Navgraha Shanti Puja: हर शुभ काम में क्यों की जाती है नवग्रह पूजा? इस विधि से करें अपने आराध्य को प्रसन्न
धार्मिक मत है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल होने पर जातक अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। इसके साथ ही हमेशा अपने जीवन में विकास के मार्ग पर अग्रसर रहता है। ज्योतिष सुख और सौभाग्य में वृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए नवग्रह पूजा (Navgraha Shanti Puja Vidhi) करने की सलाह देते हैं। नवग्रह पूजा से सभी ग्रहों की कृपा साधक पर बरसती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि पर श्रीसत्यनारायण पूजा का विधान है। अतः हर पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि श्रीसत्यनारायण पूजा के लिए किसी ज्योतिषीय सलाह की आवश्यकता नहीं होती है। जातक अपनी सुविधा अनुसार समय पर श्रीसत्यनारायण जी की पूजा कर सकते हैं। इस पूजा को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। अतः हर शुभ कार्य का श्रीगणेश करने के समय श्रीसत्यनारायण जी की पूजा अवश्य की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि हर शुभ काम में क्यों नवग्रह पूजा (Navgraha Shanti Puja) की जाती है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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नवग्रह पूजा (Navgraha Shanti Puja)
ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों के बारे में विस्तार से बताया गया है। सूर्य, मंगल, राहु, केतु, गुरु, शुक, चंद्र, बुध और शनि नवग्रह हैं। नवग्रहों को दो वर्गों में बांटा है। इनमें राहु और केतु मायावी ग्रह हैं। सूर्य देव आत्मा के कारक हैं। चंद्र देव मन के कारक हैं। मंगल देव ऊर्जा के कारक हैं। शनिदेव कर्मफल दाता हैं। बुध देव वाणी और बुद्धि के कारक हैं। गुरु देव ज्ञान के कारक हैं। वहीं, शुक्र देव सुख के कारक हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल रहने पर जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। वहीं, ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल होने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ज्योतिष नवग्रह पूजा (Navgraha Shanti Puja Significance) करने की सलाह देते हैं। इससे कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो जाती है। साथ ही नवग्रह देवताओं की कृपा जातक पर बरसती है।
नवग्रह पूजा कब की जाती है? (Navgraha Puja Vidhi)
हर शुभ काम का श्रीगणेश करने के समय नवग्रह पूजा की जाती है। इस समय नवग्रहों का बारी-बारी से आह्वान किया जाता है। आह्वान के पश्चात नवग्रह देवताओं को स्थान दिया जाता है। वैदिक शब्दों में कहें तो नवग्रह के देवताओं को प्रतिष्ठित की जाती है। नवग्रहों का आह्वान एवं स्थापना योग्य पंडित की उपस्थिति में की जाती है। नवग्रह पूजा घर पर भी की जाती है। श्रीसत्यनारायण पूजा के समय भी नवग्रह पूजा की जाती है। इसके साथ ही कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल करने के लिए भी नवग्रह शांति पूजा की जाती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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