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    Vivah panchami 2024: कब और क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी, यहां है इसकी वजह

    Updated: Fri, 06 Dec 2024 09:20 AM (IST)

    मार्गशीर्ष महीने में कई महत्वपूर्ण पर्व उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें विवाह पंचमी का त्योहार भी शामिल है। पंचांग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी (Vivah panchami 2024) मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम (Lord Ram Puja Vidhi) और माता सीता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

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    Vivah panchami 2024: क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह को भगवगन श्रीराम और माता को प्रसन्न करने लिए शुभ माना जाता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना करने के लिए बेहद उत्तम माना जाता है, क्योंकि इस दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपासना करने से जातक को जीवन में सफलता प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। क्या आप जानते हैं कि हर साल मार्गशीर्ष माह में विवाह पंचमी (Kab Hai Vivah panchami 2024) का पर्व क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं पता, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस त्योहार को मनाने की वजह के बारे में।

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    विवाह पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त (Vivah panchami 2024 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर शुरू हो गई गई और वहीं आज यानी 06 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। ऐसे में आज यानी 06 दिसंबर (Vivah Panchami Kab Hai) को विवाह पंचमी मनाई रही रही है। इस दिन भगवान श्रीराम और मां सीता की शादी की वर्षगाँठ मनाया जाता है।

    ये है विवाह पंचमी मनाने की वजह

    सनातन धर्म में भगवान श्रीराम और माता सीता की जोड़ी को एक आदर्श वैवाहिक जोड़ी के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Vivah panchami Significance) पर राम जी और माता सीता विवाह बंधन में बंधे थे। इसी वजह से हर साल इसी तिथि को उनकी विवाह की वर्षगांठ के रूप में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। जातक इस दिन सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही मंदिर या गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दान करने से जातक को जीवन में कभी भी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है।

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    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

    अमृत काल- सुबह 06 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक

    पूजा के दौरान जरूर करें इस मंत्र का जप

    सर्वार्थसिद्धि श्री राम ध्यान मंत्र -

    ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।