Amarnath Yatra 2025: कैसे मिला देवों के देव महादेव को 'अमरनाथ' का नाम? पढ़ें यह पौराणिक कथा
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव की पूजा की जाती है। ज्योतिष भी मनचाहा वरदान पाने के लिए सावन महीने में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा एवं सावन सोमवारी व्रत रखने की सलाह देते हैं। सावन महीने में अमरनाथ यात्रा (Lord Shiva Amarnath story) की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव की महिमा निराली है। अपने भक्तों पर भगवान शिव असीम कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। सनातन शास्त्रों में भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम अमरनाथ है। भक्तजन अमरनाथ और अमरेश्वर को बर्फों में रहने के चलते बाबा बर्फानी भी कहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि देवों के देव महादेव को अमरनाथ क्यों कहा जाता है? आइए, भगवान शिव के अमरनाथ कहलाने की पौराणिक कथा जानते हैं-
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कब से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत होगी। यह महीना पूर्णतया देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इससे एक सप्ताह पूर्व (पहले) अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होगी। आसान शब्दों में कहें तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 03 जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होगी। वहीं, सावन पूर्णिमा यानी 09 अगस्त को अमरनाथ यात्रा का समापन होगा।
क्यों पड़ा महादेव का नाम अमरनाथ? (Lord Shiva Amarnath story)
भृगु संहिता के 'अमरनाथ माहात्म्य' में बाबा बर्फानी की महिमा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है। चिरकाल में विधि के विधान अनुरूप स्वर्ग के सभी देवता मृत्यु भय से ग्रस्त हो गये थे। इनमें स्वर्ग नरेश इंद्र भी शामिल थे। यह जानकर सभी देवता, देवों के देव महादेव के शरण में पहुंचे। उन्हें अपनी आपबीती सुनाई।
उस समय भगवान शिव ने उन्हें व्याकुलता का कारण पूछा। तब देवताओं ने उन्हें अवगत कराया कि मृत्यु को कोई जीत नहीं पाया है। इसके लिए हम लोग आपकी शरण में आ पहुंचे हैं। आप सहायता कीजिए, प्रभु! स्वर्ग में अव्यवस्था होने से समस्त लोक में हाहकार मच सकता है। यह जान भगवान शिव ने अपने चन्द्रकला को निचोड़कर कहा कि यह अमृत है। भगवान शिव के स्पर्श से चंद्रकला से एक पवित्र धारा निकली। यह जलधारा अमरावती नदी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
वहीं, चंद्रकला के निचोड़ने से कुछ बूंदें भगवान शिव पर भी पड़ीं। वह भस्मरूप में बदल गईं। वहीं, भगवान शिव द्रवित (बर्फानी) होने लगे। तब देवों के देव महादेव का द्रवित रूप देख देवताओं ने उन्हें प्रणाम किया। भगवान शिव ने कहा कि आप सभी ने मेरे बर्फानी स्वरूप (लिङ्गम) का दर्शन किया है। अतः आज से आप सभी को मृत्यु कभी छू नहीं पायेगी। आप सभी अमरता को प्राप्त करेंगे। साथ ही आगे महादेव ने कहा कि आज से तीनों लोकों में मेरा यह लिङ्गम अमरनाथ (Amarnath name origin) के नाम से प्रसिद्ध होगा। उस समय देवताओं ने शिवलिंग का प्रदक्षिणा (Amarnath spiritual significance) कर महादेव को प्रणाम किया। इसके बाद देवता स्वर्ग लौट आये।
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Source:- jksasb.nic.in
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