Chaitra Amavasya 2025: 29 या 30 मार्च कब है चैत्र अमावस्या? जानिए इसका महत्व और पितृ दोष के उपाय
चैत्र अमावस्या का दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन पितरों का तर्पण और उनकी उपासना का विशेष महत्व है। कहते हैं कि जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं पता है उन्हें इस दिन (Chaitra Amavasya 2025 Kab Hai?) उनका पिंडदान करना चाहिए। इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पापों से छुटकारा मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल चैत्र महीने में मनाई जाने वाली अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में बहुत विशेष माना गया है। यह तिथि पितरों को समर्पित है और इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इस दिन (Chaitra Amavasya 2025) किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए, क्योंकि उनमें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहीं, जब यह पर्व आने ही वाला है, तो इसकी डेट को लेकर बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन बनी हुई है, तो आइए इस आर्टिकल में इसकी सही डेट और इससे जुड़ी सभी अपडेट जानते हैं।
चैत्र अमावस्या 2025 29 या 30 मार्च कब है? (Chaitra Amavasya 2025 Date and Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को रात 07 बजकर 55 मिनट पर होगी। वहीं, इसकी समाप्ति अगले दिन यानी 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी। पंचांग को देखते हुए इस साल चैत्र अमावस्या का पर्व 29 मार्च को ही मनाया जाएगा।
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चैत्र अमावस्या का धार्मिक महत्व (Chaitra Amavasya significance)
सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा का विधान है। कहा जाता कि इस मौके पर उनका तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस तिथि पर अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान जरूर करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का भी महत्व है।
चैत्र अमावस्या पर इन बातों का रखें ध्यान (Chaitra Amavasya Rules)
- पवित्र नदियों में स्नान करें।
- ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें।
- तामसिक भोजन का सेवन गलती से भी न करें।
- इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें।
पितृ दोष के लिए क्या करें? (Chaitra Amavasya Upay)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र अमावस्या पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है, जो जातक पितृ दोष की समस्या से लगातार परेशान हैं, उन्हें इस दिन किसी जानकार पुरोहित की मौजूदगी में विधि-विधान के साथ उनका पिंडदान कराना चाहिए। माना जाता है कि चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, क्योंकि यह दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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