Vikat Sankashti Chaturthi पर अमृत सिद्धि योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना फल
वैशाख महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने में विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Yoga) मनाई जाती है। इसके साथ ही वरुथिनी और मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर भगवान गणेश की कृपा बरसती है।
ज्योतिषियों की मानें तो विकट संकष्टी चतुर्थी पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं, तो विकट संकष्टी चतुर्थी पर भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय गणेश मंत्र का जप करें। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग के बारे में जानते हैं।
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विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 16 अप्रैल के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख भगवान गणेश की पूजा एवं साधना कर सकते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग दिन भर है। वहीं, चतुर्थी तिथि दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है। इन शुभ योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलेगा। साथ ही आर्थिक तंगी से भी निजात मिलेगी।
शिववास योग
विकट संकष्टी चतुर्थी पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। शिववास योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से हो रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 55 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 48 मिनट पर
- चंद्रोदय- रात 10 बजे से
- चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 10 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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