Jeevan Darshan: पुरानी बातों को छाड़ करें नई शुरुआत, जीवन होगा सुखी
समय का चक्र सदैव गतिमान रहता है। हम सब इस चक्र की तीलियां हैं। हम एक व्यवस्था में रहेंगे तो आगत समय संतुलित होगा अच्छा होगा। समय उत्कृष्ट या निकृष्ट नहीं होता हम उसे कार्यों से ऐसा बनाते हैं। नया वर्ष दहलीज पर खड़ा है हम उसका स्वागत अपने सत्संकल्पों से करें। आइए आध्यात्मिक व्यक्तित्वों से जानते हैं कि क्या हो हमारे सत्संकल्पों की रूपरेखा?

श्री श्री रविशंकर (आध्यात्मिक गुरु, आर्ट ऑफ लिविंग)। नए वर्ष का वास्तविक उत्सव है- अतीत को पीछे छोड़ देना, अपनी चेतना को जाग्रत करना और आगे बढ़ना। नए वर्ष में अतीत की मात्र समीक्षा करें और वर्तमान क्षण में अपनी चेतना को पुनः जाग्रत करें। यदि आप यह नहीं जानते कि ईश्वर आपसे प्रेम करते हैं, तो आप जीवन का उत्सव नहीं मना पाते। आप असुरक्षित अनुभव करते हैं। असुरक्षा की भावना से लोभ आता है, लोभ से स्वार्थ बढ़ता है, स्वार्थ से क्रोध उत्पन्न होता है, और फिर क्रोध से वासना आती है। इसके बाद दुख और पीड़ाओं की एक नकारात्मक श्रृंखला शुरू हो जाती है। जीवन का उत्सव मनाने के लिए आपको संपत्ति की आवश्यकता नहीं है। अगर आपमें यह विश्वास है कि आपको जो भी आवश्यकता होगी, वह आपको मिलेगा ही, तो आपके जीवन का प्रत्येक क्षण उत्सव बन जाता है।
जिस प्रकार आप नदी के किनारे बैठकर उसे बहते हुए देखते हैं, वैसे ही समय के किनारे बैठकर विगत जीवन की घटनाओं को बहते हुए देखें। बीते वर्ष में कुछ सुखद और कुछ असुखद घटनाएं घटीं, लेकिन अब वे समाप्त हो चुकी हैं। जिस तरह से नदी में तैरती हुई बतखें गीली हो जाने पर खुद को झटककर फिर से नदी में कूद पड़ती हैं, वैसे ही हमें भी बीती घटनाओं को खुद से चिपकने नहीं देना चाहिए। उनसे केवल सबक लें और आगे बढ़ें। सुखद घटनाएं प्रसन्नता लाती हैं, और दुखद घटनाएं हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं। दोनों ही हमें मजबूत और परिपक्व बनाने में मदद करती हैं।
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अगर आपका कालीन धूल से भर गया है तो इसका विश्लेषण करना कि “यह धूल कहां से आई?” बहुत उपयोगी नहीं। चाहे यह धूल किसी भी खिड़की से आई हो, महत्वपूर्ण यह है कि उसे साफ किया जाए। जीवन में हम अक्सर यही सवाल करते रहते हैं कि किसने क्या किया और क्यों किया। जो हो गया, उसे भूल जाइए। यदि किसी ने आपके मन पर छाप छोड़ी है, तो उसे साफ करना जरूरी है। उसे पकड़कर बैठने से कोई लाभ नहीं है, इसलिए नए वर्ष पर अतीत की समीक्षा करके अपनी चेतना को पुनः जाग्रत करें।
नए वर्ष के अवसर पर हमें समाज में एकता, प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा समय, हमारे विचार और हमारी ऊर्जा सकारात्मकता और शांति से भरी हो। समय की नदी में अच्छी वस्तुओं के साथ-साथ कुछ कचरा भी बह रहा है, जो समाज को प्रदूषित कर रहा है। हमारा दायित्व है कि हम इसे साफ करें। हर व्यक्ति थोड़ी-सी भूमिका निभाता है, तो समाज के कल्याण के लिए उसका सामूहिक प्रभाव होता है।
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यही कारण है कि सामूहिक ध्यान का प्रभाव अधिक होता है। जब हम मिलकर ध्यान करते हैं, तो हम ऐसी तरंगों का सृजन करते हैं, जो दुनिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। लाखों लोगों द्वारा एक साथ किए गए ध्यान से उत्पन्न ऊर्जा सकारात्मक परिवर्तन लाती है। जब आप दुनिया की घटनाओं से अप्रभावित रहते हैं तो आप शाश्वतता का अनुभव करते हैं।
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