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    हनुमान जी ने राख कर दी लंका मगर रावण के महल को क्यों नहीं जलाया? जानें क्या है रहस्य

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 02:23 PM (IST)

    हनुमान जी ने लंका दहन के दौरान रावण के मुख्य महल को इसलिए नहीं जलाया क्योंकि इसके पीछे कई गहरे कारण थे। उन्होंने विभीषण के भक्तिपूर्ण निवास का सम्मान ...और पढ़ें

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    क्या है हनुमान जी का यह रहस्य (Image Source: AI-Generated)

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण की कथा में हनुमान जी द्वारा लंका दहन एक ऐसा अध्याय है, जो अधर्म पर धर्म की विजय और रावण के अहंकार के विनाश का प्रतीक माना जाता है। माता सीता की खोज में लंका पहुंचे बजरंगबली ने जब रावण की सभा में अपना अपमान देखा और उनकी पूंछ में आग लगाई गई, तो उन्होंने पूरी स्वर्ण नगरी को धधकती ज्वाला में बदल दिया। लेकिन, एक बड़ा रहस्य आज भी कई लोगों को हैरान करता है। जिस हनुमान जी ने पूरी लंका को राख कर दिया, उन्होंने रावण के मुख्य महल को क्यों नहीं जलाया?

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    धार्मिक ग्रंथों और रामायण के विभिन्न प्रसंगों (जैसे वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस) के अनुसार, इसके पीछे कोई भूल नहीं बल्कि भगवान हनुमान की गहरी सूझबूझ और कुछ विशेष आध्यात्मिक कारण थे।

    विभीषण का निवास और भक्ति का सम्मान

    लंका दहन के समय हनुमान जी ने देखा कि पूरी नगरी राक्षसी प्रवृत्तियों से भरी है, लेकिन एक स्थान ऐसा था जहां 'हरि' नाम का जाप हो रहा था और भवन पर शंख, चक्र और गदा के चिह्न अंकित थे। वह भवन रावण के भाई विभीषण का था। हनुमान जी जानते थे कि विभीषण एक परम राम भक्त हैं। शास्त्रों के अनुसार, भक्त का घर भगवान के लिए मंदिर के समान होता है। इसलिए, उन्होंने विभीषण के घर को सुरक्षित छोड़ दिया। चूंकि, विभीषण का घर रावण के राजमहल के परिसर के अत्यंत निकट था, इसलिए उस पूरे क्षेत्र की सुरक्षा का ध्यान रखा गया।

    माता सीता की सुरक्षा

    सबसे प्रमुख कारण माता सीता थीं। हनुमान जी का मुख्य उद्देश्य माता सीता का पता लगाना और उन्हें सुरक्षित रखना था। रावण का महल और अशोक वाटिका (जहां माता सीता को रखा गया था) एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। हनुमान जी को डर था कि यदि वे मुख्य महल को पूरी तरह अग्नि के हवाले कर देते हैं। तो उसकी लपटें अशोक वाटिका तक पहुंच सकती हैं, जिससे माता सीता को कष्ट हो सकता था।

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    (Image Source: AI-Gene)

    शिव और शक्ति का रहस्य

    एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था और उसने अपनी भक्ति से महादेव को प्रसन्न कर लंका का निर्माण करवाया था। कुछ कथाओं के अनुसार, रावण के महल में महादेव का वास था। हनुमान जी, जो स्वयं शिव के अंशावतार हैं, अपने ही आराध्य के निवास स्थान को कैसे जला सकते थे? उन्होंने केवल उस अहंकार (स्वर्ण नगरी) को जलाया जिसने धर्म की मर्यादा लांघी थी।

    रावण को चेतावनी देना

    हनुमान जी का उद्देश्य लंका का विनाश करना नहीं, बल्कि रावण के घमंड को तोड़ना था। उन्होंने पूरी लंका को जलाकर यह संदेश दिया कि यदि एक दूत इतना शक्तिशाली है, तो प्रभु श्री राम की सेना क्या कर सकती है। महल को छोड़ना रावण के लिए एक मनोवैज्ञानिक प्रहार था- यह बताने के लिए कि तुम्हारी रक्षा करने वाला कोई नहीं बचेगा, सिवाय उस खाली महल के।

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