एक सीट जीती और 21.9 प्रतिशत वोट हासिल किए। इसके बाद 2019 में 38.9 प्रतिशत वोटों के साथ भाजपा ने राज्य की आठ लोकसभा सीटें जीत लीं।
इसके मुकाबले बीजद ने 2014 में जहां 44.8 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, वहीं 2019 में यह गिरकर 43.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। उधर, भाजपा का जनाधार बढ़ने के साथ ही कांग्रेस ओडिशा की राजनीति में हाशिये पर चली गई। वह जनजातीय बहुल दक्षिण ओडिशा में सिमटती नजर आ रही है।
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ओडिया अस्मिता पर जमकर बातें
प्रधानमंत्री मोदी सरकार बनाने के दावे के साथ कहते हैं कि ओडिशा में भाजपा का मुख्यमंत्री स्थानीय होगा और जनजातीय समाज से होगा। जो यहां की मिट्टी, परंपरा ओर रीति-रिवाजों से जुड़ा होगा।
नवीन के करीबी वीके पांडियन भी बने चुनावी मुद्दा
ओडिशा में ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने वीके पांडियन भी एक मुद्दा हैं। नवीन पटनायक के करीबी पांडियन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों हमलावर हैं। नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे पांडियन का कद पिछले कुछ सालों में बढ़ गया है। वह सीएम नवीन के भरोसेमंद हैं। इस चुनाव में उनकी हैसियत नंबर टू स्टार प्रचारक की है। भाजपा का आरोप है कि नवीन पटनायक की उम्र को देखते हुए बीजद ने बाहरी व्यक्ति को आउटसोर्स किया है।