Masik Janmashtami पर करें भगवान श्रीकृष्ण के इन नामों का मंत्र जप, सभी संकटों से मिलेगा छुटकारा
सनातन शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसी वजह से हर महीने में इस तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Krishna Janmashtami 2025) मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही माखन और मिश्री समेत आदि चीजों का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि इससे पूजा सफल होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में 22 मार्च (Masik Krishna Janmashtami 2025 Date) को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। यदि आप भी भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के 108 नामों का मंत्र (Masik Krishna Janmashtami 2025) जप करें। मान्यता है कि कृष्ण मंत्रों का जप करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और संकटों से छुटकारा मिलता है।
ऐसे करें जीवन के संकट दूर
जीवन की समस्या को दूर करने के लिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन निम्न मंत्र का जप करें। साथ ही अन्न और धन का दान करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही कृष्ण जी की कृपा प्राप्त होती है।
देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
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भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम
- ॐ कृष्णाय नमः
- ॐ कमलनाथाय नमः
- ॐ वासुदेवाय नमः
- ॐ सनातनाय नमः
- ॐ वसुदेवात्मजाय नमः
- ॐ पुण्याय नमः
- ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः
- ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः
- ॐ यशोदावत्सलाय नमः
- ॐ हरिये नमः
- ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः
- ॐ सङ्खाम्बुजायुदायुजाय नमः
- ॐ देवकीनन्दनाय नमः
- ॐ श्रीशाय नमः
- ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः
- ॐ यमुनावेगासंहारिणे नमः
- ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः
- ॐ पूतनाजीवितहराय नमः
- ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः
- ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः
- ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः
- ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः
- ॐ नवनीतनटनाय नमः
- ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः
- ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः
- ॐ त्रिभङ्गिने नमः
- ॐ मधुराकृतये नमः
- ॐ शुकवागमृताब्दीन्दवे नमः
- ॐ गोविन्दाय नमः
- ॐ योगिनांपतये नमः
- ॐ वत्सवाटिचराय नमः
- ॐ अनन्ताय नमः
- ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः
- ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः
- ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः
- ॐ उत्तलोत्तालभेत्रे नमः
- ॐ तमालश्यामलाकृतिये नमः
- ॐ गोपगोपीश्वराय नमः
- ॐ योगिने नमः
- ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः
- ॐ इलापतये नमः
- ॐ परंज्योतिषे नमः
- ॐ यादवेंद्राय नमः
- ॐ यदूद्वहाय नमः
- ॐ वनमालिने नमः
- ॐ पीतवसने नमः
- ॐ पारिजातापहारकाय नमः
- ॐ गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे नमः
- ॐ गोपालाय नमः
- ॐ सर्वपालकाय नमः
- ॐ अजाय नमः
- ॐ निरञ्जनाय नमः
- ॐ कामजनकाय नमः
- ॐ कञ्जलोचनाय नमः
- ॐ मधुघ्ने नमः
- ॐ मथुरानाथाय नमः
- ॐ द्वारकानायकाय नमः
- ॐ बलिने नमः
- ॐ बृन्दावनान्त सञ्चारिणे नमः
- ॐ तुलसीदाम भूषनाय नमः
- ॐ स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे नमः
- ॐ नरनारयणात्मकाय नमः
- ॐ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नमः
- ॐ मायिने नमः
- ॐ परमपुरुषाय नमः
- ॐ मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय नमः
- ॐ संसारवैरिणे नमः
- ॐ कंसारये नमः
- ॐ मुरारये नमः
- ॐ नाराकान्तकाय नमः
- ॐ अनादि ब्रह्मचारिणे नमः
- ॐ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नमः
- ॐ शिशुपालशिरश्छेत्रे नमः
- ॐ दुर्योधनकुलान्तकाय नमः
- ॐ विदुराक्रूर वरदाय नमः
- ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः
- ॐ सत्यवाचे नमः
- ॐ सत्य सङ्कल्पाय नमः
- ॐ सत्यभामारताय नमः
- ॐ जयिने नमः
- ॐ सुभद्रा पूर्वजाय नमः
- ॐ विष्णवे नमः
- ॐ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय नमः
- ॐ जगद्गुरवे नमः
- ॐ जगन्नाथाय नमः
- ॐ वेणुनाद विशारदाय नमः
- ॐ वृषभासुर विध्वंसिने नमः
- ॐ बाणासुर करान्तकाय नमः
- ॐ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः
- ॐ बर्हिबर्हावतंसकाय नमः
- ॐ पार्थसारथये नमः
- ॐ अव्यक्ताय नमः
- ॐ गीतामृत महोदधये नमः
- ॐ कालीय फणिमाणिक्य रञ्जित श्री पदाम्बुजाय नमः
- ॐ दामोदराय नमः
- ॐ यज्ञभोक्त्रे नमः
- ॐ दानवेन्द्र विनाशकाय नमः
- ॐ नारायणाय नमः
- ॐ परब्रह्मणे नमः
- ॐ पन्नगाशन वाहनाय नमः
- ॐ जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराकाय नमः
- ॐ पुण्य श्लोकाय नमः
- ॐ तीर्थकृते नमः
- ॐ वेदवेद्याय नमः
- ॐ दयानिधये नमः
- ॐ सर्वभूतात्मकाय नमः
- ॐ सर्वग्रह रुपिणे नमः
- ॐ परात्पराय नमः
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