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    Masik Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर करें काल भैरव अष्टक का पाठ, कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे दुश्मन

    काल भैरव मुख्य रूप से तंत्र-मत्र का देवता माने गए हैं। ये भगवान शिव के उग्र स्वरूप हैं जिनकी आराधना से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा से रोग दूर होते हैं व दुश्मनों आदि से मुक्ति मिल सकती है। मासिक कालाष्टमी काल भैरव जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि मानी गई है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Mon, 20 Jan 2025 03:49 PM (IST)
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    Masik Kalashtami 2025 कालाष्टमी पर इस तरह करें काल भैरव को प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2024) मनाई जाती है। कई साधक काल भैरव की कृपा प्राप्ति के लिए इस तिथि पर व्रत भी करते हैं। 

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    इस प्रकार इस बार माघ माह की मासिक कालाष्टमी 21 जनवरी को मनाई जाएगी। ऐसे में यदि आप इस दिन पर काल भैरव देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए काल भैरव अष्टकम् का पाठ कर सकते हैं।

    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2025 Muhurat)

    माघ माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर होने जा रहा है। कालाष्टमी की पूजा निशिता काल में करने का विधान है। ऐसे में माघ माह की मासिक कालाष्टमी का व्रत मंगलवार, 21 जनवरी को किया जाएगा।

    काल भैरव अष्टकम्

    देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं

    व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

    नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

    नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

    कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    माना जाता है कि भैरव अष्टकम् के पाठ से आपको भैरव देव की कृपा तो प्राप्त होती ही है। साथ ही जीवन की बुराइयां दूर होती हैं और आपको अपने स्वास्थ्य में भी लाभ देखने को मिलते हैं।

    शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

    श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

    भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

    भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

    विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

    कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

    स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    मासिक कालाष्टमी के अवसर पर इस अष्टकम का पाठ उन लोगों को जरूर करना चाहिए, जो दुश्मनों से परेशान हैं या फिर जिन्हें डर लगता है। आप चाहें तो नियमित रूप से भी काल भैरव अष्टकम का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है। 

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    रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

    नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।

    मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं

    दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

    अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं

    काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

    नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।