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    Kalashtami 2025: अप्रैल महीने में कब है कालाष्टमी? इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

    प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Krishna Janmashtami 2025) भी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 17 Apr 2025 02:23 PM (IST)
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    Kalashtami 2025: काल भैरव देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। काल भैरव देव की कृपा से साधक को शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, अप्रैल माह की कालाष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-  

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    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 20 अप्रैल को शाम 7 बजे से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 21 अप्रैल को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है। इसके लिए 20 अप्रैल को वैशाख माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 11 बजकर 58 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट तक है।

    कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह की कालाष्टमी पर सिद्ध और शिववास का संयोग बन रहा है। शिववास योग शाम 07 बजे से बन रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे। वहीं, सिद्ध योग में काल भैरव देव की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

    पूजा विधि

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद भक्ति भाव से देवों के देव महादेव की पूजा करें। भगवान शिव को सफेद रंग के फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ करें। वहीं, संध्याकाल में भगवान शिव जी की आरती करें। समय की उपलब्धता होने पर मंदिर जाकर काल भैरव देव के दर्शन करें।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।