Janmashtami 2025 Puja Samagri: इन चीजों के बिना अधूरी है जन्माष्टमी की पूजा, अभी नोट करें सामग्री लिस्ट
जन्माष्टमी के पर्व का भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना होती है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि पूजा में किन चीजों (Janmashtami 2025 Puja Samagri) को शामिल करना चाहिए।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। हर साल जब भाद्रपद मास की अष्टमी की रात आती है, तो लगता है मानो पूरा वातावरण प्रेम, भक्ति और उत्साह से भर गया हो। दीपों की हल्की-सी रोशनी, भजनों की मधुर गूंज और घंटियों की पवित्र ध्वनि के बीच, भक्त अपने प्यारे कान्हा के स्वागत में जुट जाते हैं।
जन्माष्टमी की इस पावन घड़ी में भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित की जाने वाली हर वस्तु केवल पूजा का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण का प्रतीक होती है। यह वही पल है जब हमारा मन बाल गोपाल की मुस्कान में खो जाता है और हृदय केवल एक ही प्रार्थना करता है "हे नंदलाला, हमारे जीवन को भी अपनी कृपा और प्रेम से भर दीजिए। इसलिए आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जन्माष्टमी के अवसर पर आपको अपने लड्डू गोपाल (Janmashtami 2025 Puja Samagri) को क्या चीजें अर्पित करनी चाहिए।
1. पंचामृत
पंचामृत पांच पवित्र वस्तुओं दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण होता है। इसे भगवान का अभिषेक करने में उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि पंचामृत से स्नान कराने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त के जीवन में पवित्रता, समृद्धि और सौभाग्य आता है।
2. तुलसी दल
श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है। हर भोग, चाहे वह फल हो या मिष्ठान, उसमें तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करना चाहिए। तुलसी दल अर्पित करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है और इससे भगवान का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।
3. माखन-मिश्री
बाल कृष्ण की बाल लीलाओं में माखन चोरी का विशेष महत्व है। माखन-मिश्री अर्पित करना उनके प्रति प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह भोग उन्हें अत्यंत आनंदित करता है।
4. ताजे पुष्प
फूल पवित्रता और सुंदरता का प्रतीक हैं। श्रीकृष्ण की पूजा में गेंदा, मोगरा, गुलाब, कमल और बेला के फूल विशेष शुभ माने जाते हैं। फूलों की महक और रंग भगवान के दरबार की शोभा बढ़ाते हैं।
5. पीले या रेशमी वस्त्र
श्रीकृष्ण को पीला रंग विशेष प्रिय है क्योंकि यह पवित्रता, ज्ञान और आनंद का प्रतीक है। पूजा के समय भगवान को पीले या रेशमी वस्त्र पहनाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
6. फलों का भोग
केला, अंगूर, अनार, सेब, अमरूद और मौसमी फल अर्पित करना भगवान के प्रति कृतज्ञता और भक्ति का भाव है। फल सात्विक आहार का प्रतीक हैं और शुद्ध मन से अर्पित करने पर भगवान इन्हें प्रसाद स्वरूप स्वीकार करते हैं।
7. मिष्ठान
लड्डू, पेड़ा, खीर, मालपुआ, बर्फी जैसे मिष्ठान भगवान को प्रसन्न करने के लिए अर्पित किए जाते हैं। ये प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित होते हैं और आनंद का प्रसार करते हैं।
8. धूप, दीप और अगरबत्ती
धूप, दीपक और अगरबत्ती जलाने से वातावरण पवित्र और सुगंधित होता है। यह पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और भगवान के स्वागत का प्रतीक है।
9. चंदन और रोली
भगवान के तिलक के लिए चंदन और रोली का प्रयोग किया जाता है। चंदन शीतलता और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि रोली मंगल और सौभाग्य का।
10. बांसुरी
बांसुरी श्रीकृष्ण का प्रिय वाद्य है और उनकी दिव्य लीलाओं का प्रतीक भी। पूजा में बांसुरी अर्पित करना भगवान के प्रति प्रेम और उनके स्वरूप से जुड़ाव का भाव दर्शाता है।
यह भी पढ़ें- Janmashtami 2025: कब और कैसे शुरू हुई भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा? पढ़ें कथा
जन्माष्टमी की पूजा विधि (Janmashtami 2025 Puja Vidhi)
1. पूजा स्थल की तैयारी
- घर में एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
- एक छोटी चौकी या पाटे पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं।
- उस पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- चारों ओर फूलों और आम्रपत्र (आम के पत्तों) से सजावट करें।
2. श्रीकृष्ण का स्नान (अभिषेक)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से भगवान का अभिषेक करें।
- अभिषेक के बाद उन्हें स्वच्छ जल से स्नान कराएं और मुलायम कपड़े से पोंछें।
3. भगवान का शृंगार
- भगवान को पीले या रेशमी वस्त्र पहनाएं।
- चंदन, रोली और फूलों से शृंगार करें।
- मोरपंख, मुकुट और बांसुरी से उनका स्वरूप पूर्ण करें।
4. भोग लगाना
- माखन-मिश्री, मालपुआ, लड्डू, पेड़ा, खीर और मौसमी फलों का भोग लगाएं।
- प्रत्येक भोग में तुलसी दल अवश्य रखें।
5. आरती और भजन
- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आरती करें।
- भजन-कीर्तन और "हरे कृष्ण हरे राम" का जाप करें।
- घंटी और शंख बजाकर वातावरण को भक्तिमय बनाएँ।
6. मध्यरात्रि जन्मोत्सव
- ठीक 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का महा-उत्सव मनाएं।
- उनके जन्म की कथा का पाठ करें।
- घंटियों, शंख और जयकारों से पूरा वातावरण गूंजा दें।
7. प्रसाद वितरण
- पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी में वितरित करें।
- प्रसाद को प्रेम और कृतज्ञता के साथ ग्रहण करें।
यह भी पढ़ें- Krishna Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त, किस दिन मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी? यहां नोट करें पूजा विधि
लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।