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    Kalashtami 2025: काल भैरव देव की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी (Kalashtami 2025) तिथि पर द्विपुष्कर योग समेत कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव की पूजा करने से साधक को स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 20 Jan 2025 01:56 PM (IST)
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    Kalashtami 2025: काल भैरव देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 21 जनवरी को माघ माह की कालाष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाती है।

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    धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो कालाष्टमी पर भक्ति भाव से काल भैरव देव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    कालाष्टमी मंत्र

    1. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

    2. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

    3. ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।

    4. र्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम् ।

    द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये ।।

    5. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।

    6. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।

    7. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।

    8. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।

    9. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।

    10. श्री बम् बटुक भैरवाय नमः।

    ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट।

    ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।

    ॐ काल भैरवाय नमः।

    ॐ श्री भैरवाय नमः।

    ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।

    काल भैरव स्तुति

    यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं

    सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।

    दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं

    पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं

    घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।

    कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं

    तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं

    धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।

    रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं

    नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं

    खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।

    चं चं चं चं चलित्वा चलचलचलितं चालितं भूमिचक्रं

    मं मं मं मायिरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    शं शं शं शङ्खहस्तं शशिकरधवलं मोक्षसंपूर्णतेजं

    मं मं मं मं महान्तं कुलमकुलकुलं मन्त्रगुप्तं सुनित्यम्।।

    यं यं यं भूतनाथं किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रधानं

    अं अं अं अन्तरिक्षं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं कालकालं करालं

    क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं दहदहदहनं तप्तसन्दीप्यमानम्।।

    हौं हौं हौंकारनादं प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं

    बं बं बं बाललीलं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    सं सं सं सिद्धियोगं सकलगुणमखं देवदेवं प्रसन्नं

    पं पं पं पद्मनाभं हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्निनेत्रम्।।

    ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं सततभयहरं पूर्वदेवस्वरूपं

    रौं रौं रौं रौद्ररूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    हं हं हं हंसयानं हपितकलहकं मुक्तयोगाट्टहासं

    धं धं धं नेत्ररूपं शिरमुकुटजटाबन्धबन्धाग्रहस्तम्।।

    टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं

    भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

    इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो

    निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।

    नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं

    सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।

    भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।।

    स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।