Chaitra Navratri 2025: इस समय न करें चैत्र नवरात्र की कलश स्थापना, यहां जानें सही डेट एवं मुहूर्त
जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की महिमा निराली है। देवी मां दुर्गा बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त हर एक परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। तंत्र सीखने वाले साधक नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के दौरान मां की कठिन साधना एवं उपासना करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। यह पर्व हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चैत्र नवरात्र का व्रत रखा जाता है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। आइए, चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) की कलश स्थापना का सही डेट, शुभ मुहुर्त एवं योग जानते हैं।
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चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 29 मार्च को चैत्र अमावस्या है। इस दिन से ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। हालांकि, ग्रहण लगने और उदया तिथि गणना के चलते चैत्र नवरात्र की शुरुआत रविवार 30 मार्च से होगी। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी।
घटस्थापना समय
ज्योतिषियों की मानें और पंचांग गणना अनुसार, 30 मार्च को कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। 30 मार्च को घटस्थापना सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट के मध्य कर सकते हैं। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना के लिए शुभ समय है। अगर साधक किसी कारणवश सुबह के समय घटस्थापना नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं।
घटस्थापना शुभ योग
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग का संयोग शाम 04 बजकर 54 मिनट तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग है। इन योग में कलश स्थापना कर देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा।
कब न करें घटस्थापना
देवी पुराण में वर्णित है कि अमावस्या तिथि पर कलश स्थापना नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्योस्त के बाद भी कलश स्थापना न करें। किसी भी परिस्थिति में भी सूर्योदय के बाद घटस्थापना न करें। ऐसा करने से देवी मां दुर्गा अप्रसन्न होती हैं। इसके लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिष से सलाह लेकर ही घटस्थापना करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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