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    Rohini Vrat 2026 Date: नए साल में कब है रोहिणी व्रत? यहां पता करें सही तिथि और महत्व

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 08:00 PM (IST)

    रोहिणी व्रत भगवान वासुपूज्य स्वामी को समर्पित है, जिसे विवाहित महिलाएं, अविवाहित लड़कियां और पुरुष भी सुख-सौभाग्य व समृद्धि के लिए रखते हैं ...और पढ़ें

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    रोहिणी व्रत का धार्मिक महत्व

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रोहिणी व्रत भगवान वासुपूज्य स्वामी को समर्पित होता है। यह पर्व हर महीने धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    स्त्री और पुरुष दोनों ही रोहिणी व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत को करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही वास्तु संबंधी परेशानी दूर होती है। आइए, रोहिणी व्रत की सही डेट और योग जानते हैं-

    रोहिणी व्रत शुभ मुहूर्त (Rohini Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 01 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। त्रयोदशी तिथि का संयोग देर रात 10 बजकर 22 मिनट तक है। इस दिन रोहिणी व्रत भी मनाया जाएगा। इस शुभ तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग देर रात 10 बजकर 48 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र का संयोग है। व्रती (साधक) 01 जनवरी को सुविधा अनुसार समय पर परम पूज्य भगवान वासु स्वामी की पूजा कर सकती हैं।

    रोहिणी व्रत शुभ योग (Rohini Vrat Shubh Yoga)

    पौष माह के रोहिणी व्रत पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। शुक्ल योग का समापन शाम 05 बजकर 12 मिनट तक है। शुभ योग में भगवान वासु स्वामी की पूजा करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। इसके साथ ही रोहिणी व्रत पर शिववास योग का भी संयोग है। इस तिथि पर देवों के देव महादेव रात 10 बजकर 22 मिनट तक कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे।

    पूजा विधि

    साधक पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 01 जनवरी को ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव और वासुपूज्य को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। वहीं, गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल से स्नान करें। अब आचमन कर लाल या पीले रंग के नए कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और पंचोपचार कर विधिवत भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करें। अंत में आरती कर सुख और समृद्धि की कामना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।