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    Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त, वृंदावन में किस दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी? दूर करें डेट की कन्फ्यूजन

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 12:36 AM (IST)

    जन्माष्टमी के अवसर पर ब्रजधाम के मंदिरो में खास रौनक देखने को मिलती है। इस उत्सव में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। भक्त भजन-कीर्तन का आयोजन कर जन्माष्टमी के उत्सव को मनाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं वृंदावन में किस दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी (Janmashtami 2025 date)।

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    Janmashtami 2025: क्या है जन्माष्टमी की सही डेट?

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पूरे देश में जन्माष्टमी (Janmashtami 2025) का पवित्र पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भक्त कई दिन पहले से इसकी तैयारी में लग जाते हैं व्रत का संकल्प लेते हैं, कान्हा जी का सुंदर श्रृंगार करते हैं, भजन-कीर्तन और जागरण करते हैं, मंदिरों को सजाते हैं।

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    मथुरा और वृंदावन में इस दिन का उत्सव सबसे खास होता है, क्योंकि यही वह पावन भूमि है जहां श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया और अनगिनत लीलाएं कीं। यही कारण है कि यहां जन्माष्टमी कई बार देश के बाकी हिस्सों से अलग दिन मनाई जाती है। वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में तो इस दिन मंगला आरती का विशेष आयोजन होता है, जो पूरे वर्ष में सिर्फ इसी दिन किया जाता है।

    वृंदावन में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी? (Krishna Janmashtami 2025 date)

    वृंदावन में जन्माष्टमी का मुख्य उत्सव इस बार 16 अगस्त, शनिवार (Vrindavan Janmashtami date) को होगा। इस दिन मंदिर परिसर और आस-पास का हर कोना फूलों, रंग-बिरंगे पर्दों और दीपमालाओं से सजा होगा। रात ठीक 12 बजे बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह में ठाकुरजी का पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान को रेशमी वस्त्र पहनाकर सोलह शृंगार से सजाया जाएगा। यह पूरा कार्यक्रम बेहद पारंपरिक और गोपनीय तरीके से होता है, और इस दौरान गर्भगृह के दर्शन आम भक्तों के लिए बंद रहते हैं।

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    समापन

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ भगवान के जन्म की याद नहीं दिलाती, बल्कि हमें जीवन में धर्म, करुणा, प्रेम और सच्चाई का महत्व भी सिखाती है। मथुरा-वृंदावन का यह उत्सव हमें अहसास कराता है कि सच्ची भक्ति में हर क्षण एक उत्सव बन जाता है। आधी रात का वह पावन पल, दीपों की झिलमिल रोशनी, भजनों की मधुर गूंज और भक्तों के जयकारे सब मिलकर ऐसा वातावरण रचते हैं, मानो स्वयं श्रीकृष्ण हमारे सामने खड़े हों, मुस्कुरा रहे हों और हमें अपने प्रेम और आशीर्वाद से भर रहे हों।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।