Paush Purnima पर दुर्लभ ब्रह्म और इंद्र योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, बरसेगी विष्णु जी की कृपा
वैदिक पंचांग के अनुसार, 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा है, जो गंगा स्नान और लक्ष्मी नारायण की पूजा के लिए विशेष है। इस दिन ब्रह्म, इंद्र और शिववास ...और पढ़ें

पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 03 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा तिथि है। यह दिन बेहद खास होता है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत उनकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद विधि विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं।

ज्योतिषियों की मानें तो पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म और इंद्र समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आएगी। आइए, योग, महत्व और मंत्र जानते हैं-
पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Paush Purnima Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 02 जनवरी को शाम 06 बजकर 53 मिनट पर होगी। वहीं, 02 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।
पौष पूर्णिमा शुभ योग (Paush Purnima Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग सुबह 09 बजकर 05 मिनट तक है। इसके साथ ही इन्द्र योग का भी संयोग है। इन्द्र योग सुबह 09 बजकर 06 मिनट से है, जो अगले दिन यानी 04 जनवरी को समाप्त होगा। इसके साथ ही पौष पूर्णिमा पर शिववास योग का भी संयोग है। हालांकि, शिववास योग दोपहर 03 बजकर 32 मिनट से है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
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