Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूपी के गोंडा का वो मंदिर, जहां फूल की जगह चढ़ती है शराब, हर धर्म के भक्त माथा टेकते हैं

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 10:28 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित थारू बाबा मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां देवी-देवताओं को सामान्य भोग नहीं चढ़ाया जाता है। लोक ...और पढ़ें

    Hero Image

    Tharu Baba Temple: थारू बाबा मंदिर (AI-generated image)

    Zodiac Wheel

    वार्षिक राशिफल 2026

    जानें आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा आने वाला नया साल।

    अभी पढ़ें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जिसकी परंपराएं और मान्यताएं सामान्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं। गोंडा-बहराइच मार्ग पर स्थित यह मंदिर "थारू बाबा" (Tharu Baba Temple) के नाम से प्रसिद्ध है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जहां अन्य मंदिरों में देवी-देवताओं को हलवा-पूरी, फल या मिठाई का भोग लगाया जाता है, वहीं थारू बाबा को शराब और अंडे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आस्था और परंपरा की अनोखी कहानी

    गोंडा जिले में निवासियों और भक्तों के बीच थारू बाबा की गहरी मान्यता है। लोक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, थारू बाबा एक महान सिद्ध पुरुष थे, जिनका संबंध थारू जनजाति से था। थारू जनजाति अपनी विशिष्ट जीवनशैली और परंपराओं के लिए जानी जाती है। बाबा के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा है और वे उन्हें एक रक्षक देव के रूप में पूजते हैं।

    प्रसाद में शराब और अंडा क्यों?

    मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर बाबा को विदेशी या देसी शराब की बोतलें और उबले हुए या कच्चे अंडे अर्पित करते हैं। यहां के पुजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि बाबा को ये चीजें अत्यंत प्रिय हैं और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ इन्हें चढ़ाता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। विशेष रूप से असाध्य रोगों से मुक्ति, संतान प्राप्ति और मुकदमेबाजी में जीत के लिए लोग यहां दूर-दूर से आते हैं।

    भक्तों का विश्वास

    थारू बाबा मंदिर में केवल स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि गैर-जनपद के लोग भी भारी संख्या में आते हैं। मंदिर के चारों ओर अक्सर भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है, जो शराब की बोतलें हाथ में लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। कई बार लोग मन्नत पूरी होने पर यहां भंडारे का भी आयोजन करते हैं। जिसमें प्रसाद के रूप में भी इन्हीं तामसिक वस्तुओं का उपयोग कुछ समुदायों द्वारा किया जाता है।

    सामाजिक और धार्मिक पहलू

    भारत विविधताओं का देश है, जहां हर क्षेत्र की अपनी संस्कृति और पूजा पद्धति है। जहां एक ओर मुख्यधारा के हिंदू धर्म में सात्विक पूजा को महत्व दिया जाता है। वहीं, दूसरी ओर थारू बाबा जैसे मंदिर लोक देवताओं (Local Deities) की उस परंपरा को दर्शाते हैं। जहां स्थानीय रीति-रिवाज सबसे ऊपर होते हैं। यह मंदिर अंधविश्वास और अटूट श्रद्धा के बीच की एक ऐसी कड़ी है, जिसे गोंडा के लोग अपनी विरासत मानते हैं।

    थारू बाबा का मंदिर इस बात का प्रतीक है कि आस्था का कोई एक निश्चित स्वरूप नहीं होता। गोंडा की धरती पर स्थित यह स्थान आज भी अपनी अनोखी परंपरा के कारण कौतूहल और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

    यह भी पढ़ें- Banke Bihari Mandir: ये बांकेबिहारी के भक्तों की आस्था है... सर्दी और कोहरे में भी मंदिर में भारी भीड़

    यह भी पढ़ें- Vivah Muhurat 2026: 45 दिन तक नहीं बजेंगी शहनाइयां, खरमास के कारण 29 जनवरी तक रुकेंगी शादियां 

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।