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    Shani Jayanti 2025: शनि जयंती की डेट को लेकर न हों कन्फ्यूज, एक क्लिक में जानिए सही तारीख

    Updated: Mon, 21 Apr 2025 03:28 PM (IST)

    अमावस्या तिथि पर शुभ और मांगलिक काम करना वर्जित है। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान और दान करने खास महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) के दिन तर्पण करने से साधक को पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

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    Shani Jayanti 2025: शनि जयंती के दिन कैसे करें शनिदेव की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर न्याय के देवता शनि देव का अवतरण हुआ था। इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या के शनि जयंती के त्योहार को मनाया जाता है।

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    इस दिन भगवान विष्णु, पितरों और शनिदेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनिदेव की पूजा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस बार शनि जयंती (Shani jayanti 2025 Date) की डेट को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि शनि जयंती की सही डेट क्या है? ऐसे में आइए जानते हैं कि शनि जयंती की सही तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में।

    शनि जयंती डेट और शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर तिथि खत्म होगी। ऐसे में शनि जयंती का पर्व 27 मई को मनाया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: Shani Jayanti 2025: शनि जयंती कब है? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 12 मिनट पर

    चंद्रास्त- शाम 07 बजकर 49 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

    शनि जयंती पूजा विधि (Shani Jayanti Puja Vidhi)

    • शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
    • इसके बाद साफ कपड़े पहनें।
    • मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
    • सरसों के तेल का दीपक जलाएं और विधिपूर्वक शनिदेव की आरती करें।
    • तिल और गुड़ समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
    • आखिरी में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।

    शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।

    शनि देव का एकाक्षरी मंत्र- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।

    शनि देव जी का गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

    यह भी पढ़ें: Shani Jayanti 2025: कब और क्यों मनाई जाती है शनि जयंती? यहां जानें शुभ मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।