Sankashti Chaturthi 2025: अप्रैल महीने में कब है विकट संकष्टी चतुर्थी? यहां दूर करें सही डेट का कन्फ्यूजन
सनातन धर्म में वैशाख (Sankashti Chaturthi 2025 Date) महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में वैशाखी मनाई जाती है। इसके साथ ही कई प्रमुख त्योहार भी मनाए जाते हैं। वैशाख महीने में विकट संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी पर दान करने से हर परेशानी दूर होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह में विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिष करियर और कारोबार में तरक्की और उन्नति पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से व्यापार के दाता बुध देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती रहती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, विकट संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि शुरू होगी। वहीं, 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 16 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। साधक 16 अप्रैल के दिन विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं।
विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ योग (Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो विकट संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग दिन भर है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी संयोग है। इस शुभ अवसर पर शिववास योग का भी संयोग है। इस दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही आर्थिक तंगी दूर होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 55 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 48 मिनट पर
- चंद्रोदय- रात 10 बजे से
- चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 10 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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