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    Vivah panchami 2024: विवाह पंचमी के दिन करें राम रक्षा स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 05 Dec 2024 03:49 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि भगवान श्रीराम और माता जानकी की भक्ति करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अतुल बल की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीराम (Vivah panchami 2024 Date) की भक्ति करने वाले साधक पर हनुमान जी की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

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    Ram Raksha Stotra: राम रक्षा स्तोत्र पाठ के लाभ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के अगले दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस वर्ष 06 दिसंबर को विवाह पंचमी है। यह दिन भगवान श्रीराम और माता जानकी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर राम-जानकी जी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता जानकी परिणय सूत्र में बंधे थे। मिथिला और अयोध्या समेत देश के सभी राज्यों में विवाह पंचमी पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। धर्मिक मत है कि भगवान श्रीराम की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी भगवान श्रीराम और मां सीता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विवाह पंचमी पर भक्ति भाव से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और मां जानकी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

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    यह भी पढ़ें: भगवान श्रीराम को कब और कैसे प्राप्त हुआ था कोदंड धनुष और क्या थी इसकी खासियत?

    राम रक्षा स्तोत्र

    चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।

    एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥

    ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।

    जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥

    सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।

    स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥

    रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।

    शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥

    कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।

    घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥

    जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।

    स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥

    करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।

    मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥

    सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।

    उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥

    जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।

    पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥

    एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।

    स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥

    पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।

    न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥

    रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।

    नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥

    जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।

    यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥

    वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।

    अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥

    आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।

    तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥

    आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।

    अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥

    तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।

    पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥

    फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।

    पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥

    शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।

    रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥

    आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।

    रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥

    सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।

    गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥

    रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।

    काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥

    वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।

    जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥

    इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।

    अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥

    रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।

    स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥

    रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,

    काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।

    राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,

    वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥

    रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।

    रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥

    श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,

    श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।

    श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,

    श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥

    श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,

    श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।

    श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,

    श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥

    माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।

    स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।

    सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।

    नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥

    दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।

    पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥

    लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।

    कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥

    मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।

    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥

    कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।

    आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥

    आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।

    लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥

    भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।

    तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥

    रामो राजमणिः सदा विजयते,

    रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,

    निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।

    रामान्नास्ति परायणं परतरं,

    रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,

    सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥

    राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।

    सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

    योग

    ज्योतिषियों की मानें तो विवाह पंचमी पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग दिन भर है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इसके साथ ही ध्रुव योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान श्रीराम और माता जानकी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।