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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी पर गर्भवती महिलाएं कैसे करें पूजा? न करें ये भूल, पढ़ें सही नियम

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 11:25 AM (IST)

    पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2025) संतान प्राप्ति और उनकी रक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से बिना कठिन उपवास ...और पढ़ें

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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी के पूजन नियम।

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए सबसे फलदायी माना गया है। इस साल यह व्रत 30 दिसंबर को पड़ रहा है। अक्सर गर्भवती महिलाएं अपनी होने वाली संतान के अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए यह व्रत करना चाहती हैं, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से पूरे दिन निर्जला या कठिन उपवास रखना उनके लिए थोड़ा कठिन हो जाता है। शास्त्रों में गर्भवती महिलाओं के लिए भक्ति के विशेष नियम बताए गए हैं, जहां भाव को भूख से ऊपर रखा गया है। अगर आप गर्भवती हैं, तो आप बिना कठिन उपवास किए भी इस एकादशी व्रत (Putrada Ekadashi 2025) का पूरा फल पा सकती हैं।

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    ऐसे करें पूजा (Puja Rituals)

    • संकल्प - सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
    • बाल गोपाल का अभिषेक - घर के मंदिर में लड्डू गोपाल को दक्षिणवर्ती शंख से दूध और गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
    • तुलसी पूजन - एकादशी पर तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
    • संतान गोपाल मंत्र - पूजा के दौरान "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥" मंत्र का क्षमता अनुसार जप करें।

    करें ये काम (Alternative Remedies)

    • पीली वस्तुओं का दान - एकादशी पर किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को पीले फल, चने की दाल या पीले वस्त्र दान करें। दान करने से व्रत के समान ही फल मिलता है।
    • श्रीमद्भागवत गीता का पाठ - भगवान विष्णु के गुणों के बारे में पढ़ें या सुनें।
    • सात्विक भोजन - उपवास नहीं कर रहें हैं, तो सात्विक भोजन करें।

    इन बातों का रखें ध्यान (Donts)

    • चावल का त्याग - एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसलिए आप कुट्टू, सिंघाड़ा या साबुदाने का सेवन कर सकती हैं।
    • दवाइयां न छोड़ें - अगर आपकी कोई दवा चल रही है, तो उसे समय पर लें। अपने शरीर को कष्ट न दें।
    • वाद-विवाद से बचें - एकादशी के दिन मन को शांत रखें। आपके शांत और खुश रहने का सीधा सकारात्मक प्रभाव आपके होने वाले बच्चे पर पड़ेगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।