Chaitra Navratri 2025: कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्र? जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र के पर्व का बेहद खास महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें माता रानी का आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है तो आइए साल 2025 में चैत्र नवरात्र (Navratri dates 2025) कब से शुरू हो रहे हैं उसकी डेट जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का पर्व बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जब देव भक्त कठिन उपवास रखते हैं और मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधिवत आराधना करते हैं। चैत्र नवरात्र हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसका समापन राम नवमी के दिन होता है।
ऐसी मान्यता है कि जो साधक इस दौरान सच्ची श्रद्धा से सभी पूजन नियमों का पालन करते हैं, उन्हें माता रानी की सदैव के लिए कृपा मिलती है, तो आइए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025) जानते हैं।
चैत्र नवरात्र 2025 शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Start and End Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल चैत्र नवरात्र 30 मार्च, 2025 से शुरू होगा और इसका समापन 07 अप्रैल, 2025 को होगा।
पूजा विधि (Chaitra Navratri 2025 Puja Vidhi)
भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। फिर मंदिर की सफाई अच्छी तरह से करें। माता रानी के सामने व्रत का संकल्प लें। पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करते हुए मुहूर्त के अनुसार, कलश स्थापित करें। मां की विधिवत पूजा-अर्चना करें। पहला दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है, तो उन्हें चमेली के फूल, चावल, शृंगार की सामग्री, मिठाई, फल और कुमकुम अर्पित करें।
आरती से पूजा की समाप्ति करें। शाम को भी भक्त मां दुर्गा की आरती करें और उन्हें विशेष भोग अर्पित करें। इस दौरान प्याज और लहसुन जैसी तामसिक चीजों से परहेज करें। घर पर सात्विक भोजन ही बनाएं। पूजा में गलतियों के लिए माफी मांगे।
मां दुर्गा पूजा मंत्र (Chaitra Navratri 2025 Puja Mantra)
1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम।
लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम।।
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